सीकर/खाटूश्यामजी. खाटूश्यामजी के फाल्गुनी लक्खी मेले में एकादशी पर रंगों से रंगे व भावों से भरे भक्त बाबा श्याम में एकीभाव हो गए। सलोने श्याम मानो साकार और भक्त उनमें एकाकार हो गए। उत्साह व उमंग में डूबा प्रेम पग-पग और रोम-रोम में उमग रहा था। नाचते-गाते भक्तों का आस्था से भरा आनंद व उल्लास भी ह्रदय में ना समाकर इत्र-फूलों की सौंधी सुगंध संग हर ओर उमड़-बिखर रहा था। नगर भ्रमण के बहाने भक्तों को मनोहारी दर्शन देने बाबा श्याम दर से बाहर निकले तो प्रेमी भक्त अपने प्रेमास्पद के प्रेम रस में तरबतर हो गए। नीले घोड़े पर सवार शीश के दानी जब नगर में निकले तो हजारों शीश समर्पण भरी श्रद्धा से झुक गए। उड़ते अबीर गुलाल, बरसते फूलों व जयकारों की गूंज के बीच अराध्य की एक झलक के लिए श्रद्धालुओं की आंख अपलक निहारती रही। शोभायात्रा व मंदिर में बाबा श्याम को जिसने भी देखा वो मनोहारी छवि में मतवाला हो गया, तो श्याम की भक्ति में तल्लीन भक्तों के सूक्ष्म भावों को समझने वाला भी निहाल हो गया। कोरोना वायरस की पाबंदियों व आशंकाओं के बीच भी करीब डेढ़ लाख लोगों ने एकादशी पर श्याम बाबा के धोक लगाई। जो इस साल मेले में अब तक की सबसे बड़ी संख्या रही।
भावों से बहके कदम , बिलख कर रो पड़ा भक्त…
बाबा श्याम के दर्शनों का संकल्प लेकर एक भक्त जब आंधी के थपेड़ों, बरसात की बौछारों, तपती धूप और झुलसा देने वाली सड़क की पीड़ा को पार करता हुआ एकादशी पर खाटू पहुंचा तो श्याम मिलन से पहले ही अपनी सुध- बुध खो बैठा। मंदिर के बाहर ही वह भाव विह्वल हो गया। पुलक से भरे तन में रोम- रोम में रोमांच भर गया। शरीर में एक सिहरन सी उठने के साथ चेहरे पर दीनता का भाव छा गया। मुंह से श्याम..श्याम पुकारते हुए उसकी आंखों में नमी उतर आई। भावों से बहकते कदमों से वह कुछ दूर चलता और फिर बिलख कर रो पड़ता। श्याम नाम की रट लगाते बाबा के दर की हर चौखट को चूमते हुए जब वह बाबा के सामने पहुंचा तब तो भक्ति के हर भाव मानो मूर्तिमान हो गए। आंसुओं की धारा से धुंधली हुई आंखों को वह मसल- मसल कर बाबा श्याम के दर्शन कर उनके रूप को उसी आंखों के रास्ते ह्रदय में उतारने लगा। भक्त व भगवान के इस मिलन को जिसने भी देखा वो भी भावों से भर गया। भीड़ को देखते हुए भक्तों को आगे बढ़ा रहे पुलिसकर्मियों ने भी जब यह दृश्य देखा तो उसे आगे बढ़ाने की हिम्मत एकबारगी तो वे भी नहीं कर पाए।
24 घंटे खुला रहा दरबारजहां कोविड गाइडलाइन के चलते मेले में 19 मार्च से मंदिर के कपाट रात्रि दस बजे बंद हो जाते थे, वहीं मुख्य मेले पर एकादशी को भक्तों की भीड़ को देखते हुए संपूण रात्रि मंदिर के कपाट दर्शनों के लिए खुले रहे।
रात को हुए जागरणएकादशी पर खाटूश्यामजी में भले ही सार्वजनिक भजन संध्याएं नहीं हुई, लेकिन धर्मशालाओं में भजन- कीर्तन का दौर जारी रहा। रातभर श्याम प्रेमी भक्त श्याम भजनों का रस लेते रहे।
27 से मंदिर के कपाट दर्शन के लिए बंद
श्री श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष शंभू सिंह चौहान ने बताया कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए होली व धुलंडी के दिन श्याम मंदिर के कपाट दर्शनों के लिए बंद रहेंगे। मंदिर कमेटी की ओर से निर्णय लेने के बाद कपाट फिर से खोले जाएंगे।
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