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राजस्थान में यहां नगर परिषद पर बढ़ती जा रही फर्जी पट्टे की आंच

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सीकर. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पट्टे जारी करने के मामलों की आंच सीकर नगर परिषद पर बढ़ती जा रही है। परिषद ने एक प्लाट का पट्टा और निर्माण स्वीकृति जारी करने के बाद फिर उसी प्लाट का दूसरा पट्टा बना दिया। मामला सामने आने पर पीडि़त ने शहर कोतवाली थाने में मामला दर्ज करवाया। पुलिस ने दूसरी पट्टा बनाने में परिषद की भूमिका की जांच किए बिना ही आरोपी को धारा 41 का नोटिस देकर गुरुवार को न्यायालय में चालान पेश कर दिया। दूसरे पक्ष की ओर से पुलिस और परिषद की भूमिका पर सवाल उठाते हुए न्यायालय में परिवाद पेश किया तो अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आरोपी मोहनलाल ढाका निवासी सांवलोदा धायलान हाल चौधरी चरणसिंह का जमानत आवेदन खारिज कर दिया। साथ ही परिवाद पर सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तारीख तय की है। परिवाद में पट्टे की प्रक्रिया से जुड़े परिषद के अधिकारियों की जांच करवाने का आग्रह किया गया है। ———————————-क्या है मामलान्यायालय में पेश किए परिवाद के अनुसार चौधरी चरण सिंह नगर निवासी सरीता देवी ने वर्ष 2012 में समर्थपुरा स्थित एक प्लॉट विमला देवी ओला से खरीदा था। विक्रय पत्र के आधार पर वर्ष 2013 में सरीता देवी ने नगर परिषद से पट्टा बनवा लिया था। पट्टे को रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीबद्ध करवाने के बाद वर्ष 2013 में 27 जून को नगर परिषद से ही निर्माण स्वीकृति प्राप्त कर मकान का निर्माण करवा लिया। इसके बाद से सरीता देवी लगातार वहां आवास कर रही है। इसके बाद वर्ष 2013 में जमीन का कब्जे का प्रयास होने पर जमीन की पूर्व मालकिन विमला देवी के पति लखपत ओला ने पुलिस में मामला भी दर्ज करवाया था, जिसमे पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया।—————यूआईटी ने आपत्ति पर किया पट्टे का आवेदन अस्वीकारइस मामले में दूसरे पक्ष की ओर से यूआईटी में भी पट्टा बनाने के लिए आवेदन किया गया। इसके लिए पास की जमीन को मिलाकर पट्टे का आवेदन किया गया, लेकिन दूसरे पक्ष की ओर से इस पर आपत्ति करने पर यूआईटी ने आवेदन का अस्वीकार कर दिया। दोनों पक्षों में विवाद होने पर यहां पर उपखंड अधिकारी की ओर से कुर्की के आदेश दिए गए, जिसे न्यायालय ने वर्ष 2016 में अपास्त कर दिया।———————————-कोरोना लॉकडाउन में जारी किया दूसरा पट्टानगर परिषद ने इस जमीन के हिस्से को शामिल करते हुए दूसरा पट्टा गत वर्ष 26 मई को कोरोना लॉकडाउन के दौरान जारी किया। बाद में निर्माण स्वीकृति के लिए आवेदन किया गया तो दूसरे पक्ष को इसकी जानकारी हुई। इस पर शहर कोतवाली में मामला दर्ज करवाया गया। परिवादी के अधिवक्ता अंगद तिवाड़ी की ओर से न्यायालय में पेश किए गए परिवाद में बताया गया है कि पुलिस के जांच अधिकारी ने मामले में निष्पक्ष व पूर्ण अनुशंधान नहीं किया। केवल मोहनलाल के खिलाफ ही धारा 420 धोखधड़ी का अपराध प्रमाणित मानकर न्यायालय में चालान पेश कर दिया। जबकि नगर परिषद के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना दूसरा पट्टा बनाया जाना संभव नहीं है। दस्तावेजी साक्ष्यों की भी जांच नहीं की। न्यायालय से इस मामले में कूट रचित दस्तावेज सहित अन्य धाराओं में भी जांच करवाने का आग्रह किया गया है।—————————पुलिस ने भेजा नगर परिषद को नोटिसशहर के उद्योग नगर थाने में पकड़े गए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पट्टा बनवाने गिरोह की कडिय़ां खोलने के लिए उद्योग नगर थाना पुलिस ने सीकर नगर परिषद को नोटिस भेजा है। थानाधिकारी पवन चौबे ने बताया कि नोटिस भेजकर पट्टे के लिए फाइल जमा, मौके की जांच और पट्टा जारी करने वाले कर्मचारियों को पूछताछ के लिए थाने में तलब किया गया है। इस मामले में गिरफ्तार चारों आरोपी दो दिन के पुलिस रिमांड पर है। पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है। इस मामले में जुड़े कुछ लोगों के परिजनों से पूछताछ के लिए पुलिस की टीम गुरुवार को झुंझुनूं गई। साथ ही अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।

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