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देश के किसानों की बेहतरी के लिए विदेशी तेलों के आयात पर तुरंत रोक लगाए सरकार

जगमोहन शर्मा / जयपुर. केन्द्र सरकार को वास्तव में घरेलू स्तर पर तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देना है और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना है तो सबसे पहले खाद्य तेलों के आयात ( Foreign Oils Import ) पर अंकुश लगाना जरूरी है।
 
 
मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूशर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) के अध्यक्ष बाबूलाल डाटा ने बताया कि देश में खाद्य तेलों ( Edible Oils ) का आयात निरंतर बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2017-18 में जहां 155 लाख टन विदेशी तेलों का आयात हुआ, वहीं वर्ष 2018-19 में यह बढ़कर 162 लाख टन तक पहुंच गया।
 
उत्पादन ठप
डाटा ने कहा कि यह हर साल बढ़ रहा है। और यही कारण है कि राजस्थान की 50फीसदी से अधिक सरसों तेल इकाईयों में उत्पादन ठप पड़ा हुआ है। क्योंकिआयातित तेल घरेलू तेलों के मुकाबले काफी सस्ता पड़ रहा है। गौरतलब है किखाद्य तेल आयात बिल 70 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। और जिस गति से यह बढ़ रहा है उसे देखते हुए इसके 1 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमानहै।
 
Read More : खाने के तेलों का आयत रुकना चाहिए, तिलहन पैदावार पर सरकार का फोकस : PM मोदी
 
रह जाएगा स्टॉक
किसानों के पास सरसों और सोयाबीन का स्टॉक अभी तक पड़ा हुआ है। जबकि करीब तीन माह बाद नई सोयाबीन मंडियों में आ जाएगी। डाटा ने सुझाव दिया है कि सरसों एवं सोयाबीन पर आयात शुल्क को 35 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 फीसदी कर देना चाहिए। इसी प्रकार उद्योग को बचाने के लिए कच्चे पाम तेल पर ड्यूटी40 से बढ़ाकर 45 प्रतिशत करना जरूरी है। इसके साथ ही कच्चे तेल के आयातपर 18 फीसदी और आयातित रिफाइंड तेल पर 28 प्रतिशत जीएसटी ( GST On import Oils ) भी लगाया जाना चाहिए।
 
 
शुन्य हो आयात घाटा
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ( PM Narendra Modi ) ने पिछले दिनों संसद ( Parliament ) में खाद्य तेलों का आयात घटाकर शून्य करने की बात कही थी। मोदी ने कहा कि जिस प्रकार दलहन का आयात कम करने तथा पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को प्रेरित किया गया, उसी प्रकार खाने के तेलों के आयात को भी कम किया जा सकता है और इसके लिए किसानों को प्रेरित किया जा सकता है।

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