सीकर. गत वर्ष 31 दिसम्बर से शुरू हुए पौष माह का समापन 28 जनवरी को हो रहा है। पौष मास में सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व माना जाता है। इस दौरान गर्म व्यंजनों का भोग लगाने की प्रथा भी है। लेकिन शेखावाटी में इस आयोजन को व्यापक रूप में किया जाता है। पौष माह लगते ही हर गली मोहल्लों में सामूहिक रूप से ‘पौष बड़ा महोत्सव’ आयोजित किए जाते हैं।
क्या है पौष बड़ा महोत्सवपौष माह में गर्म व्यंजनों के रूप में मूंग-चवला-मौठ के बड़े तैयार कराए जाते हैं। साथ में मूंग, सूजी व गाजर का हलवा भी मीठे के रूप में बनाया जाता है। साथ में हरे धनिये की चटनी व बेसन के भजिए भी तले जाते हैं।
खुले हाथों से बांटे जाते हैं बड़ेपौष बड़े समेत सभी व्यंजन बनने के बाद उस गली मोहल्ले के बड़े बुजुर्ग या पंडित उसका भोग लगाकर इस आयोजन की शुरुआत करता है। बड़े-बड़े कड़ाहों में तैयार इन व्यंजनों को राह चलते सभी लोगों को वितरित किया जाता है।
सामूहिक चंदा भीपौष माह आने से पहले ही इसके लिए सामूहिक चंदा किया जाता है। सभी अपने सामथ्र्य से इसमें भाग लेते हैं। युवा से लेकर बुजुर्ग तक इसके लिए स्वत: ही आगे आते हैं। कई मोहल्लों में तो इसके लिए स्थानीय स्तर पर समितियां तक बनी हुई हैं।
बनवाने की जिम्मेदारी भी अनुभवी हाथों कोपौष बड़ा महोत्सव के आयोजन के लिए यूं तो सभी तत्पर रहते हैं लेकिन व्यंजनों को तैयार करवाने के लिए अनुभवी लोगों को चुना जाता है। बाकायदा हलवाई और अन्य साथी भी होते हैं। भगवान का स्मरण करते हुए सभी प्रक्रिया पूरी की जाती है।
इस दौरान भजन-कीर्तन भीपौष माह में इस तरह के महोत्सव के दौरान भजन कीर्तन भी किए जाते हैं। महिलाएं पुरुष सब भाग लेते हैं। मंदिरों व मोहल्लों में अलग-अलग स्थानों पर कीर्तन के आयोजन होते हैं। एक तरह से उल्लास का माहौल रहता है।
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