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बुजुर्ग के लिए घर ही बने मंदिर-मस्जिद, दीदार की आस अधूरी

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सीकर. पिछले सवा साल से जारी कोरोना के कहर की वजह से बुजुर्गो के लिए अब अपने-अपने घर ही मंदिर-मस्जिद, गुरुद्वारा बने हुए है। प्रदेश के पांच लाख से अधिक बुजुर्गो की अपने आराध्य के दीदार की आस भी कोरोना की वजह से उलझी हुई है। किसी ने दस साल से सोच रखा था बच्चों की शादी तो किसी ने बच्चों की नौकरी के बाद देव दर्शन के लिए जाने का मन बना रखा था। लेकिन अब कोरोना की वजह से आस टूट गई है। बुजुर्गो का कहना है कि पहली लहर के बाद कोरोना का थोड़ा कहर कम होने के बाद आवागमन की छूट मिली लेकिन बुजुर्गो कोरोना को हराने की वजह से घरों में डटे रहे। बुजुर्गो का कहना है कि अब स्थिति सामान्य होने का इंतजार है। इस बीच कई बुजुर्गो की ओर से ऑनलाइन दर्शनों का सहारा भी लिया जा रहा है।
गंगासागर जाने की आस अधूरी
चांदपोल गेट निवासी रामचंद जोशी व लीला देवी जोशी कोरोना से पहले उत्तराखंड सहित कई राज्यों की धार्मिक यात्रा कर चुके है। दो साल पहले उन्होंने गंगासागर जाने का मन बनाया था। लेकिन कोरोना की वजह से देव दर्शन की आस अधूरी है। उनका कहना है कि अभी लॉकडाउन है और आगे भी स्थिति सामान्य होने के बाद ही जाने की प्लानिंग करेंगे। उनका कहना है कि देवस्थान विभाग को बुजुर्गो के दर्शनों के लिए ऑनलाइन दर्शन सीरिज लॉन्च करनी चाहिए।
18 साल से जाते थे अमरनाथ, अब कोरोना से ब्रेकतिलक नगर निवासी सज्जन सैनी पिछले 18 सालों से बाबा अमरनाथ के दर्शन करने जाते रहे। लेकिन दो साल से कोरोना की वजह से नहीं जा सके। उनका कहना है कि काफी बुजुर्ग पिछले एक-दो साल से तैयारी कर रहे थे। लेकिन कोरोना की वजह से उनका सपना टूट गया। सैनी का कहना है कि अब स्थिति सामान्य होने के बाद वह सैकड़ों भक्तों को लेकर जरूर जाएगे। उनका जत्था 18 सालों से वहा सेवा कार्य भी करता है।
ऑनलाइन दर्शन ही सहारा
बिहारी मार्ग निवासी बालकृष्ण चोटिया व मंजू देवी की चाह भी चारों धाम की है। लेकिन वह भी कोरोना की वजह से घरों में है। उनका कहना है कि फिलहाल बच्चों की मदद से ऑनलाइन ही दर्शनों का सहारा ले रहे हैं। उनके गु्रप में 20 से अधिक बुजुर्ग शामिल है। चोटिया ने बताया कि सभी को स्थिति सामान्य होने का इंतजार है।
धार्मिक पैकेज वाली कंपनियों को 50 करोड़ का कारोबार प्रभावितप्रदेश में 90 से अधिक कंपनी है जो धार्मिक ट्यूर पैकेज देती है। हर साल तीन लाख से अधिक लोग इन कंपनियों के पैकेज के जरिए देव दर्शन के लिए जाते है। लेकिन दो साल से इन कंपनियों का कामकाम भी पूरी तरह ठप है। कई ऑपरेटर्स ने बस व टे्रन का किराया भी पिछले साल जमा दिया था। इस वजह से कंपनियों को 40 से 50 लाख का नुकसान हुआ है। वहीं इन कंपनियों का लगभग 50 करोड़ का कारोबार भी प्रभावित हुआ है।
सरकार की योजना बीच में अटकी, 50 हजार को इंतजार
सरकार की ओर से भी बुजुर्गो को सरकारी खर्चे पर देव दर्शन यात्रा कराई जाती है। सरकार की यह योजना भी पिछले दो साल से पूरी तरह प्रभावित है। प्रदेश के 50 हजार बुजुर्गो को इस योजना का इंतजार है।
हज के मुकद्दस सफर का इंतजारकासली निवासी मकबूल अहमद व उनकी पत्नी रहीसा बेगम की ओर से पिछले दो साल लगातार हज यात्रा के लिए आवेदन किया जा रहा है। लेकिन हज यात्रा शुरू होने का इंतजार है। वहीं सीकर शहर में बकरा मंडी निवासी मोहम्मद इमामुद्दीन व पिपराली रोड निवासी इकरामुद्दीन को भी हज जाने का इंतजार है।

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