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जिसके दम पर 2014 -2019 का चुनाव जीता, वह Brand Modi अब धराशाई हो रहा है

जिस बीजेपी के बारे में कहा जाता था कि जो मोदी और अमित शाह ने कह दिया वह बात पूरी बीजेपी एक सुर में मान लेती थी. इन दोनों के डर के कारण कोई पार्टी में आवाज नहीं उठा पाता था. लेकिन यह तिलिस्म अब टूट रहा है. बीजेपी के मुख्यमंत्री अब उनकी बात नहीं सुन रहे हैं. ‘ब्रांड मोदी’ (Brand Modi) अब धराशाई हो रहा है.
कई उदहारण है- (Brand Modi) अब धराशाई हो रहा है.
कर्नाटक
कर्नाटक मे बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) की जगह पर जिस मुख्यमंत्री ने कमान संभाली है, उनका नाम है ‘बसवराज बोम्मई.’ सभी को लग रहा है कि यह बीएस येदियुरप्पा की हार है, क्योंकि 2 ही साल हुए थे मुख्यमंत्री बने हुए. बीएस येदियुरप्पा केे खिलाफ पूरा आरएसएस था, इनसेे प्रधानमंत्री और अमित शाह भी खुश नहीं थे. मगर जाते-जातेे भी येदियुरप्पा ने अपनी छाप छोड़़ दी. क्योंकि कर्नाटक में अब जिस को मुख्यमंत्री बनाया गया है, वह भी येदियुरप्पा के अपने आदमी है.
इसके अलावा ‘लिंगायत समुदाय’ के नेता है. यह 2008 में बीजेपी में शामिल हुए. इस वक्त ‘आरएसएस’ बहुत नाराज हैै. क्योंकि वह नहीं चाहता था कि येदियुरप्पा या उनसे जुड़ा हुआ कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री बने. वह चाहता था कि मुख्यमंत्री पद पर कोई ऐसा व्यक्ति आसीन हो जो आरएसएस के एजेंडे को कर्नाटक में चला सके. येदियुरप्पा में हजारों खामियां हो, लेकिन वह सांप्रदायिक आदमी नहीं थे. वह हिंदू मुस्लिम की गंदी और घटिया राजनीति नहीं करते थे.
बीएस येदियुरप्पा जब प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह से मिले तो उन्होंने साफ कर दिया कि वह पद से इस्तीफा तो जरूर दे रहे हैं, मगर मेरी जगह मेरा ही आदमी बैठेगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो मैं कर्नाटक के अंदर पार्टी को दो टुकड़ों में तोड़ दूंगा. इससे पहले भी बीएस येदियुरप्पा पार्टी को छोड़ चुके थे, जिसका नुकसान बीजेपी को हुआ था. बीएस येदियुरप्पा वह शख्स हैं जिनकी वजह से बीजेपी को दक्षिण मे पांव जमाने का मौका मिला.
अमित शाह के चाहने के बावजूद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चाहने के बावजूद और आरएसएस के चाहने के बावजूद आज की तारीख में वह व्यक्ति कर्नाटक का मुख्यमंत्री बना है जो ना आरएसएस के हैं ना प्रधानमंत्री मोदी की पसंद है और ना ही अमित शाह की पसंद है. इससे साबित होता है कि बीएस येदियुरप्पा के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को झुकना पड़ा है. ‘ब्रांड मोदी’ (Brand Modi) अब धराशाई हो रहा है.
राजस्थान
इसके अलावा अगर बात करें तो राजस्थान की तो, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के बीच इस वक्त युद्ध छिड़ा हुआ है. सतीश पुनिया जो कि बीजेपी राजस्थान के अध्यक्ष हैं और वसुंधरा राजे सिंधिया के बीच इस वक्त जंग चल रही है. राजस्थान के अंदर बीजेपी v/s बीजेपी चल रहा है. सतीश पूनिया के दौरे पर वसुंधरा राजे के पोस्टर लगे थे. उसमें कहीं पर भी सतीश पुनिया की फोटो नहीं थी. जबकि वह बीजेपी के अध्यक्ष हैं और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के आदमी है.
वसुंधरा राजे सिंधिया को बार-बार बीजेपी का आलाकमान कह रहा है कि आप सतीश पुनिया के साथ तालमेल कायम करिए. लेकिन वसुंधरा राजे ने इन्हें ठेंगा दिखा दिया है. अगर वसुंधरा राजे आज पार्टी छोड़ दे तो राजस्थान के अंदर बीजेपी बिखर जाएगी. इससे यह पता चल रहा है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की बातों की वैल्यू बीजेपी के अंदर ही कम होती जा रही है. ब्रांड मोदी (Brand Modi) अब धराशाई हो रहा है.
उत्तर प्रदेश
इसके अलावा अगर बात करें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तो वहां भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश मे अपना एक आदमी ए. के. शर्मा के रूप में भेजा था. ताकि ए. के. शर्मा को या तो गृह मंत्री बनाया जाए उत्तर प्रदेश का या फिर उपमुख्यमंत्री बना दिया जाए, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. उल्टा मंत्रालय तक में जगह नहीं दी योगी आदित्यनाथ ने.
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के अंदर एक जंग देखने को मिली. यह जंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच थी. यह जंग एक तरह से गुजरात लॉबी और उत्तर प्रदेश लॉबी के बीच थी. एक तरह से कहा जा रहा था कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनेे शीर्ष नेतृत्व सेे टकरा गए हैं.
