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Categories: Sikar news

प्रदेश के किसानों को इसलिए नहीं मिल पा रही है राहत

पूरण सिंह शेखावत सीकर. सहकारिता विभाग की ओर से ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए किसानों को राहत देने का दावा बेमानी साबित हो रहा है। इसकी बानगी है कि प्रदेश में अभी तक एक भी ग्राम सेवा सहकारी समिति ऑनलाइन नहीं हो सकी है। इसका नतीजा है कि किसानों को कोर बैंकिंग का फायदा नहीं मिल रहा है। मजबूरी में गांवों से आने वाले किसानों को मुख्यालय स्तर पर आकर ऑनलाइन काम करवाना पड़ता है। बैंक में कोर बैंकिंग लागू नहीं होने के कारण लेन-देन के लिए संबंधित ब्रांच तक ही जाना पड़ता है। बैंकिंग क्षेत्र में दस्तावेजों की अनिवार्यता लागू होने के कारण किसानों को मजबूरी में ई मित्र सेवा केन्द्रों पर जाकर अपनी गाढ़ी कमाई खर्च करनी पड़ती है। वहीं कई दिन तक सामान्य काम के लिए इंतजार करना पड़ता है। गौरतलब है कि प्रदेश की 6500 ग्राम सेवा सहकारी समितियों को ऑनलाइन करने के लिए 2014 में अपेक्स बैंक और राष्ट्रीय सूचना केन्द्र के बीच एमओयू हुआ था। इसलिए अटका कामवर्ष 2013-14 में तत्कालीन मुख्यमंत्री के बजट घोषणा पत्र के बिन्दू 108 के अनुसार ग्राम सेवा सहकारी समिति को बैंक से जोडऩे के लिए कोर बैंकिंग लागू की गई थी। जबकि जिला मुख्यालय पर स्थित मुख्यालय पूरी तरह कम्पूटराइज हो चुका है। इसके बावजूद सहकारिता विभाग ने बिना जमीनी हकीकत जाने ग्राम सेवा सहकारी समितियों को कोर बैंकिंग के तहत ऑनलाइन करने का अपेक्स बैंक को जिम्मा सौंप दिया। जबकि हकीकत यह है कि अपेक्स बैंक का ग्राम सेवा सहकारी समितियों से सीधा संबंध नहीं होता है। ऐसे में अपेक्स बैंक को आधारभूत ढांचा ही पता नहीं है। ऑनलाइन का जिम्मा जिला स्तर पर सीसीबी को सौंपने पर ही काम सफल हो सकता था।इसलिए लागू की थी व्यवस्था ग्राम सेवा सहकारी समितियों में कार्य ऑनलाइन होने से कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए कोर बैंकिंग की शुरूआत की गई थी। फिलहाल फसली ऋण, खाद-बीज वितरण जैसे काम भी ऑनलाइन होने लगे हैं। ऐसे में सहकारी समितियां ऑनलाइन हो जाए तो किसानों को भी फायदा होगा। इसके साथ ही किसानों को राज्य सरकारी की विभिन्न योजनाओं की भी ग्राम सेवा सहकारी के जरिए से जानकारी मिल सकेगी। कहीं पहुंचे, कहीं शोपीस बने उपकरण मुख्यमंत्री की बजट घोषणा के अनुसार ग्राम सेवा सहकारी समितियों को ऑनलाइन करने के लिए 100 करोड़ रुपए की शतप्रतिशत अनुदान राशि देने की घोषणा हुई। प्रथम चरण के 25 करोड़ रुपए मिल चुके थे। इस राशि से प्रदेश की सभी ग्राम सेवा सहकारी समितियों को पूर्ण रूप से ऑनलाइन करना और कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाना था लेकिन सहकारिता विभाग के अधिकारियों की मनमर्जी के कारण 12 करोड़ 68 लाख रुपए से कम्पयूटराइजेशन के लिए उपकरण तो खरीद लिए। कई समितियों तक उपकरण ही नहीं पहुंच पाए जहां पहुंचे वहां कर्मचारियों प्रशिक्षित नहीं होने से योजना का लाभ नहीं मिला। कई जगह तो ग्राम सेवा सहकारी समिति के पास भवन या बिजली का कनेक्शन तक नहीं है।

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