सीकर. आस्था, उजास और उल्लास के पर्व दिवाली पर इस बार कई अनूठे संयोगों का संगम होगा। ज्योतिष के मुताबिक यह संगम मां लक्ष्मी की कृपा बरसाने के साथ लोगों को बीमारियों से भी बचाएगा। पूजा से अशांत चित और पितृ भी शांत होंगे। दरअसल इस बार धनतेरस दो दिन रहेगी। वहीं, दिवाली पर दर्श और सोमवती अमावस्या एक साथ रहेगी। जिसेे सुख- संपति के लिहाज से सुखद योग माना जा रहा है। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि इस बार दीप पर्व पर 27 अक्टूबर को सूर्योदय कालीन चतुर्दशी तिथि है, जो दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक रहेगी। इसके बाद में अमावस्या तिथि शुरू होकर 28 अक्टूबर को सुबह नौ बजकर 10 मिनट तक रहेगी। चूंकि चतुर्दशी युक्त प्रदोष कालीन अमावस्या जो रात में रहती है वह दर्श अमावस्या कहलाती है। ऐसे में दिवाली पर दर्श और अगले दिन सोमवार होने पर सोमवती अमावस्या एक साथ होगी।शाम को होगी धनतेरसपांच दिवसीय दीपोत्सव में इस बार धनतेरस भी 25 अक्टूबर की शाम से शुरू होगी। क्योंकि इस दिन द्वादशी तिथि शाम 7.11 बजे तक है। ऐसे में इसके बाद धन तेरस शुरू होगी। जो 26 अक्टूबर को दोपहर 3.49 तक रहेगी। इसके बाद छोटी दिवाली की चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी।ग्रहों के शुभ संकेतपंडित मिश्रा के अनुसार दिवाली पर सूर्य ,शुक्र और चंद्रमा तुला राशि में चित्रा नक्षत्र में रहेंगे। संतुलित भाव की तुला राशि न्याय का प्रतीक है। इसके स्वामी शुक्र सौहार्द, सद्भाव और सम्मान के प्रतीक हैं। ऐसे में सूर्य ,शुक और चंद्रमा तीनों का तुला राशि में स्थित होना सुख और शांतिदायक माना गया है।साथ आएंगे सुख और संपतिदर्श अमावस्या की दिवाली सुख और संपति दोनों बढ़ाएगी। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक अमावस्या मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित दिन है। इसमें दर्श अमावस्या को विशेष फलदायी माना जाता है। इस योग में मन के कारक ग्रह चंद्रमा और पूर्वजों की पूजा करने से चित और पितृ दोनों शांत होते हैं। भाग्योदय होकर परिवार में हर तरह का सुख आता है। 25 से शुरू होगा पांच दिवसीय महोत्सवदिवाली का पांच दिवसीय महोत्सव 25 अक्टूबर से शुरू हो जाएगा। पहले दिन धनतेरस होगी। इसके बाद 26 को रूप चतुर्दशी व छोटी दिवाली और 27 को दिवाली मनाई जाएगी। 28 को गोवर्धन और 29 अक्टूबर को भाईदूज का पर्व मनाया जाएगा।
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