मध्यप्रदेश
मध्य प्रदेश के अंदर CM शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बीच भी एक तरह से युद्ध चल रहा है, ऐसी खबरें मीडिया में आ रही हैं. मध्य प्रदेश के अंदर भी सब कुछ ठीक नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने के बावजूद उनकी ही पार्टी के नेता उनकी बात नहीं मान रहे हैं. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बीजेपी की कमान अपने हाथों में लेने के बाद यह पहला मौका है जब बीजेपी के अंदर एक जंग चल रही है. एक तरह से देखा जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शिकंजा अपनी पार्टी से ढीला होता जा रहा है.
PM मोदी का कंट्रोल अपनी ही पार्टी से धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है. इसका एक और प्रमाण है. असम और मिजोरम के बीच एक संघर्ष देखने को मिला. यह भारत के ही दो राज्यों के बीच एक तरह से जंग की तरह था और इन दोनों राज्यों में ही बीजेपी की सरकार है. मिजोरम की पुलिस ने असम की पुलिस के 6 जवान मार दिए. क्या ऐसा कभी हुआ था? लेकिन यहां पर बीजेपी के अपने राज्यों के अंदर एक तरह से गैंगवार चल रहा है. सबसे दिलचस्प बात यह है कि कुछ ही दिन पहले देश के गृह मंत्री अमित शाह वहां पर गए थे और अमित शाह के जाने के बावजूद दो राज्यों के बीच यह टकराव हुआ.
इससे यह साबित होता है कि प्रधानमंत्री मोदी के सबसे बड़े नुमाइंदे अमित शाह की बात उनके अपने राज्य नहीं सुन रहे हैं, उनके अपने मुख्यमंत्री नहीं सुन रहे हैं. वहां पर अमित शाह ने कहा था कि मुझे पूरा यकीन है कि 2024 से पहले पूरा नॉर्थ ईस्ट आंदोलन और आतंकवाद के रास्ते से निकलकर विकास के रास्ते पर जुड़ जाएगा और बहुत आगे जाएगा. असम और मिजोरम के बीच हुए टकराव के बाद असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्वशर्मा ने बयान देकर कहा है कि मैं अब असम की सीमा पर 4000 कमांडो तैनात करने वाला हूं.
असम की जमीन का 1 इंच भी कोई नहीं छीन पाएगा. बीजेपी के मुख्यमंत्री बात ऐसी कर रहे हैं जैसे मिजोरम हमारे देश का हिस्सा नहीं है. मुख्यमंत्री की भाषा ऐसी है जैसे उनकी लड़ाई पड़ोसी देश से हो रही हो. एक तरह से देखा जाए तो यह देश के संघीय ढांचे को बुरी तरीके से तोड़ा जा रहा है. देश के दो अपने ही राज्यों के बीच टकराव पैदा किया जा रहा है और यह सब कुछ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजरों के सामने हो रहा है.
अंतरराष्ट्रीय छवि!
इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी की छवि को अगर सबसे ज्यादा किसी चीज से धक्का लगा है तो वह कोरोना के दौरान सरकार की नाकामियों के कारण लगा है. बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल पूरी दुनिया ने देखा. गंगा के किनारे तैरती हुई लाशों का मंजर पूरी दुनिया ने देखा. गंगा के किनारे रेत के अंदर गाड़ी गई लाशों का मंजर पूरे देश और दुनिया ने देखा. अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इन खबरों को कवर किया और उन खबरों के साथ प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरें छापी गई अंतरराष्ट्रीय मीडिया में.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी फरवरी के महीने में ही एलान कर दिया था कि हमने महामारी के खिलाफ जंग जीत ली है. जबकि उसके कुछ ही दिनों बाद महामारी ने भारत के अंदर तांडव शुरू कर दिया. लाखों लोगों की जानें लील गया वायरस. प्रधानमंत्री ने बड़बोले पन मे उसके पहले ही दुनिया के सामने ऐलान कर दिया था कि भारत ने वायरस के खिलाफ जंग जीत ली है.
इसके अलावा पेगासस स्पाईवेयर मामले में प्रधानमंत्री मोदी की छवि को देश और दुनिया में गहरा झटका पहुंचा है. जिन भी देशों पर आरोप लगे हैं वहां की सरकारें इस पूरे मामले की जांच करा रही हैं. जबकि भारत में इसके ठीक उलट हो रहा है. जिन मीडिया संस्थानों ने जासूसी की खबरों को अपने यहां जगह दी, अपने माध्यम से उसको जनता के सामने रखा उन मीडिया संस्थानों पर ही जांच बिठा दी गई, उन मीडिया संस्थानों के खिलाफ ही सरकार की तरफ से कार्रवाई शुरू हो गई.
सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. जबकि सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी का साफ कहना है कि वह यह सॉफ्टवेयर सिर्फ और सिर्फ सरकारों को सेल करती है, किसी व्यक्ति विशेष को या किसी संस्था को यह सॉफ्टवेयर सेल नहीं किया जाता है. इससे पता चलता है कि अगर वह सॉफ्टवेयर भारत के अंदर आया होगा तो उसे सरकार ने ही खरीदा होगा. मोदी सरकार जांच से साफ इंकार कर रही है.
बीजेपी के अंदर भी सब कुछ ठीक नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी की बातों को वह तवज्जो बीजेपी के अंदर नहीं मिल रही है जो पहले मिला करती थी और बीजेपी के बाहर भी बीजेपी के लिए कुछ ठीक नहीं चल रहा है. प्रधानमंत्री मोदी की उस ब्रांड छवि को लगातार धक्का लग रहा है, जिसके दम पर 2014 का और 2019 का लोकसभा चुनाव बीजेपी ने एकतरफा जीत लिया था.
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