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विकास दुबे का उज्जैन में 15 घंटे पड़ाव

यूपी पुलिस के इनामी गैंगस्टर विकास दुबे के मामले में दो दिन बाद एसपी मनोज सिंह ने मीडिया से खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि विकास ने पकड़े जाने के बाद जो बयान दिए थे, उसकी सत्यता पता लगाने में इतना समय लग गया.
एसपी ने कहा विकास अलवर से झालावाड़ तक राजस्थान परिवहन निगम की बस से पहुंचा था. वहां से बाबू ट्रेवल्स की बस से गुरुवार रात 9.30 बजे सवार होने के बाद रात 3.58 बजे उज्जैन पहुंचा था. उज्जैन में बस से उतरने के बाद विकास ऑटो से रामघाट गया था. यहां स्नान और पूजन किया. इसके बाद ऑटो से ही महाकाल मंदिर के बाहर उतरा था.
इसी सच्चाई को 10 टीम बनाकर पता किया है. उज्जैन निकास चौराहा के समीप रहने वाले ऑटो चालक का भी पता किया. उससे पूछताछ भी की. एसपी ने कहा कि अभी भी कई बिंदुओं पर जांच जारी है. अभी तक जांच में यह सामने आया है कि वह अकेला ही आया था और कहीं नहीं रुका. शराब कंपनी मैनेजर आनंद तिवारी कानपुर का है, इसलिए उसका उनसे परिचय रहा है और पूर्व में उनके यहां वह आया भी, लेकिन इस बार आना नहीं स्वीकार किया था.
एसपी से जब यह पूछा गया कि कानपुर पुलिस ने अपने खुलासे में जारी किए प्रेसनोट में यह स्पष्ट किया कि उज्जैन पुलिस से गिरफ्तारी के बाद विकास को वे लेकर आए हैं तो एसपी का कहना था कि यूपी पुलिस के प्रेसनोट में ऐसा लिखा जाना निराधार है. हमने अभिरक्षा में विकास को लिया था और कानपुर एसएसपी के पत्र के बाद एसटीएफ के हवाले किया था.
शनिवार को पूछताछ के बाद शराब कंपनी मैनेजर आनंद तिवारी और बेटों को पुलिस ने परिजनों के हवाले कर दिया. पुलिस द्वारा तिवारी की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है. कानपुर से आई एसटीएफ टीम ने शहर में विकास के आने को लेकर कई घंटे सर्चिंग कर जानकारी जुटाई है. वह पुलिस कंट्रोल रूम, महाकाल मंदिर क्षेत्र में जाकर अधिकारियों से मिली व उसके महाकाल मंदिर आने वाले रूट पर भी गई थी.
कानपुर से उज्जैन आई टीम के प्रभारी सौरभ सिंह उर्फ गोल्डी ने भास्कर से बातचीत में सिर्फ इतना ही कहा कि उज्जैन से किसी को लेकर नहीं जा रहे हैं लेकिन यह भी सच है कि विकास के कुछ साथी फरार हैं जो मप्र में हो सकते हैं. उनकी तलाश में अन्य टीम मप्र में सर्चिग कर रही है. हमारी टीम भी विकास को लेकर इसी संबंध में उज्जैन सूचना संकलन के लिए आई थी. अभी जांच जारी है और इस संदर्भ में अधिकृत हमारे एडीजी ही आपको विस्तृत जानकारी दे पाएंगे.
ये निकला पूछताछ में
ऑटो ड्राइवर ने कहा- उसने सुबह 4.30 बजे विकास को बस स्टैंड से ऑटो में बैठाया और रामघाट ले गया. यहां उसने छोटी रपट व बड़े पुल के बीच स्नान किया, फिर पंड़ित से पूजा पाठ कराई. यहां से महाकाल के बाहर उतारकर चला गया था. छोटी रपट के पास बैठने वाले दो पंडितों को भी पूछताछ के लिए बुलवाया गया था. उन्होंने बताया कि आम श्रद्धालु की तरह पूजन कराया, इससे ज्यादा कुछ नहीं किया. न ही विकास को पहले से जानते थे.
हारफूल दुकानदार सुरेश ने कहा सबसे पहले विकास उसी की दुकान पर आया था. पहले उसे कभी नहीं देखा, न ही जानता था. तीन दिन से टीवी पर उसका फोटो देख रहा था, इसलिए उसे पहचाना व लोकायुक्त आरक्षक को सूचना दी. लोकायुक्त आरक्षक राजकुमार मिश्रा ने भी यही कहा कि जैसे ही उसके पास सूचना आई, उसने पुलिस चौकी को पता करने के उद्देश्य से अवगत कराया था. इससे ज्यादा कुछ नहीं मालूम है.
विकास को पकड़ने के बाद उसके शोर मचाने पर थप्पड़ मारने वाले विजय राठौर ने कहा कि विकास को पकड़ा, लेकिन उसके बारे में पहले से कुछ नहीं पता था. यही बात मंदिर के सिक्युरिटी गार्ड ने दोहराई. उज्जैन पुलिस ने हिरासत में विकास से कई घंटे तक पूछताछ की थी. इसमें कई जानकारियां देते वक्त विकास रो दिया था.
गुना बाॅर्डर तक उसे छोड़ने के लिए 16 सदस्यीय उज्जैन पुलिस की टीम भेजी गई थी. इस दौरान उसे गाड़ी में बैठाकर ले जा रहे पुलिसकर्मियों से भी विकास यही बोल रहा था कि मुझे मत ले जाओ. यूपी पुलिस के हवाले मत करो. गुना बॉर्डर पहुंचते ही उज्जैन पुलिस ने कागजी प्रक्रिया पूरी की और विकास को यूपी एसटीएफ के हवाले कर दिया.
इसके बाद गुना में ही ढाबे पर खाना खाने के बाद टीम लौट आई थी. सुबह (10 जुलाई) विकास की मुठभेड़ में मारे जाने की खबर आ गई. यानी कि विकास यह अच्छी तरह से जानता था कि यूपी पुलिस के हवाले किया तो बचेगा नहीं, इसीलिए वह उज्जैन में ही जेल जाना चाहता था.
विकास के साथ पुलिस की मिलीभगत और उससे जुड़े मामलों की जांच के लिए एसआईटी बनाई गई है. एसआईटी विकास गैंग की एक साल की कॉल डिटेल खंगालकर पुलिसकर्मियों की मिलीभगत की भी जांच करेगी. एडिशनल चीफ सेक्रेटरी संजय भूसरेड्डी की अगुवाई में एसआईटी 31 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपेगी.
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