सीकर. सरकारी योजना के तहत स्कूलों में दूध पिलाकर बच्चों की सेहत बनाना गुरुजी के लिए भारी पड़ गया। जिले भर की स्कूलों में अन्नपूर्णा योजना के ढाई करोड़ से ज्यादा रुपए बकाया है। यह बानगी तो सीकर जिले के महज आठ ब्लॉक की है। पूरे प्रदेश में अरबों रुपए इस मद में बकाया चल रहे हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में तो इस बकाया पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन अनलॉक में स्कूलें खुलने के साथ ही बकायादार स्कूलों में गुरुजी के चक्कर काटने लगे हैं। गुरुजी अपने अधिकारियों से बजट की मांग कर रहे हैं, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी तक से ठोस आश्वासन नहीं मिलने के कारण शिक्षक अब परेशान हैं।सरकार ने गुपचुप बंद कर दी योजनाभाजपा सरकार ने वर्ष 2018 में अन्नपूर्णा दूध योजना शुरू की थी। शुरूआत में स्कूलों में एक से आठ कक्षा तक के बच्चों को सप्ताह के तीन दिन दूध पिलाया जाता था। इसके बाद इसे हर दिन कर दिया गया। स्कूलों में प्रार्थना के बाद बच्चों को गर्म दूध को ठंडा कर पिलाने का प्रावधान किया गया था। शिक्षक आसपास के विक्रेताओं से दूध खरीदते थे। कोरोना संक्रमण के दौरान स्कूलें बंद होने से दूध की व्यवस्था भी बंद कर दी गई। अनलॉक होने पर स्कूलें खुलने के बाद भी योजना शुरू नहीं की गई। इस बीच सरकार ने योजना को गुपचुप बंद कर दिया, लेकिन अधिकृत तौर पर कोई आदेश अभी तक जारी नहीं किया गया। शिक्षकों के लिए उधारी चुकाना परेशानीजिले के राजकीय स्कूलों में संस्था प्रधानों व मिड डे मील प्रभारियों ने राशि उधार लेकर दूध तो बच्चों को पिला दिया। लेकिन एक साल से भुगतान अटकने से उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। कोरोना काल के बाद सरकार ने स्कूल शुरू करने के आदेश दिए। दूध आपूर्ति करने वालों ने स्कूलों में शिक्षकों पर भुगतान का दबाव डालना शुरू कर दिया। कमोबेश जिले के हर स्कूल में 20 से 50 हजार की उधारी हो चुकी है, जिसको चुकाना शिक्षकों के लिए भारी पड़ रहा है।शुरूआत से ही योजना रही बजट को मोहताजबीते साल कोरोना के चलते गत वर्ष 14 मार्च से स्कूलों में छात्रों का अवकाश घोषित कर दिया गया। ऐसे में अन्नपूर्णा दूध योजना भी बंद हो गई। इस शैक्षिक सत्र में कक्षा 6 से 12वीं तक के विद्यार्थी स्कूल आ रहे हैं । पांचवी तक के छात्रों के लिए अभी भी स्कूल बंद है। स्कूलों में आ रहे छात्रों के लिए मिड डे मील और अन्नपूर्णा दूध योजना शुरू नहीं की है। मिड डे मील के तहत सरकार घर बैठे ही छात्रों को पोषाहार के रूप में सूखा राशन व तेल मसाले व दाल के पैक उपलब्ध करा रही है।37 से 40 रुपए लीटर के भाव तय स्कूलों में पहली से पांचवी तक के बच्चों को 100 एमएल तथा छठी से आठवीं तक के विद्यार्थियों को डेढ़ सौ ग्राम दूध प्रतिदिन मिलता था। जिसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में स्कूलों को 37 रूपए प्रति लीटर व शहरी क्षेत्र में 40 रूपए प्रति लीटर की दर से भुगतान दिया जाना तय था। इसके लिए शुरूआत में शिक्षकों ने अपने स्तर पर दूध का भुगतान कर दिया।2 करोड़ 58 लाख से ज्यादा बकायासीकर जिले के राजकीय विद्यालयों व पंजीकृत मदरसों में अध्यनरत विद्यार्थियों को मिड-डे-मील योजना में अन्नपूर्णा दुग्ध योजना के तहत वितरण किए गए दूध के 2 करोड़ 58 लाख 47832 रुपए का भुगतान बकाया है। यह भुगतान वित्तिय वर्ष 2019-20 का बकाया है। मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों ने बकाया राशि की सूचना कई बार विभागीय अधिकारियों को भेज दी।प्रयास जारी हंै, जल्द देंगे बजटयोजना बच्चों के लिए है। इसकी समीक्षा कर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। बजट भी जल्द ही प्रयास कर जारी कर दिया जाएगा। गोविंद ङ्क्षसह डोटासरा, शिक्षा मंत्रीदूध का पैसा तो ट्रेजरी में आ गया है। जल्द ही स्कूलों तक पहुंच जाएगा। अभी मैंने जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक से बात की है।राकेश सिंह, प्रभारी पोषाहार
- Advertisement -