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VIDEO: जयपुर के पुलिस मालखाने में रखी है सीकर की सबसे पुरानी देवी मां की मूर्ति, महाअष्टमी पर लें वापस लाने का महासंकल्प

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सीकर. सीकर के सबसे पुराने देवी मां के मंदिर की मूर्ति जयपुर के शास्त्रीनगर पुलिस थाने में रखी है। सुभाष चौक स्थित गढ़ में मां राज राजेश्वरी मंदिर की स्थापना सीकर के संस्थापक राजा दौलत सिंह ने 1687 ई. में की थी। जिसमें कुलदेवी जमवाय माता की अष्टधातू की मूर्ति स्थापित की गई थी। मंदिर में पूर्व राजघराने के हर शख्स का धोक लगाने का अखंड नियम था। गढ़ से बाहर निकलने से पहले भी राजा मां का दर्शन करना नहीं भूलते थे। लेकिन, मां की वही मूर्ति करीब 25 साल पहले चोरी होने व जयपुर में बरामद होने के बाद से जयपुर के शास्त्रीनगर पुलिस थाने में रखी बताई जा रही है। जो पर्याप्त गवाहों- सबूतों व जागरुकता की कमी व शासन- प्रशासन की अनदेखी की वजह से मंदिर नहीं लौट पा रही।
मां की जगह गणेश जी रख गया चोर, तब से नहीं बदली मूर्तिमंदिर में राज राजेश्वरी मां की दो मूर्ति थी। जिसमें मुख्य मूर्ति अष्टधातु की थी। राजघरानों के समय तक तो मूर्ति सुरक्षित थी। लेकिन, करीब 25 साल पहले मुख्य मूर्ति चोरी हो गई। चोर मूर्ति के स्थान पर पास में विराजमान गणेशजी की मूर्ति रख गए। तब से अब तक वहां गणेशजी की छोटी सी मूर्ति ही प्रतिष्ठित है। चोरी हुई मूर्ति के इंतजार में दूसरी मूर्ति वहां अब तक नहीं रखी गई।
राज बढ़ाने पर कहलाई राज राजेश्वरीमां का नाम राज राजेश्वरी रखने की भी विशेष वजह है। दरअसल राजा दौलत सिंह ने इस मंदिर का नाम राजेश्वरी मंदिर ही रखा था। पर 1878 में राव शिव सिंह ने फतेहपुर पर धावा बोल उसे अपने साम्राज्य का हिस्सा बना लिया था। जिसे जमवाय माता का ही आशीर्वाद मान राव शिव सिंह ने माता का नाम ही राज दिलाने वाली यानी राज राजेश्वरी रख दिया। तब से मंदिर आज तक उसी नाम से जाना जा रहा है।
पहले पशुओं की, अब कद्दू व नींबू की बलिरजवाड़ों के समय यहां दशहरे पर पशु बलि चढ़ाने की परंपरा थी। राजा पशु का सिर और मदिरा यहां चढ़ाया करते थे। नवरात्र में नव दुर्गा के अखंड पाठ आयोजित होते थे। बलि की वह परंपरा मंदिर में अब भी कायम है। अंतर इतना है कि अब अष्टमी पर पशु की जगह कद्दु व नींबू को काट परंपरा निभाई जा रही है।
काले और गोरे भैरव के साथ विराजती है मातामंदिर में माता की मौजूदा दूसरी मूर्ति काले और गोरे भैरव के बीच में मुख्य मंडप के नीचे विराजित है। मंदिर के निर्माण के समय से तीनों मूर्ति ज्यों की त्यों प्रतिष्ठित है। बस मुख्य मूर्ति का ही इंतजार है।
रानी महल में मंदिर, राजा के लिए अलग रास्तामंदिर गढ़ स्थित रानी महल में बना हुआ है। जहां रानियों के पहुंचने के अलावा राजा के पहुंचने का दूसरा रास्ता था। दोनों ही रास्ते गढ़ में अब भी मौजूद हैं, लेकिन बंद कर दिए गए हैं।महाअष्टमी पर सीकर ले मां को घर लाने का ‘महा संकल्प’मां राज राजेश्वरी की मूर्ति वापस लाने के लिए पुजारी कुंज बिहारी जलधारी काफी दौड़ धूप कर चुके हैं। जयपुर थाने से लेकर पुलिस अधिकारियों व राजनेताओं तक चक्कर काट चुके हैं। लेकिन, हर स्तर पर अनदेखी की वजह से मूर्ति वापस नहीं आ पा रही। इस महाअष्टमी को यदि सीकर की जनता व जनप्रतिनिधी संकल्प लें तो मां को फिर घर लाया जा सकता है।
इनका कहना है:सीकर की स्थापना के साथ बने मां राज राजेश्वरी की मर्ति चोरी होने के बाद से जयपुर के शास्त्रीनगर थाने में रखी है। लेकिन, पर्याप्त सबूतों व सहयोग की कमी की वजह से वह वापस नहीं लाई जा पा रही। कुंज बिहारी जलधारी, पुजारी, राज राजेश्वरी मंदिर, सीकर

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