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राजस्थान में दूसरी लहर का दर्द मिटा नहीं, फिर लापरवाही

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सीकर.कोरोना की दूसरी लहर का दर्द अभी तक मिटा नहीं और तीसरी लहर को लेकर सरकारी एजेन्सियों की ओर से अलर्ट किया जा रहा है। इसके बाद भी लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है। वैक्सीन सेंटरों से लेकर बाजार और बस स्टैण्डों में दिनभर सोशल डिस्टेंस के दावे टूटते हुए नजर आ रहे हैं। लेकिन जिम्मेदारों ने दूसरी लहर के जाते ही लापरवाह लोगों के खिलाफ कार्रवाई पर ही ब्रेक लगा दिया है। पहले जिलेभर में रोजाना जहां मास्क नहीं पहनने से लेकर सोशल डिस्टेंस की पालना नहीं करने पर 500 से अधिक चालान काटे जा रहे थे। वहीं अब यह आंकड़ा घटकर 50 पर पहुंच गया है। सरकार की नियमों में हल्की ढ़ील देने के साथ ही लोगों ने शादी समारोह के आयोजन करना तेजी से शुरू कर दिया। ऐसे ही हाल रहा तो पता ही नहीं चलेगा कि हम सब कब तीसरी लहर की चपेट में पहुंच गए। सरकार ने भले ही नई गाइडलाइन में शादियों में 50 लोगों की संख्या कर रखी है, लेकिन लोग कई गुना अधिक मेहमानों को बुलवा दे रहे हैं। अगले चार दिन में दो बड़े अबूझ सावे हैं। 18 जुलाई को भडल्या नवमी व 20 को देवशयनी एकादशी का अबूझ सावा है। अकेले सीकर जिले में ही 600 और प्रदेश में करीब 10 हजार शादियां होने का अनुमान है। इनमें भी ग्रामीण इलाकों में शादियां ज्यादा होंगी। इनमें मेहमानों की संख्या सीमित रखने, कोविड प्रोटोकॉल की पालना कराना जिला प्रशासन के लिए चुनौती है।
दूसरी लहर की शुरूआत शादियों के सीजनप्रदेश में दूसरी लहर के दौरान खुद जिला प्रशासन ने माना था कि शादी समारोह में लोगों के एकत्रित होने की वजह से ज्यादा केस सामने आए। इसके बाद भी प्रशासन तीसरी लहर को लेकर सख्त कार्रवाई करने से हिचक रहा है। शाादी समारेाह में शामिल होने वाले आधे लोग तो ऐसे है जिनका वैक्सीनेशन भी नहीं हुआ है।
सबसे ज्यादा 18 जुलाई को शादीई-इंटिमेशन के अनुसार सीकर जिले में आगामी चार दिनों में शादी-समारोह के आयोजन की 339 लोग अनुमति ले चुके है। जबकि कई परिवारों की अनुमति अटकी हुई है। कई लोग प्रशासन की लापरवाही की वजह से बिना अनुमति के ही आयोजन करने की तैयारी में जुटे है।
कई बार बदली अनुमति की व्यवस्थाशादी समारोह के आयोजन को लेकर अनुमति के कायदे कोरोनाकाल में कई बार बदले गए। पहले उपखंड अधिकारी कार्यालय में ई-मेल के जरिए अनुमति लेने का प्रावधान था। दूसरी लहर के दौरान शादी में शरीक होने वाले लोगों के नाम तक मांगे गए। लेकिन दूसरी लहर के जाते ही ई-इंटिमेशन को ही जरिया बना लिया। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि ई-इंटिमेशन पोर्टल से सूचनाएं जिले के पास आती हैं। जिला कार्यालयों से जानकारी लेकर राजस्व के अधिकारियों को दी जाती है। उपखंड से लेकर तहसील स्तर की टीम पुलिस विभाग के तालमेल से लगातार कार्रवाई कर रही है।

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