देश मंदी के दौर से गुजर रहा है और भारी मंदी की तरफ तेजी से बढ़ रहा है. प्राइवेट सेक्टर की हालत खस्ता है. सरकार ने आरबीआई से पैसा लिया है. देश के युवाओं को रोजगार के लिए दर-दर भटकने के बाद भी रोजगार मुहैया नहीं करा पा रही है सरकार. मंदी से उबरने के नाम पर फिर से सरकार ने कोई ठोस रणनीति और नीति बनाने की जगह कॉरपोरेट टैक्स में भारी छूट दी है.
चुनावी रैलियों में बार-बार युवाओं की, गरीबों की किसानों की बात करने वाली सरकार और खुद प्रधानमंत्री मोदी, लगातार उद्योगपतियों के लिए काम करते जा रहे हैं. आम जनता न्याय की आस छोड़ चुकी है.
सत्ता पक्ष के लिए प्रचार एजेंसी बन चुकी मीडिया को अगर साइड में रख दिया जाए तो, देश बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है. इसी बीच प्रधानमंत्री मोदी देश का अथाह पैसा खर्च करके #HowdyModi कार्यक्रम के माध्यम से देश की तमाम समस्याओं और मुद्दों से देश और दुनिया का ध्यान हटाने की अपनी तरफ से कोशिश कर रहे हैं. मीडिया को लगभग 1 हफ्ते का मुद्दा दिया है.
मीडिया में ऐसी खबरें दिखाई जा रही थी कि #HowdyModi कार्यक्रम से पहले अमेरिका में मोदी जी भारतीयों से मिले और कश्मीरी पंडितों से मिले और कहा कि हम सब मिलकर कश्मीर को स्वर्ग बनाएंगे. मीडिया में बताया गया कि अमेरिका में एक कश्मीरी पंडित ने प्रधानमंत्री मोदी का हाथ चूम लिया, और प्रधानमंत्री मोदी को कश्मीर पर लिए गए फैसले के लिए धन्यवाद दिया.
सवाल मन में कई खड़े होते हैं, हां यह बात बिल्कुल सच है कि कश्मीरी पंडितों को उनका घर बार छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था , उनको मारा गया था, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि, कश्मीरी पंडितों के साथ मुसलमान भी मारे गए थे, दूसरे जाती धर्म के लोग भी मारे गए थे कश्मीर में, लेकिन आज उनका कोई नाम नहीं लेता. जितने लोग अपने घर बार छोड़ने के लिए मजबूर हुए थे कश्मीर से और जितने लोगों को मारा गया था उसका दुख पूरे देश को है, लेकिन देश की दूसरी जगहों पर और दिल्ली में कश्मीरी पंडितों को रहने के लिए जगह जमीन और सुविधाएं भी तो दी गई उस पर बात क्यों नहीं होती ?
अगर कश्मीरी पंडित इतने बेबस हैं तो फिर यह अमेरिका में मोदी जी का हाथ चूमने वाले कश्मीरी पंडित कौन से गरीब है ? क्या यह मीडिया मैनेजमेंट और पैसे के दम पर नहीं हो रहा है ?
जिस तरीके से कश्मीरी पंडितों के नाम पर पूरे देश को और दुनिया को इस देश की एक विचारधारा गुमराह करती है, उस विचारधारा को आज बताना चाहिए की अमेरिका में जाकर कश्मीरी पंडितों को गले लगाना ज्यादा जरूरी है या फिर कश्मीर के अंदर जाकर जो कश्मीरी रह रहे हैं जो कश्मीरी पंडित वहां रह रहे हैं, उनको गले लगाना ज्यादा जरूरी है? कश्मीर में किसी भी विपक्षी नेता को उसकी मर्जी से जाने नहीं दिया जा रहा है, कश्मीरी आवाम से मिलने नहीं दिया जा रहा है.
कश्मीर के मुख्य धारा के राजनीतिक दलों के नेताओं को नजरबंद करके और कैद करके रखा गया है. उनको रिहा नहीं किया जा रहा है,लेकिन मोदी जी अमेरिका में #HowdyModi कार्यक्रम कर रहे हैं क्या यह उचित है?
मोदी जी के कार्यक्रम में लगभग 50000 लोग शिरकत करने वाले हैं, जिनके सामने मोदी जी बड़ी-बड़ी बातें करेंगे, भाषण देंगे, जैसा कि उनकी आदत है और मीडिया इसको प्रचारित करेगी, लेकिन इस कार्यक्रम की मौजूदा हकीकत यह भी है कि, इस कार्यक्रम के विरोध में एक से डेढ़ लाख लोग इस कार्यक्रम के बाहर और अमेरिका के अलग-अलग जगहों पर विरोध में खड़े हैं. मीडिया इस खबर को गोल कर गई है.
