Deprecated: The PSR-0 `Requests_...` class names in the Requests library are deprecated. Switch to the PSR-4 `WpOrg\Requests\...` class names at your earliest convenience. in /home/wpexgrjf/aajkalrajasthan.com/wp-includes/class-requests.php on line 24
प्रशासन ने ली मुखिया की जान, सात नाबालिग बेटी व एक बेटे सहित मां पर गहराया रोटी का संकट | Aajkal Rajasthan ga('create', "UA-121947415-2", { 'cookieDomain': 'aajkalrajasthan.com','allowLinker': true } ); ga('linker:autoLink', ['aajkalrajasthan.com/amp']);
Categories: Sikar news

प्रशासन ने ली मुखिया की जान, सात नाबालिग बेटी व एक बेटे सहित मां पर गहराया रोटी का संकट

सीकर. प्रशासन की लापरवाही नेे एक गरीब परिवार के मुखिया की जान ले ली। जिसके बाद आठ नाबालिग बच्चों सहित उसकी बेवा के भविष्य पर भयावह संकट खड़ा हो गया है। जूझने पर भी परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ नहीं हो पा रहा। लक्ष्मणगढ़ के बलारां गांव में सात नाबालिग बेटी व एक बेटे के बीमार पिता भंवरलाल का गरीबी की वजह से इलाज नहीं हो पा रहा था। मदद के लिए प्रशासन से बार बार की गुहार पर भी सुनवाई नहीं हुई तो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लिखा गया। आयोग ने तीन महीने पहले संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन को कार्यवाही कर आठ सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा। लेकिन, इसके बाद भी भंवरलाल व उसके परिवार की सुध नहीं ली गई। आखिरकार दवा व खुराक की कमी से भंवरलाल ने 14 दिन पहले दम तोड़ दिया।
इलाज के लिए मां ने बेची बकरियां, नाबालिग बेटियों ने की मजदूरीबीड़ में खुले में जीवन यापन करने वाले बावरी समाज के भंवरलाल को शुरू में मिर्गी की बीमारी थी। धीरे धीरे उसके बाकी अंग भी खराब होने लगे। जयपुर दिखाने पर चिकित्सकों ने ऑपरेशन ही उपचार बताया। काम करने में अक्षम होने पर मां मंगली ने अपनी बकरियां बेचकर उसके उपचार का प्रयास किया। पत्नी व दो बेटियों ने भी खेतों में मजदूरी की। लेकिन, लंबी बीमारी व महंगे इलाज में वह रुपया भी कम पड़ गया। ऐसे में कुछ राशि कर्ज भी ली गई। लेकिन, भंवरलाल की जान नहीं बचाई जा सकी।
27 अगस्त को लिया संज्ञान, नहीं ली सुधभंवरलाल की मदद के लिए सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश सुंडा ने प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार गुहार की। सुनवाई नहीं होने पर उसने प्रधानमंत्री कार्यालय व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा। जिस पर संज्ञान लेते हुए मानवाधिकार आयोग ने 27 अगस्त को जिला प्रशासन को पत्र लिखकर आठ सप्ताह में कार्यवाही कर रिपोर्ट देने को कहा। लेकिन, प्रशासन ने परिवार की मदद तो दूर परिवार का मुआयना तक नहीं किया। सामाजिक कार्यकर्ता सुंडा की मानें तो भंवरलाल को दवा तो दूर दो समय का भोजन भी बमुश्किल मिल पाया।
3 से 14 साल के बच्चे मांगने व मजदूरी को मजबूरभंवरलाल के सात बेटी व एक बेटा है। सभी नाबालिग है। जिनमें सबसे छोटा बेटा करीब चार साल का है। जबकि मां व तीन बेटियां पिता की बीमारी के समय से ही खेतों में मजदूरी तो कभी मांगकर परिवार का पेट भर रही है।
खाली चुनाव में काम आ रहे राशन कार्ड व आधार कार्डभंवरलाल व उसका परिवार राशनकार्ड,आधार कार्ड व वोटर आईडी कार्ड धारक है। लेकिन, उसका उपयोग राजनेताओं ने ही चुनावों के समय किया। बाकी परिवार को कभी किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला।

Aajkal Rajasthan

Share
Published by
Aajkal Rajasthan

Recent Posts

शादी से एक दिन पहले पानी के टैंकर को लेकर हुई चाकूबाजी में दुल्हा गंभीर घायल

श्रीमाधोपुर/सीकर. राजस्थान के सीकर जिला के श्रीमाधोपुर इलाके के नांगल भीम गांव में पानी के…

2 years ago

अब बेरोजगारों को हर महीने भत्ते के मिलेंगे चार हजार

  सीकर.प्रदेश के बेरोजगारों के लिए राहतभरी खबर है। अगले साल से बेरोजगारों को अब…

2 years ago

रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह का यूपी सरकार पर तंज

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Sarkar) एक के बाद एक कई सवालों के घेरे…

2 years ago

कोरोना: तीसरी लहर संभावित, तैयारियां अधरझूल !

सीकर. कोरोना का नया वेरिएंट ओमीक्रोन आने के बाद केन्द्र के साथ ही प्रदेश सरकार…

2 years ago

रीट आंसर की में बदलाव: बदलेगा मेरिट का गणित, किसी के धकधक, कई दौड़ में शामिल

सीकर. 36 दिन में रीट का परिणाम जारी कर अपनी पीठ थपथपाने वाले राजस्थान माध्यमिक…

2 years ago

बैंक में दूसरे का पट्टा रखकर उठाया 40 लाख का लोन, चीफ मैनेजर सहित दो को पांच वर्ष की सजा

सीकर. फर्जीवाड़े के लिए लोग कुछ भी कर सकते हैं। सहयोग के नाम पर कर्ज…

2 years ago