सीकर. प्रदेश में सरकार चाहे किसी भी दल की रही हो, लेकिन कार्यकर्ताओं को समय पर सम्मान नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश में कोरोनाकाल में एक साल से जारी सियासी संक्रमण के बीच अब कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ कई विधायकों की ओर से भी कमेटियों के गठन की मांग उठाई जाने लगी है। कोरोना की दूसरी लहर के बाद सरकार ने सोमवार से नगर निकायों की सूची अनलॉक करना तो शुरू कर दिया, लेकिन अभी भी राज्यस्तरीय बोर्ड-आयोग के साथ जिलास्तरीय कमेटी खाली हैं। इन कमेटियों के जरिए लगभग 20 हजार कार्यकर्ताओं को आसानी से नियुक्ति दी जा सकती है। सियासी जानकारों का कहना है कि हर सरकार में अमूमन डेढ़ से दो साल सियासी समीकरण सुलझाने में लग जाते हैं। इस वजह से हर सरकार में कार्यकर्ताओं को समय पर सम्मान नहीं मिल पाता है।
भाजपा: दो से चार साल में नियुक्तिप्रदेश में भाजपा सरकार के कार्यकाल में भी दो से तीन साल बाद बोर्ड व आयोग की नियुक्ति हो सकी। कई जिलों में आखिरी साल तक भी कमेटियों में कार्यकर्ताओं को नियुक्ति दी गई। हालांकि भाजपा सरकार में प्रमुख बोर्ड व आयोगों की जिम्मेदारी सवा दो साल से लेकर तीन साल के बीच दी गई।
कांग्रेस: अब नियुक्ति अनलॉक करने का दावा
कांग्रेस की ओर अब राजनीतिक नियुक्तियों को अनलॉक करने का दावा किया जा रहा है। खुद प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने सोमवार को सीकर में पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि जल्द जनता को बड़े फैसले देखने को मिलेंगे। सूत्रों की मानें तो अगले एक महीने में कई कमेटियों में राजनीतिक नियुक्तियां व मनोनयन होने की संभावना है।
सत्ता में आते ही कांग्रेस ने यूआइटी अध्यक्षों से लिए इस्तीफे, अब तक इंतजारकांग्रेस ने सत्ता में आने के साथ ही प्रदेश के नगर सुधार न्यासों में मनोनीत अध्यक्षों से इस्तीफे मांग लिए। इस बीच कई अध्यक्षों ने स्वत: ही इस्तीफे दे दिए। इस दौरान कांग्रेस ने सभी यूआइटी में जल्द अध्यक्ष लगाने का दावा किया था। लेकिन अभी तक इंतजार बना हुआ है।
194 पार्षद मनोनीत, अभी 1200 खाली
प्रदेश के लगभग 213 नगर निकायों में 1400 से अधिक सहवृत सदस्यों (मनोनीत पार्षदों) की सीट रिक्त थी। कांग्रेस ने सोमवार को 194 पार्षदों की सूची जारी कर दी। अभी 1200 मनोनीत पार्षद और नियुक्त होंगे। इनके लिए विधायकों से नाम मांगे गए हैं।
अब तक कवायद: आरपीएससी व चयन बोर्ड में अध्यक्ष नियुक्तसरकारी विभागों में भर्तियों को समय पर पूरा कराने के दावे को लेकर सरकार की ओर से आरपीएससी में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति की गई है। इसके अलावा सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी को राजस्थान अधीनस्थ चयन बोर्ड में अध्यक्ष का जिम्मा दिया गया।
जिलों में कलक्टरों के पास 60 कमेटियों तक का जिम्मा
जिले में रसद, महिला एवं बाल विकास, साक्षरता, शिक्षा, वन व खेल सहित अन्य विभागों की 60 से अधिक कमेटियां हैं। लेकिन इनमें नियुक्ति नहीं होने की वजह से जिला कलक्टरों के पास जिम्मा है। कई कमेटी तो ऐसी है जिनकी तीन महीने के बजाय आठ-नौ महीने में भी एक बार बैठक नहीं हो रही। एक्सपर्ट का कहना है कि यदि सरकार जल्द इन कमेटियों में सदस्यों को नियुक्त करें तो आमजन को राहत मिलने के साथ विभाग के कार्यों में भी गति आ सकती है।
45 से अधिक बोर्ड-आयोग खाली, अफसरों के भरोसे व्यवस्थाप्रदेश में फिलहाल राज्यस्तरीय बोर्ड, आयोग व समितियां सहित 45 से ज्यादा अहम पद खाली है। इस वजह से इनका जिम्मा अफसरों के भरोसे ही है। प्रदेश में फिलहाल जन अभाव अभियोग निराकरण समिति, समाज कल्याण बोर्ड, उपाध्यक्ष 20 सूत्री कार्यक्रम, अल्पसंख्यक आयोग, राज्य महिला आयोग, राजस्थान डांग विकास बोर्ड, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, राज्य क्रीड़ा परिषद, राज्य बुनकर सहकारी संघ, पर्यटन विकास निगम, किसान आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, विकास प्राधिकरण, राज्य बीज निगम, पशु कल्याण बोर्ड, राजस्थान फाउण्डेशन, सफाई कर्मचारी आयोग, राज्य अन्य पिछड़ा आयोग, साहित्य अकादमी, उर्दू अकादमी, संस्कृत अकादमी, भाषा साहित्य संस्कृति अकादमी, ब्रज भाषा अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, सहकारी डेयरी फेडरेशन, वक्फ विकास परिषद, हज कमेटी, सहकारी भूमि विकास बैंक, सार्वजनिक प्रन्यास मंडल, जनजाति आयोग, सेंटर फोर डवलपमेंट ऑफ वॉलंटरी सेक्टर, सीनियर सिटीजन बोर्ड, मगरा क्षेत्रीय विकास बोर्ड, भूदान बोर्ड, युवा बोर्ड, माटी एवं शिल्प कला बोर्ड, लघु उद्योग विकास निगम, निशक्तजन आयोग, गौसेवा आयोग, पशुपालक कल्याण बोर्ड, मेला प्राधिकरण, विमुक्त घुमंतू जाति कल्याण बोर्ड सहित अन्य खाली हैं।
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