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नाज है झुंझुनूं तुझ पर: दिवाली पर दरगाह में दीप जलते हैं तो मंदिर की छत से देखा जाता है ईद का चांद

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झुंझुनूं. हाथों में गीता रखेंगे, सीनों में कुरआन रखेंगे, मेल बढ़ाए जो आपस में, वही धर्म ईमान रखेंगे, शंख बजे भाईचारे का, अमन की एक अज़ान रखेंगे, काबा और काशी भी होगा, पहले हिन्दुस्तान रखेंगे……कुछ ऐसी ही संस्कृति में रचा बसा है हमारा झुंझुनूं।पूरे देश में अगर किसी को सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखनी है तो झुंझुनूं किसी से कम नहीं है।इस पर सभी को नाज है। भाईचारे विशेषता इतनी कि हर कोई गर्व करे।यहां जन्माष्टमी पर नरहड़ दरगाह में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है औरशोभायात्रा निकलती है।वहीं झुंझुनूं शहर में स्थित कमरुद्दीन शाह की दरगाह में दिवाली पर घी के दीपक प्रज्जवलित किए जाते हैं।चंचलनाथ टीले पर स्थित मंदिर की छत से एक साथ चांद का दीदार किया जाता है तो हर धर्म के कार्यक्रम में एक दूसरे का सम्मान व स्वागत किया जाता है।
नहीं टूटने देंगे भाईचाराझुंझुनंू. अयोध्या में राम मंदिर को लेकर शनिवार को आए फैसले के बाद संत समाज ने स्वागत किया है। संतों ने कहा कि न्यायालय ने जो फैसला दिया है, उसका हम सबको सम्मान करते हुए आपसी भाईचारों को बनाए रखना है। झुंझुनूं जिला सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है। यहां पर भाईचार नहीं टूटने दिया जाएगा।
इनका कहना है
अदालत ने जो फैसला दिया है, उसका सभी को सम्मान करना चाहिए। झुंझुनूं भाईचारे की मिशाल है। हम सभी त्योंहार मिलजुल कर मनाते हैं। ऐसे में सभी को भाईचारा बनाए रखना है।
एजाज नबी, गद्दीनशीन, दरगाह कमरूद्दीन शाह,
फैसला सबके हित में हुआ है। न्यायालय ने जो फैसला किया है उसका सबको सम्मान करना चाहिए। हमें आपसी भाइचारे व आपसी प्रेम को नहीं तोडऩा है।
ओमनाथ, महंत, चंचलनाथ का टीला
न्यायालय ने जो फैसला दिया है। उसका सभी समुदाय को सम्मान करना चाहिए। अब तक यह राजनीतिक मुद्दा बना हुआ था, अब इसका समाधान हो गया है।
अर्जुनदास, महंत, दादूद्वारा बगड़[MORE_ADVERTISE1]

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