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धरती कर दी छलनी…अब पानी बिगाड़ रहा सेहत

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अजय शर्मासीकर. सार्वजनिक जल वितरण से लगातार होते मोहभंग ने शेखावाटी का सीना पूरी तरह छलनी कर दिया है। पिछले साल सरकार की ओर से ट्यूबवैलों की रोक हटाने के साथ ही शेखावाटी में लगभग 15 हजार से अधिक ट्यूबवैल और खुद गए। इसका सीधा असर पेयजल की खराब होती गुणवत्ता के रूप में भी सामने आया है। शेखावाटी का पानी भी अब सेहत बिगाडऩे लगा है। सीकर के साथ चूरू व झुंझुनूं जिले में भी फ्लोराइड व नाइट्रेट की मात्रा लगातार बढ़ रही है। कई क्षेत्रों में सीवरेज के पानी के बेहतर प्रबंधन नहीं होने तो किसी क्षेत्र में खेती में ज्यादा कीटनाशक काम में लेने से भी पानी की गुणवत्ता बिगड़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते हुए शेखावाटी के लोगों ने ध्यान नहीं दिया तो हालात और भी भयावह होंगे।
इसलिए भी बिगड़ रही पानी की गुणवत्ताभविष्य में जल संकट की तस्वीर को देखते हुए लोगों के ज्यादा गहराई तक ट्यूबवैल खुदवाने से।खेती में ज्यादा कीटनाशक का प्रयोग।सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का अभाव।शेखावाटी में लगातार गिरता जलस्तर।-लगातार बढ़ता शहरीकरण का दायरा।
कई क्षेत्रों में बढ़ रहा नाइट्रेट: जलदाय विभागपेयजल की गुणवत्ता के लिए हर महीने सैम्पल लिए जाते हैं। जिन क्षेत्रों में पेयजल की गुणवत्ता ज्यादा खराब है उन क्षेत्रों में आरओ लगवाने के प्रस्ताव अधिशाषी अभियंता के जरिए भिजवाए जाते हैं। सीकर के कई क्षेत्रों में नाइट्रेट की मात्रा बढ़ रही है।कैलाशचंद मीणा, कनिष्ठ रसायनज्ञ, सीकर
एक्सपर्ट व्यू: बच्चों व गर्भवती महिलाओं को खतरानिम्न गुणवत्ता वाले जल के प्रयोग से खासकर बच्चों व गर्भवती महिलाओं को ज्यादा खतरा है। सीकर के कई क्षेत्रों में नाइट्रेट काफी बढ़ गया है। ऐसे में बच्चों में ब्लू सिण्ड्रोम के केस लगातार सामने आ रहे हैं। इसमें बच्चों की मौत तक हो जाती है।डॉ. रामनिवास, फिजिशियन, सीकर
शहर के चार क्षेत्रों व दो कस्बों में सबसे ज्यादा गुणवत्ता खराबसीकर शहर में बजाज रोड, फतेहपुर रोड, मोचीवाड़ा व जयपुर रोड के कुछ क्षेत्रों में पेयजल की गुणवत्ता सबसे ज्यादा खराब है। सीकर जिले की बात करें तो लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर व खंडेला के कुछ गांवों में पेयजल गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है। सरकार ने फतेहपुर व लक्ष्मणगढ़ के कुछ क्षेत्रों में आरओ लगवाए हैं लेकिन इनकी संख्या दोगुने से ज्यादा बढ़ाने की आवश्यकता है।पीएन शर्मा, पेयजल गुणवत्ता विशेषज्ञ, सीकर
लगातार गिर रहा है भूजल-स्तरपिछले तीन सालों के आंकड़ों को देखें तो जल के अति दोहन से जिलेभर में भूजल स्तर नीचे जा रहा है। आमजन को पानी की एक-एक बूंद को सहजने का संकल्प लेना होगा।दिनेश कुमार शर्मा, प्रभारी, भूजल विभाग, सीकर
जिले में हर साल बिक रहे 5 हजार आरओलगातार बिगड़ती पेयजल गुणवत्ता के बाद भी जलदाय विभाग ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में आरओ लगाने में विफल रहा है। अभी भी शहर के 140 गांव व छह शहरों में आरओ की आवश्यकता है। सरकार के आरओ से दूरी बनाने की वजह से आमजन को मजबूरन आरओ लगवाने पड़ रहे हैं। सीकर जिले में हर साल औसत चार से पांच हजार नए आरओ लग रहे हैं। अगले साल तक यह संख्या आठ हजार सालाना तक पहुंचने की संभावना है।—–खराब पेयजल से नुकसान1. स्वास्थ्यराजस्थान में 60 फीसदी बीमारी जलजनित होती है। ज्यादा फ्लोराइड वाला पानी पीने से दांतों में पीलापन व हड्डियों में टेढ़ापन सहित अन्य समस्या काफी बढ़ रही है। नाइट्रेट की अधिकता से बच्चों में मानसिक विकार के मामले भी सामने आए हैं। कैल्सियम युक्त पानी पीने से पथरी की शिकायत भी बढ़ी है।2. आर्थिक नुकसानखराब जल गुणवत्ता की वजह से आरओ का चलन बढ़ा है। इससे गरीब परिवारों को आर्थिक नुकसान के साथ पानी की बर्बादी भी हो रही है। क्योंकि एक लीटर आरओ के पानी में कई लीटर पानी की बर्बादी भी होती है।
सबसे बड़ा साइड इफैक्ट : हमारे युवाओं की शारीरिक दक्षता पर असरसेना में शामिल होने का जुनून हमारे युवाओं में सबसे ज्यादा है। किसी दौर में सेना की शारीरिक दक्षता परीक्षा में सीकर जिले के युवाओं का पासिंग प्रतिशत झुंझुनूं, चूरू व नागौर सहित 27 जिलों से ज्यादा था। पेयजल की बिगड़ती गुणवत्ता का असर हमारे युवाओं पर पड़ रहा है। एक्सपर्ट का कहना है कि फ्लोराइड वाला पानी पीने से युवकों को अभ्यास के बाद भी दिक्कत होती है। इसका बड़ा उदाहरण यह है कि सीकर जिले में पहले लक्ष्मणगढ़ व फतेहपुर के युवा सबसे ज्यादा दौड़ में एक्सीलेंट आते थे। अब दांतारामगढ़, श्रीमाधोपुर, खंडेला एवं नीमकाथाना इलाके के युवाओं ने यह ताज उनसे छीन लिया है।

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