मीडिया मैनेजमेंट और मीडिया प्रचार के माध्यम से अमेरिका में #HowdyModi को भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी कितना भी प्रचारित करा कर देश को गुमराह करने की कोशिश कर ले, लेकिन हकीकत यही है कि, उसी अमेरिका में अमेरिकी मीडिया ने कश्मीर में मानवाधिकार को लेकर कई बार आर्टिकल छापे हैं और उन्हीं आर्टिकल के माध्यम से पाकिस्तान कश्मीर को मुद्दा बनता आ रहा है.
सच यह है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में कोई किसी का दोस्त नहीं है, कोई किसी का दुश्मन नहीं है. सब त्वरित लाभ के लिए एक दूसरे के साथ है, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद कई बार कश्मीर पर बयान दे चुके हैं, लेकिन हमारी भारतीय मीडिया उन्हीं खबरों को दिखाती है, उन्हीं बयानों को दिखाती है जिससे भाजपा को और प्रधानमंत्री मोदी को फायदा हो, बाकी खबरों को गोल कर जाती है.
प्रधानमंत्री मोदी इस कार्यक्रम के माध्यम से अमेरिका में रह रहे भारतीयों को संबोधित करेंगे और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उपस्थिति वहां सिर्फ इसलिए होने वाली है, क्योंकि अगले साल अमेरिका में चुनाव है और उन चुनाव में अमेरिकी भारतीयों का समर्थन हासिल करना चाहते हैं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. बाकी मीडिया इसको मोदी जी के लिए चाहे कितनी भी कहानियां गढ़ के प्रचारित कर ले हकीकत नहीं बदलने वाली.
हकीकत तो यह भी है कि इसी कार्यक्रम के ठीक बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान के राष्ट्रपति इमरान खान से भी मिलने वाले हैं.
भारतीय मीडिया द्वारा भाजपा के इशारे पर अमेरिका में हो रहे इस कार्यक्रम को अमेरिका और भारत के बीच घनिष्ठ होते आर्थिक और सामरिक संबंधों के तौर पर प्रदर्शित किया जा रहा है और यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि, यह सब प्रधानमंत्री मोदी के कारण हुआ है, लेकिन इस डिजिटल युग में यह दिखावे बंद कमरे में होने वाली वास्तविक राजनीति के आगे असफल हो जाते हैं.
व्यापार और निवेश अमेरिका और भारत के बीच एक महत्वपूर्ण मसला है, लेकिन भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी की प्रचार एजेंसी मीडिया यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि, दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत मोदी के कारण हुए हैं, जबकि अमेरिका से हकीकत में कितना निवेश हिंदुस्तान में आया है इस पर मीडिया चर्चा नहीं करना चाहती. इसके अलावा यह भी हकीकत है कि देश का प्रधानमंत्री कोई भी हो विदेश नीति और विदेशी निवेश दोनों देशों के संबंधों पर निर्भर करते हैं और यह संबंध पिछले पाच से छः सालों में ही नहीं बने है, इस बात को देश की जनता भी भली-भांति जानती है.
एक हकीकत यह भी नजर आ रही है कि प्रधानमंत्री मोदी देश की समस्याओं को लेकर चिंतित नहीं है, देश के अंदरूनी हालात जिन खराब परिस्थितियों से गुजर रहे हैं, उस पर प्रधानमंत्री मोदी बात नहीं करना चाहते हैं. प्रधानमंत्री मोदी खुद को भाजपा और उनकी खुद की प्रचार एजेंसी मीडिया के माध्यम से ग्लोबल नेता साबित करने के सपने देख रहे हैं.
देश की समस्याएं आप से सुलझ नहीं रही है, देश के आर्थिक हालत को सुधारने के लिए आपके पास कोई विजन नजर नहीं आ रहा है, देश में रोजगार पैदा करने के लिए आप प्रयास नहीं कर रहे हैं, क्योंकि उसके लिए भी आपके पास कोई विजन नहीं है. आपकी पार्टी के नेता महिलाओं के साथ अभद्रता कर रहे हैं, उनका शोषण कर रहे हैं, आप अपनी तरफ से पार्टी के लेवल पर उन पर कोई एक्शन नहीं ले पा रहे हैं. आप अपनी पार्टी के अंदर जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं उन पर कोई एक्शन नहीं ले पा रहे हैं, जिन दूसरी पार्टियों के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप आप लगाते थे, उनको अपनी पार्टी में शामिल करा चुके हैं. हर तरफ से आप नाकाम होने के बाद भी प्रचार एजेंसी द्वारा ग्लोबल लीडर बनने के सपने देख रहे हैं. यह अच्छी बात तो नहीं है मोदी जी.
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राष्ट्र के विचार
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