बरसात की कमी से मंडरा रहा था सिंघाड़े की फसल पर खतराचित्तौडग़ढ़/ भदेसर. उपखण्ड के सबसे प्राचीन गंगारिया तालाब में पिछले तीन-चार दिनों से बरसात के पानी की अच्छी आवक होने से बोई गई सिंघाड़े की अच्छी फसल की आस बंध गई है। बरसात में लगभग तीन सौ बीघा क्षेत्र में पानी की आवक हुई है। किसान माधवलाल कहार ने बताया कि कहारोंं की ढाणी निवासी सौ से ज्यादा परिवारों ने मानसून की पहली बरसात में ही इस तालाब में सिंघाडे की बुवाई कर दी थी, लेकिन बाद में बरसात नहीं होने के कारण सिंघाडे की फसल नष्ट होने का खतरा बढ गया था, इससे फसल नष्ट होने तथा यहां के सौ परिवारों के रोजगार का खतरा मण्डराने लगा था, लेकिन पिछले सप्ताह से लगातार जारी वर्षा ने इन किसानों का भाग्य बदल दिया। इस बरसात में तीन सौ बीघा क्षेत्र में पानी की आवक हुई है। इससे इन कहार परिवारों में खुशी की लहर है। इन्हे अब फसल अच्छी पकने की आस बंध गई है।लौहारिया तालाब में अतिक्रमण से रुक गई पानी की आवकउपखण्ड के लौहारिया तालाब में पानी की आवक बढाने के लिए तीन वर्ष पूर्व सांसद सीपी जोशी ने अपने निजी प्रयासों से ट्रेंच खुदवाई थी, इस ट्रेंच को केसरपुरा गांव के पास मिट्टी का भराव डालकर पाट देने से पानी की आवक रुक गई। ग्रामीणों ने बताया कि बीस वर्षो से रख-रखाव के अभाव में बंद पड़ी तीन किमी लम्बी ट्रेंच को तीन वर्ष पूर्व सांसद जोशी ने जनभागीदारी खुदवाकर ग्राम पंचायत के माध्यम से पुलियाओं का निर्माण कराया था। उस समय सिंचाई विभाग के पास बजट नहीं होने के कारण जोशी का यह सार्थक प्रयास सफल हुआ, उसी वर्ष लौहारिया बांध भर गया था। दूसरे वर्ष भी यह बांध लबालब भर गया था, लेकिन इस वर्ष गर्मि के मौसम में केसरपुरा गांव में पडौसी खेत मालिक ने इस ट्रेंच में भराव की मिट्टी डाल कर अवरूद्ध कर दिया, जिससे यह पानी बांध में आने के बजाय बरसाती नाले में जाने लग गया है, जिससे इतनी बरसात के बावजूद भी बांध आधा भी नहीं भर पाया है, जबकि इस बांध से भादसोड़ा कस्बे की पेयजल व्यवस्था तथा कूथणा की भी पेयजल आपूर्ति यहीं से होती है। ग्रामीणों ने इस सम्बंध में जिला कलक्टर से हस्तक्षेप कर ट्रेंच से मिट्टी हटवाकर सुचारू करने की मांग की।
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