सीकर. मंत्रिमंडल में फेरबदल से कहीं खुशी कहीं गम जैसे हालात हो गए हैं। शेखावाटी के कई दिग्गजों के मंत्री पद से फिर दूर रहने पर सियासी हलकों में नई चर्चाएं शुरू हो गई है। हालांकि अंचल के कुछ नेताओं को अब भी कोई ना कोई ‘उपहार’ मिलने की उम्मीद है, तो कुछ में भीतरखाने खदबदाहट भी शुरू हो गई है। सबसे ज्यादा निराशा सीकर जिले को हाथ लगी है। क्योंकि सरकार की सियासी मजबूरियों का सबसे ज्यादा नुकसान सीकर व चूरू को हुआ है। जहां से कोई विधायक मंत्रीमंडल में शामिल नहीं हुआ। इसकी बजाय झुंझुनूं जिले को इसका पूरा फायदा मिला है। यहां बृजेन्द्र ओला व राजेन्द्र गुढ़ा को राज्यमंत्री की जिम्मेदारी मिलने के बाद झुंझुनूं जिले से ही राजकुमार शर्मा व जितेन्द्र सिंह को सीएम का सलाहकार भी बनाया गया है। नए समीकरणों में झुंझुनूं जिले के चार विधायकों को बड़ी जिम्मेदारी मिल चुकी है। हालांकि सीकर से एक विधायक को सचेतक, बोर्ड-आयोग में जगह मिलना लगभग तय माना जा चुका है। इधर, नए मंत्रिमण्डल के फैसले से नाराज शेखावाटी के कई विधायक आलाकमान को अपना दर्द बताने की तैयारी में है। सूत्रों की मानें तो विधायकों में नाराजगी इसलिए भी कि जब हेमाराम चौधरी पर उम्र सीमा का बंधन लागू नहीं है तो फिर सीकर जिले के विधायकों पर क्यों। सीकर के एक वरिष्ठ विधायक ने प्रभारी अजय माकन व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नाराजगी जताने के लिए फोन भी किए। लेकिन देर रात तक बातचीत नहीं हो सकी।
सीकर के वरिष्ठ विधायक सलाहकार व सचेतक बनने को तैयार नहीं
मंत्रिमण्डल में सीकर सहित कई कई जिलों की भागीदारी नहीं होने का मामला आलाकमान तक पहुंच गया। इस दौरान सामने आया कि सीकर में सभी वरिष्ठ विधायकों ने सिर्फ मंत्रिमण्डल में ही जगह देने की मांग शुरूआत से कर रखी थी। कोई भी वरिष्ठ विधायक सीएम का सलाहकार व सचेतक बनने को भी राजी नहीं है। ऐसे में शेखावाटी का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए झुंझुनूं के दो विधायकों को सलाहकार बनाया गया। सूत्रों की मानें तो अब एक वरिष्ठ विधायक ने बोर्ड व आयोग में भी जगह लेने से साफ मना करने की तैयारी कर ली है।
अब पहली बार जीतने वाले पर दांव खेलने की तैयारीवरिष्ठ विधायकों का तालमेल नहीं बैठने पर अब आलाकमान ने सीकर के पहली बार चुनाव जीतने एक विधायक को बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी कर ली है। सूत्रों की मानें तो इनको बोर्ड, आयोग या सचेतक की जिम्मेदारी मिल सकती है। इसके जरिए शेखावाटी के साथ प्रदेश में जातीय समीकरणों को सांधने की भी तैयारी है।
एक विधायक ने अब आगे बढ़ाया बेटे का नाममंत्रिमण्डल 2.0 में नाम शामिल नहीं होने से नाराज वरिष्ठ विधायक को जब आलाकमान से थोड़ा और धैर्य रखने का संदेश मिला तो उन्होंने अपने बेटे का नाम आगे बढ़ाया है। वहीं विधायक पुत्र ने भी पूरी लॉबिंग करने की तैयारी कर ली है। उन्होंने बेटे को बोर्ड या किसी आयोग में अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा है।
झुंझुनूं के दो विधायकों को इन समीकरणों से फायदा
राजकुमार शर्मा: संकट में नहीं छोड़ा सरकार का साथनवलगढ़ विधायक राजकुमार शर्मा ने सरकार के सियासी संकट के समय साथ नहीं छोड़ा। वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ डटे रहे। समर्थकों की ओर से लगातार राजकुमार शर्मा को मंत्री बनाने का दवाब था। जातीय समीकरणों की वजह से शर्मा को जगह नहीं मिल सकी। ऐसे में आलाकमान ने सीएम का सलाहकार बनाकर संतुष्ट किया है। शर्मा पिछले गहलोत मंत्रिमण्डल में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के मंत्री रह चुके है।
जितेन्द्र सिंह: जातीय समीकरण के साथ वरिष्ठता का फायदा
पिछली कांग्रेस सरकार में जितेन्द्र सिंह ऊर्जा मंत्री रह चुके है। जातीय समीकरणों का जितेन्द्र सिंह को आखिरकार फायदा मिला है। सिंह भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल थे। लेकिन शकुन्तला रावत को महिला कोटे से जगह मिलने की वजह से उनके नाम पर मुहर नहीं लग सकी। ऐसे में वरिष्ठता का ध्यान रखते हुए आलाकमान ने सीएम का सलाहकार बनाया है।
इधर, झंझुनूं में खुशियां, सीकर-चूरू में इंतजार
झुंझुनूं विधायक बृजेंद्र ओला व उदयपुरवाटी विधायक राजेंद्र गुढ़ा को दूसरी बार राज्यमंत्री बनने का मौका मिलने और राजकुमार शर्मा व जितेन्द्र सिंह सलाहकार की जिम्मेदारी मिलने पर झुंझुनूं जिले के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह दिखा। कार्यकर्ताओं ने जमकर आतिशबाजी कर जश्न मनाया। जबकि सीकर व चूरू जिले के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ऐसी सियायी खुशियों का फिलहाल इंतजार है।
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