Deprecated: The PSR-0 `Requests_...` class names in the Requests library are deprecated. Switch to the PSR-4 `WpOrg\Requests\...` class names at your earliest convenience. in /home/wpexgrjf/aajkalrajasthan.com/wp-includes/class-requests.php on line 24
गरीबी की ग्राउंड रिपोर्ट: नेत्रहीन मुरली बोली, ‘मदद नहीं अब तो मौत दे दो साहब’ | Aajkal Rajasthan ga('create', "UA-121947415-2", { 'cookieDomain': 'aajkalrajasthan.com','allowLinker': true } ); ga('linker:autoLink', ['aajkalrajasthan.com/amp']);
Categories: Sikar news

गरीबी की ग्राउंड रिपोर्ट: नेत्रहीन मुरली बोली, ‘मदद नहीं अब तो मौत दे दो साहब’

सीकर. कोरोना से ज्यादा भूख से मरने की चिंता शहर के कई परिवारों को सता रही है। गुरुवार को भी पत्रिका की पड़ताल में ऐसे परिवार सामने आए। जिसमें कोरोना से ज्यादा भूख का रोना है। एक वक्त की रोटी भी मदद से ही मयस्सर हो रही है। नहीं मिलने पर बेबस बूढ़े व मासूम बच्चों को भूखे रहकर दिन गुजारने पड़ रहे हैं। जिंदगी इन्हें इतनी बोझिल लगने लगी है कि ‘मदद की जगह अब ये मौत’ मांगने लगे हैं।
लाइव: दृश्य-1 स्थान- हाउसिंग बोर्ड कच्ची बस्ती का अंतिम छोरबेबस, बेकस और झुर्रियों से भरी कमजोर बूढ़ी काया वाली मुरली देवी आंखों से देख नहीं पाती। पैरों से चल नहीं सकती। दो साल पहले पति की मौत के बाद से वह एक छोटी सी जर्जर झुग्गी में अपने बेटे बुद्धु, मानसिक विक्षिप्त बहु संगीता तथा चार व एक साल के दो मासूम बच्चों के साथ रहती है। पूरे परिवार की पेट भराई बुद्धु की छोटी-मोटी मजदूरी व मांगकर लाने पर ही निर्भर है। जो लॉकडाउन के बाद बेहद मुश्किल हो गया है। पत्रिका की टीम जब मुरली तक पहुंची तो झुकी कमर से बहु का हाथ थामें वह लडखड़़ाते कदमों से उस तंग झोपड़े से बाहर आई। हाल पूछने पर जिंदगी का दर्द व भूख की व्यथा बयां करते हुए उसकी आंख छलछला आई।। बोली ‘साहब! अब तो बुद्धु को भी कोई कुछ नहीं देता। कभी कुछ मिलता है तो खा लेते हैं, वरना पानी पीकर भूखे ही सो जाते हैं।’ पति के साथ की अच्छी यादों को ताजा करने के साथ मौजूदा निशक्ता व भूख की पीड़ा से उसकी तुलना कर रुआं सी होकर वह आगे कहती है कि ‘साहब अब तो इसी झुग्गी में जिंदगी कैद होकर रह गई है। अब तो इस अंधी को मदद की जगह मौत ही मिल जाए तो अच्छा’। परिवार को मदद दिलाने के पत्रिका के आश्वासन पर पैर छूने के अंदाज में जमीन को बार बार छूकर हाथ जोड़ते हुए वह झकझोर देने वाले करुण भावों से भर गई।
दृश्य-2 स्थान- गांधी योजना नगर। खुशिया अपने नेत्रहीन बेटे सूरदास के साथ घर के बाहर भी घूम रही थी। लॉकडाउन में परिवार के हालात जानने के लिए टीम ने जब उससे बात की तो पति ओमप्रकाश और बेटा महेश भी वहां आ गए। पूछने पर खुशिया ने बताया कि उसके चार बेटे हैं। बड़े बेटे बिल्लु के भी दो साल व दस महीने के दो बच्चे हैं। तीन बेटे छोटे हैं। लॉकडाउन से पहले पति ओमप्रकाश व बड़ा बेटा बिल्लु चेजे व छोटी- मोटी मजदूरी कर जैसे तैसे परिवार का पालन कर रहे थे। लेकिन, अब दोनों को कभी कभार ही काम मिलने पर परिवार पर रोजी- रोटी का भयंकर संकट गहराया हुआ है। कभी कभार लोग मदद के लिए आते हैं तो उससे पेट भरते हैं। कभी रूखी- सूखी व एक समय भोजन कर भी काम चलाना पड़ रहा है।

Aajkal Rajasthan

Share
Published by
Aajkal Rajasthan

Recent Posts

शादी से एक दिन पहले पानी के टैंकर को लेकर हुई चाकूबाजी में दुल्हा गंभीर घायल

श्रीमाधोपुर/सीकर. राजस्थान के सीकर जिला के श्रीमाधोपुर इलाके के नांगल भीम गांव में पानी के…

2 years ago

अब बेरोजगारों को हर महीने भत्ते के मिलेंगे चार हजार

  सीकर.प्रदेश के बेरोजगारों के लिए राहतभरी खबर है। अगले साल से बेरोजगारों को अब…

2 years ago

रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह का यूपी सरकार पर तंज

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Sarkar) एक के बाद एक कई सवालों के घेरे…

2 years ago

कोरोना: तीसरी लहर संभावित, तैयारियां अधरझूल !

सीकर. कोरोना का नया वेरिएंट ओमीक्रोन आने के बाद केन्द्र के साथ ही प्रदेश सरकार…

2 years ago

रीट आंसर की में बदलाव: बदलेगा मेरिट का गणित, किसी के धकधक, कई दौड़ में शामिल

सीकर. 36 दिन में रीट का परिणाम जारी कर अपनी पीठ थपथपाने वाले राजस्थान माध्यमिक…

2 years ago

बैंक में दूसरे का पट्टा रखकर उठाया 40 लाख का लोन, चीफ मैनेजर सहित दो को पांच वर्ष की सजा

सीकर. फर्जीवाड़े के लिए लोग कुछ भी कर सकते हैं। सहयोग के नाम पर कर्ज…

2 years ago