सीकर. शहर की सबसे बड़ी समस्या के समाधान का बीड़ा अब महिला वर्ग ने उठा लिया है। इन महिलाओं के सेवा के जज्बे में हर कोई बेसहारा नंदियों की सेवा में सहभागी बनने के लिए तैयार हो गया। बात चल रही है नानी स्थित गोपीनाथ नंदीशाला की। नंदियों के लिए हरे चारे, कीड़ी नगरे और कबूतरों के दाने के लिए इन महिलाओं ने एक संगठन बनाकर सेवा की शुरूआत की। महिलाओं ने सेवा के इस कार्य को सवामणी का नाम दिया है। अब स्थिति यह है कि वर्ष 2021 के दिसंबर तक की बुकिंग हो गई है। हर दिन दो से तीन सवामणी यहां आने के कारण महिलाओं के इस संगठन ने नगर परिषद आयुक्त से बात कर नंदीशाला में शहर से और नंदी भेजने का आग्रह किया है। नंदीशाला महिला मंडल की शुरूआत इसी वर्ष जनवरी माह में हुई। संगठन से जुड़ी महिलाएं अमूमन गऊशाला में गायों को हरा चारा खिलाने जाती थी। समिति की प्रवक्ता मधु सिहोटिया ने बताया कि साथी महिलाएं एक दिन नंदीशाला गई तो वहां पर सेवा का जज्बा जग गया। वहीं पर नौ महिलाओं ने संगठन बनाकर इन नंदियों की सेवा का बीड़ा उठा लिया। इसका महिलाओं ने प्रचार भी शुरू कर दिया।तैयार मिलता है हरा चारा, ताजी सब्जियां व दानानंदियों की सेवा के लिए लगातार लोग आगे आ रहे हैं। संगठन की ओर से इनका रिकार्ड रखा जा रहा है। शहर के कुछ लोगों ने अमावस, एकादशी, पूर्णिमा आदि धार्मिक दिन तय कर रखे हैं। इसके अलावा जन्म दिन, विवाह की वर्ष गांठ व अपने पूर्वजों की पुण्य तिथि के दिन लोग नंदियों की सेवा करने आते हैं। सवामणी के लिए 11 सौ रुपए तय किए गए हैं। तय दिन पर गायों के लिए हरा चारा, सब्जियां, कबूतरों के लिए दाना व चीटियों के लिए आहार की व्यवस्था पहले से रहती है। परिवार सहित वहां पर पहुंच कर इन नंदियों को चारा अपने हाथ से खिलाना होता है।नंदीशाला में हैं पांच सौ नंदी, सात सौ और मांगेगोपीनाथ नंदीशाला में वर्तमान में पांच सौ नंदी है। नंदीशाला से जुड़े दिनेश बियाणी ने बताया कि महिला संगठन की सहभागिता को देखते हुए नगर परिषद से शहर से सात सौ नंदी और भेजने का आग्रह किया गया है। परिषद आयुक्त ने जल्द ही शहर में बेसहारा घूम रहे नंदियों को नंदीशाला भेजने के लिए कहा है। इससे शहर में आए दिन होने वाले नंदियों के झगड़े व हमले से भी निजात मिलेगी।
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