सीकर. प्रदेश में बेरोजगारों के भत्ते की आस भी कोरोना के फेर में उलझ गई है। ई-मित्र केन्द्रों पर चिरंजीवी योजना को छोड़कर अन्य कार्य बंद होने की वजह से प्रदेश के बेरोजगार युवा आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। दूसरी तरफ जिन बेरोजगारों ने पिछले महीने आवेदन किए थे उनके फार्म भी जांच के फेर में उलझे हुए है। रोजगार कार्यालय में पिछले दस दिनों से कामकाज लगभग पूरी तरह प्रभावित है। फिहाल प्रदेश के दो लाख से अधिक बेरोजगारों को भत्ते का इंतजार है। इधर, तीन लाख से अधिक युवाओं को स्नातक परीक्षा स्थगित होने की वजह से भत्ते की आस दूर हो गई है। पिछले साल प्रदेश के युवाओं को कोरोना की वजह लगभग छह महीने तक आवेदन नहीं कर पाए थे। इधर, सरकार ने इस वित्तीय वर्ष से नए प्रावधानों के तहत भत्ता बांटने की बात कही थी। लेकिन कोरोना की लहर शुरू होने की वजह से मामला पूरी तरह खटाई में पड़ गया।नया बदलाव: नहीं शुरू हो सका प्रशिक्षणसरकार ने इस वित्तिय वर्ष से बेरोजगारी भत्ते से पहले तीन महीने का बेरोजगारों को प्रशिक्षण देने की घोषणा की थी। कोरोना की वजह से युवाओं का प्रशिक्षण कार्यक्रम भी ज्यादातर जिलों में शुरू ही नहीं हो सका है। सरकार की योजना के अनुसार बेरोजगारों को पहले तीन महीने तक रोजाना चार-चार घंटे प्रशिक्षण मिलना है।हर साल दो लाख को भत्ताबेरोजगारी भत्ते की योजना से पहले प्रदेश के 1.60 लाख युवाओं को फायदा दिया जा रहा था। लेकिन सरकार की बजट घोषणा के अनुसार इस साल से प्रदेश के 2 लाख से अधिक बेरोजगारों को फायदा मिल सकेगा। इस योजना पर हर साल 650 करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च होनी प्रस्तावित है।प्रशिक्षण देने वाली कंपनियों की मजबूरीबेरोजगारों को नियमित रुप से प्रशिक्षण देने वाली कंपनियों की पीड़ा यह है कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से कामकाज पूरी तरह प्रभावित हो गया है। ऐसे में वह सैद्वांतिक कक्षाएं तो शुरू कर सकते हैं, लेकिन प्रायोगिक कक्षाऐं शुरू करने में दिक्कत आ रही है।
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