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एक निहंग का सरेंडर, ज्ञानी शमशेर सिंह की धमकी

सिंघु बॉर्डर (singhu boardr) पर युवक की हत्या के 15 घंटे बाद एक निहंग (nihang) ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है. कुंडली थाने से पुलिस की एक टीम शुक्रवार शाम 6 बजे सिंघु बॉर्डर पर निहंगों के डेरे में पहुची. सोनीपत के DSP वीरेंद्र राव की अगुआई वाली इस टीम के कुछ मेंबर सीधे निहंगों के साथ उनके पंडाल में चले गए, जबकि बाकी पुलिसवाले पंडाल के बाहर खड़े रहे.
इस टीम में सोनीपत सीआईए के इंचार्ज योगेंद्र यादव भी शामिल थे. निहंगों के डेरे में सरबजीत सिंह (Sarabjeet Singh) नाम के निहंग ने पुलिस टीम के सामने सरेंडर किया. युवक की हत्या शुक्रवार तड़के करीब साढ़े 3 बजे हुई थी. DSP वीरेंद्र राव की अगुआई में पुलिस टीम के साथ सरबजीत सिंह शाम 6.15 बजे डेरे से गुरु ग्रंथ साहिब के दर्शन के लिए निकला.
इस दौरान वहां मौजूद निहंगों ने बोले सो निहाल के नारे भी लगाए. सरेंडर से पहले सरबजीत सिंह को सिरोपा पहनाया गया. यह केसरिया रंग का वस्त्र होता है, जिसे सम्मान का प्रतीक माना जाता है. सरेंडर के बाद सरबजीत ने कहा कि यह किसान आंदोलन का नहीं, बल्कि गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का मामला है.
ज्ञानी शमशेर सिंह बोले- किसी ने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने की हिम्मत की तो फिर ऐसा ही ‘प्रसाद’ देंगे’
सिंघु बॉर्डर पर गुरु ग्रंथ साहिब की कथित बेअदबी के मामले में बेरहमी से मार दिए गए लखबीर सिंह के मामले में निहंग नेता ज्ञानी शमशेर सिंह का कहना है कि धर्म की रक्षा बिना ताकत के नहीं हो सकती. उन्होंने दावा किया, पहले भी गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले सामने आए थे. हमने तब गुनहगारों को पुलिस के हवाले किया था, लेकिन पुलिस ने कुछ दिनों में उन्हें छोड़ दिया. इसलिए इस बार हमने सबक देने के लिए गुनाह के बराबर सजा दी, ताकि दोबारा कोई ऐसा करने की हिम्मत भी न करे, और फिर भी दोबारा ऐसा हुआ तो हम उसे फिर ऐसा ही ‘प्रसाद’ देंगे’
शमशेर सिंह से जब यह पूछा कि क्या इतनी क्रूर हत्या को आप जायज ठहराते हैं? उनका जवाब था, धर्म की रक्षा बिना ताकत के नहीं होती. हिंदुओं में क्षत्रिय भी धर्म की रक्षा के लिए तलवार उठाते हैं. अगर सख्त संदेश नहीं दिया जाएगा तो सभी अपनी मनमर्जी करेंगे. जो हुआ वह जरूरी था, अब कोई भी दोबारा ऐसी हिम्मत नहीं करेगा’ दरअसल वे कह रहे थे कि गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने से बड़ा कोई गुनाह नहीं. गुनाह जितना बड़ा, सजा भी उतनी ही बड़ी. गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी एक गुनाह है.
पर देश में जब पुलिस गुनाहों की सजा देने के लिए मौजूद है, तो क्या आरोपी को उसके हवाले नहीं किया जा सकता था? इस पर शमशेर सिंह का जवाब था, पहले भी कई बार इस तरह की बेअदबी के मामले सामने आए, गुनहगार को पुलिस को सौंपा भी गया, लेकिन पुलिस ने उन्हें कुछ दिनों में ही छोड़ दिया।. इसलिए हमने एक मिसाल के तौर पर इस घटना को अंजाम दिया. अगर दोबारा किसी ने गुरु ग्रंथ साहिब की तरफ आंख उठाकर भी देखा, तो हम फिर उसको ऐसा ही ‘प्रसाद’ देंगे’.
निहंग नेता ज्ञानी शमशेर सिंह से जब पूछा गया कि क्या घटनास्थल पर किसी ने उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की? तो उन्होंने कहा, मैं महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में स्थित हजूर साहिब गुरुद्वारे में हूं. मैं उस वक्त वहां मौजूद नहीं था. इसलिए किसी ने रोका या नहीं रोका, इस पर कुछ नहीं कह सकता हूं. उन्होंने आगे कहा, निहंग योद्धा होते हैं. हमारी एक सेना है. यह सेना रक्षा के लिए होती है. धर्म की रक्षा, सिखों के ऊपर हो रहे अत्याचार से उनकी रक्षा. इसलिए गुरु ग्रंथ साहिब पर अगर हमला होगा, बेअदबी की जाएगी तो उसके खिलाफ निहंगों की तलवार बाहर निकलेगी. हम किसान आंदोलन में भी शामिल हैं. निहंग भी किसान होते हैं. बतौर किसान भी हम प्रदर्शन स्थल में शामिल थे, लेकिन हमारी भूमिका वहां एक रक्षक की भी है.’
तो क्या आप लोग धरनास्थल पर शुरू से हैं? उनका जवाब था, नहीं, हम पहली बार 26 जनवरी 2020 को दिल्ली के लाल किले तक हुए प्रदर्शन दल में शामिल थे. हमारा समर्थन धरना दे रहे किसानों को पहले से था, लेकिन उस घटना के बाद सिंघु बॉर्डर में हमने डेरा जमाया. ताकि किसान आंदोलन को कोई नुकसान ना पहुंचा सके’. क्या प्रदर्शन में शामिल किसान संगठनों ने आपसे समर्थन मांगा था? शमशेर सिंह ने दो टूक जवाब दिया, नहीं, कभी नहीं. हम अपनी मर्जी से अपने अस्त्र-शस्त्र और घोड़ों के साथ पिछले साल हुए प्रदर्शन में शामिल हुए थे.
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