रविन्द्र सिंह राठौड़, सीकर.
दूसरी बेटी के जन्म से नाखुश परिवार का गर्भपात कराने का फैसला एनवक्त पर बदला तो आज उसी बेटी ने शेखावाटी में अपनी स्वयं की पहचान बना ली। शेखावाटी की स्वर कोकिला के नाम से प्रख्यात हुई नंदनी त्यागी ( Singer Nandini Tyagi Sikar ) ने अपनी आवाज से सब के दिलों को छू लिया हैं। मुंबई में 2016 में हुए नेशनल प्रतियोगिता में नंदनी के केसरिया बालम… गीत को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ। इसके अलावा नंदनी ने राज्य स्तर पर तीन बार प्रस्तुति दी है। नंदनी ने ना केवल राजस्थान बल्कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा सहित कई अन्य राज्यों में अपनी सुरीली आवाज का जलवा दिखा चुकी हैं। नंदनी सीकर जिले से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं की ब्रांड एबेसेडर भी हैं।
पिता की लोरी से मिला संगीत का ज्ञान नंदनी को जन्म के बाद भी पिता के अलावा परिवार के अन्य सदस्यों से बहुत कम प्यार मिला। यहां तक की भाई की देखरेख के चलते मां भी नंदनी से दूर रही। सोने के समय पिता से लोरी के रूप में लता मंगेशकर के गीत सुनकर संगीत की दुनियां में अपना कदम बढ़ाना बढ़ाया। डेढ़ साल की उम्र में पिता से गायत्री मंत्र सीखकर अपनी सुरीली आवाज का परिचय दिया। 10 साल की उम्र में कक्षा 6 में अध्ययनरत नंदनी ने पहली बार शहर के एक निजी स्कूल में आयोजित समर कैंप में पिया तो से नैना लागे… संगीत की प्रस्तुति दी। उसके बाद दौड़ेगा सीकर (मैराथन) में नंदनी के स्वर को पहचान मिली।नहीं मिला स्टेज पर जाने का मौका नंदनी को पहले घंटों इंतजार करने के बाद भी स्टेज कार्यक्रम करने के लिए मौका नहीं मिलता था। नंदनी के माता- पिता कार्यक्रम के आयोजकों से विनती करते थे। बार-बार आग्रह करने के बाद लोगों की भीड़ में धक्के खाने के बाद स्टेज पर जाने का मौका भी अंत में जाकर मिलता था। ऐसे में कार्यक्रम की पूरी भीड़ छटने के बाद नंदनी ने कई बार दो लोगों के सामने भी स्टेज प्रोग्राम किया हैं। तीन चार साल बाद नंदनी की आवाज को लोग जानने लगे। अन्ना हजारे जैन भवन में किसी कार्यक्रम में पहुंचे। स्टेज से नीचे नंदनी ने गांधी के वैष्णो जन.. गीत प्रस्तुत किया। अन्ना हजारे ने गीत की आवाज सुनकर नंदनी को स्टेज पर बुलाया। उन्होंने कहा सुर संभालकर रखना बहुत आगे जाने का मौका मिलेगा।
नर्वस होकर पैर लडख़ड़ाए पर स्वर नहीं नंदनी अपने पहले स्टेज कार्यक्रम में नर्वस होकर सीढ़ी से गिर गई, लेकिन माता-पिता के हौसले ने नंदनी के स्वर को टूटने नहीं दिया। पिता ने लता मंगेशकर के गीत सुनाकर संगीत की प्रेरणा दी तो मां ने बेटी की आवाज को लोगों तक पहुंचाने के लिए परिश्रम किया। बेटी की आवाज को लोगों तक पहुंचाने के लिए शुरूआत के दो महीने मां ने कड़ी मेहनत की। मां को नंदनी की आवाज में धनक का रंग निखरा मेरे डूपटे से.. यह गीत बहुत पसंद है। मां हर बार नंदनी को वहीं गीत सुनाने के लिए बोला करती थी। आवाज को लोग जानने लगे तो पिता ने अपने काम को छोडकऱ पूरा समय नंदनी को दे दिया।
संगीत ही नहीं पढ़ाई में भी पूरा ध्यान नंदनी ने संगीत के साथ-साथ पढ़ाई का भी पूरा ध्यान रखा। नंदनी ने 10 वीं बोर्ड कक्षा में अध्ययनरत रहकर हर मंगलवार और शुक्रवार को जयपुर क्लासिक सिखने के लिए जयपुर जाती थी। उसके बावजूद नंदनी ने 10 वीं बोर्ड परीक्षा में 70 प्रतिशत और 12 वीं कक्षा में 65 प्रतिशत अंक हासिल किए। उसके बाद नंदनी ने प्रयाग इलाहाबाद से संगीत में बीए और पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय से बीएससी किया। नंदनी फिलहाल लॉ की पढ़ाई कर रही हैं।
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