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समझें क्या है योगी सरकार का एंटी-लव जिहाद अध्यादेश

लव जिहाद पर जारी बहस के बीच उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने धर्म परिवर्तन से जुड़ा अध्यादेश पारित कर दिया है. इस अध्यादेश में लव जिहाद का जिक्र नहीं है लेकिन प्रावधान ऐसे हैं कि अगर कोई धर्म छुपाकर या किसी लड़की का जबरन धर्मांतरण कराता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. इस अध्यादेश का नाम उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 है.
आइए जानते हैं अध्यादेश के महत्वपूर्ण बिंदु
ये अध्यादेश मुख्य रूप से धर्म परिवर्तन से जुड़ा है. अगर कोई किसी भी व्यक्ति का जबरन या लालच देकर धर्म परिवर्तन कराता है तो सजा दी जाएगी. अगर सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन कराया जाएगा तो शादी कैंसल कर दी जाएगी. इस अध्यादेश को जरूर लव जिहाद के खिलाफ कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है लेकिन अध्यादेश के प्रारूप में ऐसे शब्द का इस्तेमाल नहीं है. न ही किसी धर्म विशेष की बात अध्यादेश में की गई है. यानी ये अध्यादेश धर्म परिवर्तन से जुड़े हर मामले में लागू होगा चाहे वो किसी भी धर्म से जुड़ा मामला हो.
अध्यादेश में कहा गया है कि ऐसे धर्म परिवर्तन को अपराध माना जाएगा जो झूठ, जोर-जबरदस्ती, लालच या दूसरे किसी गलत तरीके से किया गया हो या शादी के लिए धर्म परिवर्तन किया गया हो, ऐसा धर्म परिवर्तन गुनाह माना जाएगा और इस कानून के तहत सजा दी जाएगी. नाबालिग और अनुसूचित जाति/जनजाति की लड़कियों और महिलाओं का धर्म परिवर्तन कराने पर वृहद दंड का प्रावधान तय किया गया है यानी कि ऐसे मामलों में कड़ी सजा दी जाएगी. अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं कि किसी नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर खासकर शादी के लिए धर्म परिवर्तन कराया गया है. अब इस तरह के मामलों में सख्त एक्शन होगा.
अगर कोई संगठन सामूहिक तौर पर धर्म परिवर्तन कराता है तो ये भी अपराध माना जाएगा. ऐसे मामलों में संबंधित संगठन का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा और साथ ही कठोर कार्रवाई की जाएगी. अगर कोई ये कहता है कि जबरन या लालच देकर या शादी की वजह से धर्म परिवर्तन नहीं कराया गया है तो ऐसे मामलों में धर्म परिवर्तन कराने वाले व्यक्ति और धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को सबूत पेश करने होंगे. यानी स्वेच्छा से किया गया धर्म परिवर्तन भी साबित करना पड़ेगा कि उसमें स्वेच्छा थी.
अगर सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन किया जाएगा तो वह मान्य नहीं होगा. ऐसे विवाह को भी शून्य माना जाएगा यानी कि कानून ऐसी शादी नहीं मानी जाएगी. ऐसे कुछ केस सामने आते रहते हैं जिनमें शादी के लिए धर्म परिवर्तन किया जाता है, अब ऐसा करने पर शादी ही नहीं मानी जाएगी. अध्यादेश में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर किसी को धर्म परिवर्तन करना है तो दो महीने पहले इसकी सूचना जिला मजिस्ट्रेट को देनी होगी. यानी धर्म परिवर्तन की हर सूचना पहले प्रशासन के पास जाएगी. इसका मतलब ये हुआ कि बिना प्रशासन की अनुमति के स्वेच्छा से भी कोई धर्म परिवर्तन नहीं कर सकेगा.
अगर इस नियम का उल्लंघन कर बिना मजिस्ट्रेट को बताए किसी ने भी धर्म परिवर्तन किया तो सजा दी जाएगी. ऐसे मामलों में 6 महीने से लेकर 3 साल तक की सजा का और आर्थिक दंड का प्रावधान होगा. अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को 2 महीने पहले सूचना देने के अलावा सक्षम पदाधिकारी के सामने इस बात की घोषणा भी करनी होगी कि वह धर्म परिवर्तन करना चाहता है या चाहती है. यानी सिर्फ लिखित सूचना देने से काम नहीं चलेगा बल्कि अधिकारी के सामने जाकर बयान देना पड़ेगा कि धर्म परिवर्तन करना चाहते हैं.
धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को अधिकारी के सामने यह घोषणा भी करनी होगी कि वह बिना किसी लालच और बहकावे में आए धर्म परिवर्तन कर रहा है या कर रही है. धर्म परिवर्तन के इच्छुक होने पर अगर जिला मजिस्ट्रेट को दो महीने पहले सूचना नहीं दी जाती है तो ऐसा करने पर 6 महीने से 3 साल तक की सजा होगी. जबकि 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. धर्म परिवर्तन से जुड़े इस कानून का उल्लंघन करने पर कम से कम 1 साल और अधिक से अधिक 5 साल की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा सजा के साथ 15000 रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा.
नाबालिग महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के धर्म परिवर्तन के मामले में कम से कम 3 साल और ज्यादा से ज्यादा 10 साल तक की जेल हो सकती है. ऐसे मामलों में जुर्माना भी ज्यादा है. इस तरह के केस में 25000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. अगर कोई सामूहिक तौर पर धर्म परिवर्तन का दोषी पाया जाता है तो 3 से लेकर 10 साल तक की जेल होगी. जबकि जुर्माना कम से कम 50 हजार रुपये होगा. यानी सामूहिक तौर पर ज्यादा संख्या में धर्म परिवर्तन से जुड़े मामलों में सजा और जुर्माना ज्यादा रखा गया है.
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