सीकर/पाटन. रोजी-रोटी का सपना लेकर विदेश कमाने गए अयूब की 14 महीने की परेशानियों के बाद आखिरकार वतन वापसी हो गई है। कर्ज लेकर विदेश गए अयूब के सपने तो टूटे ही साथ ही बेटे की चिंता में अयूब के पिता ने भी दम तोड़ दिया। ऐसे में उसकी वतन वापसी की खुशी पर तंग हाली व पिता का साया उठने का गम ज्यादा भारी पड़ रहा है। लिहाजा अयूब अब तक सदमे में है। गौरतलब है कि पाटन निवासी अयूब खान को दिल्ली के एजेंट सुरेंद्र कुमार तथा रुबीना खान ने विदेश में अच्छी कमाई के सपने दिखाकर दिसंबर 2019 में मलेशिया के कुआलालंपुर भेजा था। अयूब से इसके बदले एक लाख 50 हजार रुपए लिए। कुआलालंपुर पहुंचने के बाद अयूब को एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया। दूतावास से संबंधित दस्तावेजों में कमी बताकर अयूब को 3 दिन तक एयरपोर्ट पर ही रखा गया। बाद में उसे वापस दिल्ली भेजा। अयूब ने जब इसकी शिकायत एजेंट से की तो उसने कहा कि अब कागजात सही कर दिए गए हैं तथा उसे 4 जनवरी को जयपुर से कुआलालंपुर भेज दिया गया। अयूब यहां से वेल्डर की पोस्ट के लिए गया था। लेकिन वहां उसे गद्दे बनाने वाली कंपनी में लोडिंग के काम में लगा दिया गया। एक माह तक काम करने के बाद उसे स्टोर कीपर का काम दे दिया गया। मार्च 2020 में कंपनी में कर्मचारियों के बीच जबरदस्त झगड़ा हुआ जिसमें बांग्लादेश के 3 नागरिकों की मौत हो गई। इस झगड़े के बाद यह कंपनी बंद हो गई। अयूब समेत लगभग 20 लोगों को उनके पासपोर्ट वीजा वर्क परमिट सहित कोई दस्तावेज नहीं दिए गए।
मदद की गुहार, उल्टा मिली जान से मारने की धमकी
पीडि़त ने दिल्ली में बैठे एजेंट सुरेंद्र व रूबीना को इसके बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि हम हमारा आदमी आपके पास भेज रहे हैं। इसके बाद उनके पास एक आदमी आया जिसने उन्हें कहा कि आपको दूसरी कंपनी में काम दिलवाया जाएगा। तब कुआलालंपुर से 50 किलोमीटर दूर एक जगह ले गया। जहां उनके साथ मारपीट की गई तथा शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी दी गई।
दस्तावेज नहीं होने पर छह महीने की हुई जेलपरेशान अयूब व उसके साथियों ने कोई रास्ता ना देख कर वहां काम कर रहे भारत के लोगों से संपर्क किया। इस पर कुआलालंपुर से 300 किलोमीटर दूर स्थित जोर बारु नामक स्थान पर एक कंपनी में काम के लिए बात कर ली। 15 लोग एक बस में बैठकर अवैध तरीके से जोर बारु के लिए रवाना हुए लेकिन जोर बारु से 15 किलोमीटर पहले पुलिस ने उन्हें रोक लिया। इनके पास दस्तावेज नहीं होने से इन्हें 6 माह की जेल की सजा सुनाई गई।
फिर जगी आस, मिली राहतइधर परिजनों को कोई सूचना नहीं मिलने पर उन्होंने जोधपुर निवासी रिश्तेदार सनवर हुसैन को अयूब के बारे में बताया। उन्होंने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह से संपर्क कर अपनी परेशानी बताई। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने इस मामले को अपने स्तर पर सुलझाया। अयूब सहित 16 भारतीय 28 मई को कुआलालंपुर से भारत के लिए रवाना हुए। पति को खो चुकी अयूब की मां बीमार हो गई थी। लेकिन बेटे की वापसी के बाद उसकी सेहत में सुधार है।
कर्ज से कमाने गए अयूब को मलेशिया में हुई जेल, 14 महीने बाद लौटा तो लगा पिता की मौत का सदमा
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