सीकर/पलसाना. कोरोना की दूसरी लहर का कहर इस कदर है कि प्रदेशभर के सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने की जगह तक नहीं मिल रही है। बेड नहीं मिल पाने की वजह से इलाज के अभाव में मरीजों की जान जा रही है, वहीं यहां हालात उलट है। सीकर जिले के पलसाना के सरकारी अस्पताल में बेड खाली पड़े हैं और चिकित्सकों के सरकारी आवासों पर मरीजों की भीड़ लगी है। यहां इस कदर ‘दुकानदारी’ चल रही है कि खुले में पेड़ के नीचे मरीजों को लिटा ड्रिप चढ़ाई जा रही है। यह सब अस्पताल के ओपीडी समय में चल रहा है। एक तरफ चिकित्सक अस्पताल में ड्यूटी देकर ओपीडी में मरीज देख रहे होते हैं, उसी दौरान उनके आवासों पर भी समानान्तर अस्पतालों का संचालन हो रहा है। वहां बैठे युवक मरीजों से जमकर चांदी कूट रहे हैं।
दरअसल, कस्बे के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर इन दिनों ओपीडी समय में अस्पताल आने वाले मरीजों को उपचार के नाम पर कुछ दवाएं लिखकर टरका दिया जाता है। इसके बाद जब मरीज को फायदा नहीं मिलता तो मरीज चिकित्सकों के आवास पर जाते हैं। इस दौरान चिकित्सक या उनके रखे हुए युवक मरीज को कुछ देर के लिए भर्ती करने की सलाह देकर अपने आवास पर ही ड्रिप चढा मरीज की जेब ढीली कर रहे हैं। सोमवार सुबह जब पत्रिका टीम अस्पताल पहुंची तो चिकित्सा अधिकारी डॉ नितेश शर्मा, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ पीडी बराला व चिकित्सा अधिकारी डॉ रामस्वरूप मीणा एकबारगी अस्पताल की ओपीडी शुरू कर अपने आवास पर चले गए थे। टीम ने चिकित्सकों के आवासों पर जाकर फोटोग्राफी की तो चिकित्सक वहां से निकलकर अस्पताल पहुंच गए। इस दौरान डॉ नितेश शर्मा के आवास पर एक महिला और एक पुरुष को भर्ती कर ड्रिप चढ़ा रखी थी। वहीं डॉ रामस्वरूप मीणा के आवास पर 5-7 मरीजों को भर्ती कर रखा था और 10-12 लोग उपचार के लिए आवास के बाहर खड़े थे। वहां पर तीन युवक मरीजों के ड्रिप चढ़ाने और इंजेक्शन लगाने का काम देख रहे थे। डॉ पीडी बराला के आवास का भी यही हाल था। छह-सात मरीजों को भर्ती कर ड्रिप लगाई हुई थी और कई लोग उपचार के लिए आवास पर खड़े थे। यहां पर भी एक युवक ड्रिप व इंजेक्शन लगाने का काम कर रहा था।
एक मरीज से ले रहे 700 से 1200 रुपएप्रदेश के सीएचसी स्तर के अस्पतालों में करीब 37 प्रकार की जांचें निशुल्क है। कई दवाइयां भी निशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही हैं। मरीज को भर्ती कर उपचार की सुविधा भी है, लेकिन पलसाना में डॉक्टर अस्पताल में भर्ती करने की बजाय मरीजों को अपने सरकारी आवास पर कुछ देर के लिए भर्ती कर उपचार के नाम पर सात सौ से बारह सौ रुपये तक ऐंठ रहे हैं।
खुले में बेंचों पर लिटाकर कर रहे उपचारचिकित्सकों के आवासों पर मरीजों को भर्ती करने की सुविधा नहीं है लेकिन मरीजों को लोहे की बेंचों पर लिटाकर ही ड्रिप लगाई जा रही है। इस दौरान जगह कम पडऩे पर कई मरीजों को तो खुले में बैठाकर ही ड्रिप लगाई जाती है। जो मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसके बावजूद चिकित्सक मरीजों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
तब चिकित्सकों को किया था एपीओ
चिकित्सकों के आवासों पर समानान्तर अस्पताल संचालित करने की शिकायतों पर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के तत्कालीन चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान ओपीडी समय में चिकित्सकों के आवासों पर मरीज भर्ती मिले थे। जिस पर कार्रवाई करते हुए दो चिकित्सकों को एपीओ कर दिया था। कुछ दिन व्यवस्था ठीक चली लेकिन बादमें वही ढर्रा हो गया।—-
जरा पढ़ें, क्या कहा चिकित्सकों ने…ऐसा है तो बंद करवा देंगे
लॉकडाउन की वजह से सुबह के समय अस्पताल में काफी भीड़ रहती है। सुबह जल्दी के आए हुए मरीजों का ही आवास पर उपचार चल रहा था। ओपीडी समय पर तो अस्पताल में ही मरीजों को देखते हैं। फिर भी ऐसा किसी चिकित्सक के आवास पर हो रहा है तो बंद करवा देंगे।- डॉ. पीडी बराला, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, सीएचसी पलसाना
मरीज घर पर ही दिखाना चाहते हैं…मरीज घर पर ही दिखाना चाहते हैं तो उनको रोक तो नहीं सकते। सुबह जल्दी के आए हुए मरीज थे उनका उपचार घर पर चल रहा था। सुबह दवाई लिखी हुई होती है, उनके अनुसार कंपाउंडर पीछे से देखते रहते हैं। ओपीडी समय में अस्पताल में ही मरीजों को देखते हैं।
डॉ रामस्वरूप मीणा, चिकित्सा अधिकारी, सीएचसी पलसाना
ड्रिप लगाने को मन कर रखा है…
ओपीडी समय में तो अस्पताल में ही था। मेरे घर पर बीएससी नर्सिंग किया हुआ युवक काम करता है। उसे मैंने ड्रिप लगाने के लिए मना कर रखा है। क्योंकि कोविड में इससे इन्फेक्शन फैलने का खतरा रहता है।डॉ नितेश शर्मा, चिकित्सा अधिकारी, सीएचसी पलसाना
जांच करवा दोषियों पर कार्रवाई करेंगे
पलसाना सीएचसी में मरीज को भर्ती करने की बजाए चिकित्सकों की ओर से घर पर उपचार किया जा रहा है तो गलत है। शिकायत मिलने पर मामले की जांच करवा दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।- डॉ हर्षल चौधरी, एसीएमएचओ सीकर
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