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ट्रक ड्राइवर का बेटा बना आईएएस, कहा- पिता ने मुझे भी सही ‘ड्राइव’ किया

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सीकर. आइएएस परीक्षा में 152वीं व ओबीसी में 28वीं रैंक के साथ आइएएस परीक्षा पास करने वाले कटराथल निवासी राकेश ख्यालिया की सफलता में पिता व माता का अहम रोल रहा है। बकौल राकेश कभी ट्रक ड्राइवर रहे पिता अशोक कुमार ख्यालिया ने उन्हें भी सही दिशा में ड्राइव किया। बैंक ऑफ अमेरिका की जॉब छोड़कर आइएएस की तैयारी करते समय साथियों की बड़ी कंपनियों में नियुक्ति से उन्हें कई बार अपना फैसला गलत लगता। लेकिन, पिता की प्रेरणा व संबल ने उन्हें फैसले से डिगने नहीं दिया। फिर मां भी हर निराशा दूर कर देती। जिसकी वजह से ही दूसरे प्रयास में ही मैं सफल हो पाया। पेश है पत्रिका से बातचीत के अंश……..।
स. आइएएस तक का सफर कैसे पूरा हुआ?ज. दौलतपुरा में हिंदी मीडियम स्कूल से आठवीं, फिर सीकर के एक स्कूल से 12वीं पास के बाद कानपुर आइआइटी से इंजीनियरिंग के दौरान ही मुंबई में बैंक ऑफ अमेरिका में जॉब मिल गई। एक साल जॉब के बाद आइएएस की तैयारी शुरू की। 2019 के पहले प्रयास में मुख्य परीक्षा में एक अंक से रहने के बाद 2020 में फिर परीक्षा दी। जिसमें सफलता मिल गई।
स. इंजीनियरिंग फील्ड से आइएएस की तरफ झुकाव कैसे हुआ?ज. आइटीआई कॉलेज में थर्ड ईयर में टेक्नीकल फेस्टीवल का आयोजन हुआ था। जिसके प्रबंधन का जिम्मा मुझे सौंपा गया था। करीब ढाई करोड़ के बजट के कार्यक्रम के सफल संचालन से मुझमें प्रबंध से जुड़े कार्य करने का आत्मविश्वास व रुचि दोनों बढ़ गई। फिर सामाजिक क्षेत्र में भी कुछ करने की इच्छा थी। लिहाजा परिवार से राय मशविरा कर जॉब छोड़कर यूपीएससी की तैयारी में जुट गया।
स. यूपीएससी की तैयारी कैसे की?
ज.पहले मुंबई से दिल्ली आया। फिर कोचिंग के साथ इस क्षेत्र के लोगों से मार्गदर्शन लेना शुरू किया। परिवार के संपर्क में रहता लेकिन, आठ घंटे की रोजाना की पढ़ाई के दौरान मोबाइल से दूर रहता। सोशल मीडिया पर भी निष्क्रिय रहा।
स.क्या जॉब छोड़कर तैयारी करना आसान रहाï?
ज. जब पहले प्रयास में चयन नहीं हुआ और इंजीनियर साथी बड़े पैकेज के साथ बड़ी कंपनियों में नियुक्ति ले रहे थे तो कभी कभी मन विचलित होता। लेकिन, सरकारी शिक्षक पद पर नियुक्ति से पहले लंबे समय तक ट्रक ड्राइवर रहे पापा मुझे भी सही दिशा में ड्राइव करते रहे। वे हमेशा कहते रहे कि पहले प्रयास में जो सफलता एक अंक दूर रही, वह मिलेगी जरूर। मां भी बात करते ही हर नकारात्मकता को दूर कर देती थी। ताऊजी राजेन्द्र ख्यालिया व अन्य परिजन भी काफी सहयोगी रहे।
स. आइएएस अफसर के तौर पर प्राथमिकताएं क्या रहेगीज. यूं तो प्राथमिकताएं नियुक्ति स्थान की आवश्यकताओं के हिसाब से ही तय होगी। पर मेरा विशेष ध्यान शिक्षा के क्षेत्र में सुधार पर होगा। क्योंकि शिक्षा पर ही व्यक्ति, समाज व देश का भविष्य निर्भर है।
स. शेखावाटी के युवाओं के लिए कोई संदेशज. धैर्य के साथ सही दिशा में मेहनत करो सफलता जरूर मिलेगी। यूपीएससी में सफलता हासिल करनी है तो संबंधित स्थानीय व बाहरी लोगों से मार्गदर्शन जरूर लेते रहे।
स. यूपीएससी के साक्षात्कार में कोई ऐसा सवाल जो यादगार हो?
ज. हां, सीकर के खनिज से जुड़ा एक सवाल घुमा फिराकर पूछा गया था कि ऐसा कौनसा खनिज है जो सीकर के अलावा एक अन्य देश में भी पाया जाता है और तीसरे देश की उस पर नजर है।

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