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प्रशांत किशोर की यह रणनीति क्या घातक साबित होने वाली है?

पिछले दिनों चर्चा थी कि प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. हालांकि प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर कयास लंबे समय से लगाए जा रहे थे. प्रशांत किशोर की मुलाकात सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से लेकर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) तक से हुई लेकिन बात नहीं बनी.
प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के चुनावी रणनीतिकार थे. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को बंपर जीत मिली कुछ लोगों ने इसका श्रेय प्रशांत किशोर को दिया लेकिन यह पूरी तरीके से सही नहीं था पश्चिम बंगाल की जनता किसी भी कंडीशन में बीजेपी को रोकना चाहती थी इस कारण भी तृणमूल कांग्रेस को लाभ मिला.
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को चुनाव में जीत दिलाने के बाद अपनी शर्तों पर प्रशांत किशोर कांग्रेस में ज्वाइन होना चाहते थे. लेकिन उनकी शर्तों को कांग्रेस के अंदर आलाकमान ने तवज्जो नहीं दी. अब प्रशांत किशोर कांग्रेस को कमजोर करने की रणनीति पर काम करते हुए दिखाई दे रहे हैं.
ममता बनर्जी लगातार दिल्ली के दौरे कर रही है. ममता बनर्जी 2024 में खुद को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाहती है और प्रशांत किशोर इसी रणनीति के तहत पूरे देश में अलग-अलग राज्यों में कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं और कांग्रेस के नेताओं को तोड़कर तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन करवा रहे हैं.
कांग्रेस को तोड़ने की कड़ी में प्रशांत किशोर असम से लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा तक लगे हुए हैं. असम में सबसे पहले उन्होंने महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव को तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन करवाया और असम के अंदर कांग्रेस को झटका देने की कोशिश की. लंबे समय से सुष्मिता देव कांग्रेस के साथ जुड़ी हुई थी. लेकिन अचानक उन्होंने कांग्रेस छोड़ ममता बनर्जी की पार्टी जॉइन कर ली.
अब प्रशांत किशोर बिहार और हरियाणा में कांग्रेस को झटका देने की तैयारी में है. बिहार कांग्रेस के नेता कीर्ति आजाद (Kirti Azad) तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर रहे हैं. इसके साथ-साथ हरियाणा से अशोक तंवर (Ashok Tanwar) भी तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन करेंगे ऐसी खबरें आ रही है. अशोक तंवर राहुल गांधी के काफी करीबी रहे हैं. हालांकि उन्होंने पहले ही कांग्रेस छोड़ दी थी.
तृणमूल कांग्रेस आने वाले विधानसभा चुनाव में गोवा से भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है. जहां-जहां कांग्रेस सीधे भाजपा को टक्कर देने की कंडीशन में है वहां से भी तृणमूल कांग्रेस चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. इसके अलावा जहां कांग्रेस का अच्छा खासा जनाधार बन रहा है वहां से भी तृणमूल कांग्रेस खुद को एक पार्टी के रूप में तैयार कर रही है. ताकि पूरे देश में तृणमूल कांग्रेस चुनाव लड़े और 2024 तक ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री पद के लिए तैयार किया जा सके.
तृणमूल कांग्रेस उन कांग्रेस के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करवा रही है जो कांग्रेस से सीधे तौर पर जुड़े हुए थे. हालांकि विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव, कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर चुके या करने वाले नेताओं ने कांग्रेस के लिए कोई करिश्मा नहीं किया है. लेकिन फिर भी अगर कोई नेता पार्टी छोड़कर जाता है तो यह किसी भी पार्टी के लिए झटका होता है, वही झटका प्रशांत किशोर तृणमूल कांग्रेस की तरफ से कांग्रेस को दे रहे हैं.
प्रशांत किशोर ममता बनर्जी के साथ मिलकर 2024 में राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को कमजोर कर के नरेंद्र मोदी के सामने ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश करने की रणनीति पर पूरी तैयारी के साथ काम कर रहे हैं. इसके लिए तृणमूल कांग्रेस भाजपा को नहीं बल्कि कांग्रेस को तोड़ रही है. अब यह आने वाले वक्त में पता चलेगा कि इससे देश को कितना लाभ होगा.
जिस वक्त शरद पवार (Sharad Pawar) ने कांग्रेस छोड़ी थी और एनसीपी का गठन किया था उस वक्त भी कांग्रेस छोड़कर एनसीपी ज्वाइन करने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही थी. लेकिन वक्त के साथ उन नेताओं को और जनता को भी समझ में आया कि कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेताओं की बनाई पार्टी में लोकतंत्र होता ही नहीं है. तो फिर किस लोकतंत्र के लिए वह उनकी पार्टी में रहकर लड़ाई करेंगे? वक्त बदला और एनसीपी छोड़कर तमाम नेता वापस कांग्रेस में आए.
प्रशांत किशोर की रणनीति किस हद तक कामयाब होती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन कांग्रेस के आलाकमान को ममता बनर्जी की पार्टी से सचेत रहने की जरूरत है और ममता बनर्जी के साथ वही व्यवहार करने की जरूरत है जो कांग्रेस आलाकमान बीजेपी के साथ कर रहा है. क्योंकि ममता बनर्जी पीठ में छुरा घोंपने का काम लगातार कर रही है.
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