सीकर. शेखावाटी ऊंटों की तस्करी का गढ़ व मुख्य मार्ग बनता जा रहा है। बीकानेर व चूरू सहित पश्चिमी जिलों से ऊंट खरीदकर तस्कर शेखावाटी के रास्ते हरियाणा व उत्तर प्रदेश से लेकर दक्षिण भारत व बांग्लादेश तक पहुंचा रहे हैं। पिछले चार महीने में अकेले सीकर में ही ऊंट तस्करी के तीन मामले पकड़े जा चुके हैं। जबकि चूरू व झुंझुनूं में भी चार कार्रवाई हो चुकी है। रेगिस्तानी इलाकों से तस्कर 10 से 25 हजार रुपए में ऊंट खरीद कर इन्हें एक से दो लाख रुपए में बेच रहे हैं। सोमवार को भी रानोली थाना पुलिस ने कंटेनर में 23 ऊंट- ऊंटनियों को ले जाते चार तस्करों को गिरफ्तार किया। जो राज्य पशुओं का मुंह व पैर बांधकर ठसाठस भरकर ले जा रहे थे। आरोपियों ने ऊंटों को चूरू के सांडवा कस्बे से फिरोजपुर ले जाना कबूला है। जो आठ से 20 हजार रुपए तक की कीमत में खरीदे गए थे। रानोली थानाधिकारी कैलाश चंद्र ने बताया कि आरोपी हरियाणा के नूह जिले के के पुनाहना थाना इलाके के तालिम (22) पुत्र निजर, शहजाद (22) पुत्र नूर मोहम्मद , मोबीन (37) पुत्र दिनू तथा अलवर के तिजारा तहसील का अरखल का बास ढाकपुरी निवासी मुफित (22) पुत्र मजीद को गिरफ्तार कर जांच शुरू कर दी गई है।
हिल तक नहीं पा रहे थे ऊंट, चारा भी नहीं दियाथानाधिकारी कैलाश चंद्र ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर कंटेनर को बधाला की ढाणी के पास नाकाबंदी कर रुकवाया गया था। जिसमें तलाश लेने पर 23 ऊंट बंधे हुए मिले। कंटेनर में उनके लिए चारे की व्यवस्था भी नहीं थी। उन्हें इस कदर ठूंसकर भरा गया था कि वे हिल भी नहीं पा रहे थे। लिहाजा राजस्थान ऊंट अधिनियम 2015 के साथ पशु क्रुरता निवारण अधिनियम के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया है।
चार महीने में तीसरी कार्रवाईसीकर जिले में ऊंट तस्करों के खिलाफ चार महीने में ही यह तीसरी कार्रवाई है। इससे पहले जुलाई महीने में लक्ष्मणगढ़ में तस्करी के लिए ले जाए जा रहे 10 ऊंट पकड़े गए थे। जिनके दक्षिण भारत ले जाए जाने की बात सामने आई थी। इसके बाद 12 सितंबर को सदर थाना पुलिस ने पालवास रोड पर ट्रक में 16 ऊंट ले जाते तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद सोमवार को रानोली थाना पुलिस ने 23 ऊंट आजाद करवाए हैं।
दक्षिण भारत तक एक लाख, बांग्लादेश तक दो लाख कीमत
तस्कर रेगिस्तानी इलाकों से ऊंट 10 से 25 हजार में खरीदते हैं। जिन्हें हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश व पश्चिमी बंगाल से लेकर बांग्लादेश तक पहुंचाया जाता है। दूरी के हिसाब से इनकी कीमत बढ़ती जाती है। मसलन बैंगलूरू, हैदराबाद व पश्चिमी बंगाल तक ऊंट की कीमत एक लाख रुपए तक मिलती है तो बांग्लादेश पहुंचने तक इनकी कीमत दो लाख रुपए तक हो जाती है। लक्ष्मणगढ़ में पकड़े गए आरोपियों ने ऊंटों को आगरा से मध्यप्रदेश होते हुए हैदराबाद ले जाने की बात कबूली थी। जबकि फरवरी में झारखंड के पाकुड़ में पकड़े गए अन्र्तराज्यीय गिरोह ने राजस्थान से दिल्ली, यूपी, बिहार व झारखंड होते हुए पश्चिम बंगाल व बांग्लादेश तक ऊंट की तस्करी स्वीकारी थी। चूरू से हरियाणा व यूपी होते हुए बांग्लादेश तक ऊंट तस्करी के ट्रांजिट रूट बनने की बात उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठ़ौड भी विधानसभा में हाल में कह चुके हैं।
इन वजहों से बढ़ रही ऊंट की तस्करी
– ऊंट के मांस में प्रोटीन ज्यादा व वसा कम होने से मीट उद्योग में मांग बढऩा।
– ऊंट के बूढे व नकारा होने पर सरकारी सहायता नहीं मिलने व मशीनी युग में गाड़ी व हल में उपयोगिता कम होने पर पशुपालकों द्वारा ऊंटों को बेचा जाना।
– गोशालाओं की तरह ऊंट शाला नहीं होने से ऊंट संरक्षण नहीं होना।
-ऊंट पालकों के लिए विशेष अनुदान नहीं मिलना।
– रख रखाव की परेशानी की वजह से पुलिस द्वारा भी ऊंट तस्करी के खिलाफ कार्रवाई से बचना।
-ऊष्ट्र प्रजनन प्रोत्साहन योजना का लाभ बंद होना।
आंकड़ों में ऊंट
– दुनियां में 40 लाख ऊंट है।
– देश के 84 फीसदी ऊंट राजस्थान में है।
प्रदेश में यूं घट रहे ऊंट
वर्ष ऊंटों की संख्या
1992 7.46 लाख
1997 6.69 लाख
2003 4.98 लाख
2007 4.22 लाख
2012 3.26 लाख
2019 2.13 लाख
2021 करीब 2 लाख
पुलिस भी नहीं खपाना चाहती माथा
ऊंट तस्करी को पकडऩा पुलिस के लिए भी भारी माथा पच्ची का काम है। ऐसे में पुलिस भी ऐसे गिरोह को पकडऩे के बजाय बचने का प्रयास करती है। सबसे बड़ी समस्या ऊंटो को पकडऩे के बाद उनको थाने में रखने और उनके चारे-पानी की व्यवस्था करना है। पिछले दिनों सीकर में हुई कार्रवाई के बाद पुलिस अपने स्तर पर थाने में उनके चारे-पानी की व्यवस्था की। बाद में उन्हें गौशाला भेजा गया, लेकिन गौशाला संचालकों ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए। बाद में किसी सामाजिक संगठन के माध्यम से ऊंटो को दूसरे जिले में सुपर्द किया गया।
10 से 25 हजार के ऊंटों के बांग्लादेश में मिल रहे दो लाख, शेखावाटी बन रहा तस्करी का गढ़
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