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धरती ने तो सोना उगला…आसमां से बरसा कहर…

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नरेंद्र शर्मा. सीकर. शेखावाटी के किसान इन दिनों खासे परेशान हैं। पहले तो बारिश में देरी…फिर जो बारिश बरसी, तो ऐसे बरसी कि फसल खेत में ही पसर गई। शेखावाटी में यदि सबकुछ सामान्य होता, तो करीब चार लाख 77 हजार 200 हैक्टेयर में बोई गई फसल किसानों को मालामाल कर देती, लेकिन किसानों की मेहनत का अधिकांश हिस्सा मानसून की अति ‘क्रूरता’ की भेंट चढ़ गया। शेखावाटी में कभी-कभार ऐसा होता है जब या तो बारिश होती ही नहीं या फिर जिला अतिवृष्टि की चपेट में आ जाता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ। पहले तो मानसून देर से सक्रिय हुआ। किसानों ने मानसून की आस में बारानी फसलें बो दी। बाद में मानसून की अति बारिश में खेत जलमग्न हो गए।
आंकड़ों से समझें नुकसान का गणित-कृषि विशेषज्ञ व किसानों के अनुसार बाजरा इस बार 268273 हैक्टेयर में बोया गया, अनुमानित उत्पादन 3152208 क्विंटल का था। यानि यदि किसान के हिस्से में पूरे बाजरे की फसल आई होती तो इसकी कीमत करीब 473 करोड़ होती। इसके उलट एक आकलन के अनुसार बाजरे में ही किसानों को करीब 40 प्रतिशत का नुकसान हुआ है।-मूंगफली 31182 हैक्टेयर में बोई गई, जो किसानों को करीब 303 करोड़ तक का उत्पादन देती, लेकिन मूंगफली में भी किसानों को खासा नुकसान हुआ है।-87010 हैक्टेयर में बोया गया ग्वार किसानों को 393 करोड़ रुपए देता, लेकिन इसमें 32 प्रतिशत तक का नुकसान हुआ है। चंवला 21070 हैक्टेयर, मूंग 66005 हैक्टेयर, मोठ 3285 हैक्टेयर में बोया गया।- कृषि विशेषज्ञों की मानें, तो इन सभी फसलों से किसान औसतन 1555 करोड़ रुपए तक का मुनाफा कमाते, लेकिन जिले में 42 से 48 प्रतिशत तक के नुकसान के कारण किसानों को इस बार फसल की लागत भी निकालना मुश्किल नजर आ रहा है।प्रति हैक्टेयर में उत्पादन और नुकसानप्रति हैक्टेयर औसत उत्पादन — उत्पादन की औसत कीमत — अतिवृष्टि से नुकसान10.82 क्विंटल — 32600 रुपए प्रति हैक्टेयर — 40 प्रतिशतइस एक उदाहरण से समझें किसान की पीड़ा
पहले आंखों में नीर…अब पांवों में पीरये हैं तारपुरा के किसान रामचंद्र खेदड़। बहुत से सपने आंखों में पाले अपने खेत में इस बार बाजरा और मूंगफली की बुवाई की। समय पर पानी मिला, तो फसल भी लहलहा उठी। बच्चों की पढ़ाई…बेटी की शादी…और भी न जाने क्या-क्या सपने इससे पूरे होने थे, लेकिन जरूरत से ज्यादा बारिश के कारण फसल खराब हो गई। अब खराब हुई फसलों के मुआवजे की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से जिला कलक्ट्रेट सहित सम्बन्धित विभागों में फरियाद कर रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। राजस्व कर्मियों की हड़ताल के कारण इनके खेत में नुकसान का सर्वे हुआ नहीं। बिना सर्वे के सरकार इनकी कोई मदद नहीं कर पा रही। सीकर जिले में ऐसे सैकड़ों मामले हैं, जिनमें किसानों को नुकसान तो हुआ है, लेकिन उस नुकसान को अधिकारी देख ही नहीं रहे।
खरीफ ने सताया…अब रबी से आस…अब रबी की फसल से आस है। इसके लिए किसानों ने तैयारी शुरू कर दी है। किसानों ने गेहूं का बीज जुटाना शुरू कर दिया है। सरसों बुवाई के लिए भी पिछली बार से दो गुना ज्यादा क्षेत्र तय किया जा रहा है। सीकर जिले में गेहूं की 95 हजार, जौ की 30 हजार, चना और सरसों की क्रमश: पचास-पचास हजार, तारामीरा की तीन हजार व चारा व सब्जियों की करीब 30 हजार हेक्टेयर में बुवाई होगी।इनका कहना हैखेतों में जमकर मेहनत के बाद इस बारिश से पहले तक फसल लहलहा उठी थी, लेकिन सितम्बर में हुई अति बारिश ने सब कुछ तबाह कर दिया।नरेन्द्र धायल, किसान, सांवलोदा धायलानवाकई में इस बार किसानों को खासा नुकसान हुआ है। किसान 4 लाख 77 हजार 200 हैक्टेयर फसल उत्पादन से 1555 करोड़ रुपए तक कमाते, लेकिन 40 प्रतिशत से अधिक नुकसान के कारण अब किसान मुश्किल में है।दिनेश जाखड़, कृषि विशेषज्ञ, सीकर

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