सीकर. यूं तो शिक्षक अध्ययन- अध्यापन व आदर्श से अपनी पहचान बनाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे शिक्षक भी होते हैं जिनमें शिक्षण के अलावा भी कई हुनर होते हैं। जो उन्हें शिक्षण संस्थान के साथ समाज में भी अलग पहचान दिलाता है। शिक्षक दिवस पर आज हम आपको ऐसे ही शिक्षकों से रुबरू करवा रहे हैं जो शिक्षण से इतर हुनर से भी अपनी अलग छवि गढ़ चुके हैं।
केस:1 150 से ज्यादा सांप व गोयरे पकड़ चुके हैं भवानी शंकरशहर के रामपुरा रोड निवासी निजी शिक्षक भवानी शंकर सोनी सांप व गोयरे पकडऩे का हुनर रखते हैं। जो अब तक विभिन्न प्रजातियों के 150 से ज्यादा सांपों के अलावा तीन गोह यानी गोयरे पकड़ चुके हैं। इस काम में वे इतने निपुण हो गए हैं कि आबादी क्षेत्र में सांप निकलने पर अब तो वन विभाग भी उन्हें बुलाता है। बकौल भवानी शंकर बायलॉजी पढ़ाने के साथ ही उनमें पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा जगी। जिसके बाद उन्होंने पौधों के साथ पशु- पक्षियों के संरक्षण का बीड़ा उठा लिया। तभी से उन्होंने घर पर एक नर्सरी तैयार करने के साथ सांपों को पकडऩा शुरू किया। ताकि उनका संरक्षण किया जा सके।
केस: 2. माउथ ऑरगन, बांसूरी, जगलिंग व पेंटिंग के उस्ताद है संदीप
भढाडर की एसजीआर स्कूल के अंग्रेजी के शिक्षक माथुर बस्ती निवासी संदीप माथुर हरफनमौला शख्सियत हैं। जो माउथ ऑरगन व बांसूरी वादन के साथ डोबोलो जगलिंग के संभवतया जिले के इकलौते महारथी है। इनकी भित्ति चित्रकारी का भी कोई सानी नहीं है। ये किसी की भी हुबहू तस्वीर केनवास व दीवार पर उकेरने में माहिर है। माधव सागर बड़े तालाब पर फिल्मी हस्तियों, महापुरुषों व देवी- देवताओं की तस्वीरें संदीप ने ही बनाई है। तिड़ाकी बड़ी स्थित गोशाला में अब वे भगवान श्रीकृष्ण की 15 फीट ऊंची अपनी अब तक की सबसे बड़ी पेंटिंग बना रहे हैं।
केस: 3. स्टंट के गुरू हैं रमाकांत स्वामीस्टंट करना हर किसी के बूते की बात नहीं है। लेकिन, प्रिंस एजुहब के प्रबंध निदेशक रमाकांत स्वामी के लिए खतरनाक स्टंट भी मामूली बात है। फिर चाहे फ्रंट लिफ्ट, बैक लिफ्ट, एयर जंप हो पलक झपकते ही वे इन्हें आसानी से कर देते हैं। संस्थान में होने वाले सांस्कृतिक समारोह की प्रस्तुतियों में भी बच्चे उन्हीं के सिखाए स्टंट करते हैं। स्काउटिंग में राज्य स्तरीय अवार्ड प्राप्त कर चुके स्वामी बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें जिमनास्ट व स्टंट का शौक था। स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस समारोह की प्रस्तुतियों में पिरामिड में सबसे ऊपर रहकर स्टंट करने का अवसर भी उन्हें ही मिलता था।
केस: 4. नवाचारी आईसीटी एक्सपर्ट हैं निठारवाल श्रीमाधोपुर की राउमावि भारनी के भूगोल के व्याख्याता मुकेश निठारवाल आईसीटी द्वारा शिक्षा में नवाचार कर अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। कोरोना काल में अपने यूट्यूब चैनल द्वारा उन्होंने बच्चों की ऑनलाइन स्टडी के अलावा शिक्षकों के तकनीकी सहयोग के लिए 500 से अधिक वीडियो बनाकर अपलोड किए। जिनमें विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी भी दी। जिसे 1 करोड़ से भी अधिक लोगों ने देखा। 50,000 सब्सक्राइबर जोडऩे वाले निठारवाल स्मार्ट वर्चुअल क्लास से शिक्षण और ई-स्माइल राज्य स्तर के प्रोग्राम में ई-कंटेंट बनाने में विशेष योगदान दे चुके हैं। शिक्षण के अलावा रोड सेफ्टी, आपदा प्रबंधन, स्काउटिंग, पर्यावरण सरंक्षण, ब्लड डोनेशन सहित विभिन्न क्षेत्रों में भी इनका योगदान सराहनीय है। अपनी उपलब्धियों के चलते वे स्काउटिंग में राष्ट्रपति पुरस्कार,3 सार्क व 13 नेशनल जम्बुरी उड़ीसा में पुरस्कृत, शिक्षा में शून्य निवेश नवाचार हेतु राष्ट्रीय नवाचार पुरस्कार 2019, राज्यपाल पुरस्कार व राज्य स्तरीय एसआरजी पुरस्कार सहित वे कई पुरस्कार भी हासिल कर चुके हैं।
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