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वहां सिंघु बॉर्डर पर हैं डटे हुए, यहां मंडी जाने से कतरा रहे किसान

The onion farmers is not interested for sell their crop in mandi
-किसानों की पीड़ा…कम से कम नुकसान में तो नहीं बेचेंगे-प्याज उत्पादक किसानों की मंडी से दूरी-सीकर मंडी में पिछले साल से ज्यादा भाव लेकिन किसान बोले कम मिल रहे भावसीकर. शेखावाटी का मीठा प्याज (onion) देश के कोने-कोने में पहुंचने के बाद विदेशों में भी पहचान बना चुका है। लेकिन यहां मंडियों में अब यह काफी कम देखने को मिल रहा है। वजह लागत मूल्य से भाव कम होना है। किसान अब सीधे ही प्याज बेच रहे हैं। किसानों का कहना है कि कम से कम नुकसान में तो वे अपना प्याज नहीं बेचेंगे।
पीक सीजन में भी अता पता नहीं!शेखावाटी (shekhawati)में अप्रेल माह में पीक सीजन होने के बावजूद सीकर कृषि उपज मंडी में प्याज उत्पादक किसानों (onion farmers) की दूरी बढ़ती जा रही है। इसकी बानगी है कि पिछले वर्ष की तुलना में अप्रेल माह की शुरूआत में भाव ज्यादा होने के बावजूद आवक घटती जा रही है।
35 से 50 हजार कट्टे प्रतिदिन पहुंचते थे मंडीगौरतलब है कि अभी तक पीक सीजन में जहां मंडी में प्याज के कट्टों की आवक 35 से 50 हजार प्रतिदिन तक पहुंच जाती थी, वहां अब यह आवक आधी ही रह गई है।
खेतों में ही लग रही बोलीवजह किसानों के प्याज की खेतों से सीधे बिक्री होने को बताया जा रहा है। थोक व्यापारी नेमीचंद दूजोद ने बताया कि सीकर मंडी में मंगलवार को प्याज के थोक भाव नौ से 11 रुपए प्रति किलो तक रहे। पिछले साल से ज्यादा भाव होने के बावजूद किसान कम मात्रा में प्याज लेकर आ रहे हैं। इसके कारण प्याज के भाव बढ़ेंगे, वहीं प्याज की बुवाई का क्षेत्र भी ज्यादा होने की उम्मीद है।
क्यों बेचा जा रहा सीधे ही प्याजखूड के किसान उगमाराम ने बताया कि पिछले साल अच्छे भाव की उम्मीद में उसने नौ बीघा में प्याज की बुवाई की है, लेकिन प्याज के भाव कम रहने के कारण पूरी लागत नहीं मिल रही है। मौजूदा दौर में महंगे भाव में बीज लेकर उसकी निराई, गुडाई, रोपने से लेकर खोदने की लागत बढ गई। इससे सिंचाई और किसान की मेहनत को जोड़ा जाए तो नुकसान हो रहा है। इस कारण नुकसान से बचने के लिए उसने खेत में प्याज की उपज को सीधे ही बेच दिया।

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