सीकर. कुछ कर गुजरने की कोशिश व कशिश हो तो कामयाबी कदमों तले होती है। इसकी नजीर श्रीमाधोपुर के नांगल नाथूसर की मंजू शेखावत है। जिसने गुड्डे- गुडिय़ों की मूर्ति खेल में ही बनाना शुरू किया था, लेकिन इस कला में उसने ऐसा मन और मेहनत लगाई कि बिना किसी प्रशिक्षण के ही वह मूर्तिकला में पारंगत हो गई। किसी भी आकार व शक्ल की हूबहू मूर्ति बनाने वाली मंजू की कला का ही करिश्मा है कि उतराखंड के मुख्यमंत्री से सम्मानित होने सहित वह विभिन्न प्रदर्शनी व समारोह में 67 बार सम्मानित हो चुकी है।
पहले किराना स्टोर संभाला, फिर समाज ने दिया संबलमंजू ने मूर्तियां बचपन में शौक में ही बनाना शुरु किया था। दसवीं कक्षा के बाद तो उसने मूर्तिकला को ही मिशन बना लिया। इस बीच पिता शंभु सिंह शेखावत के किराणा स्टोर संचालन में भी पूरी मदद करते हुए बीए की पढ़ाई भी की। इसी बीच जब समाज की नजर उसकी प्रतिभा पर गई तो उन्होंने सामाजिक व आर्थिक प्रोत्साहन देकर उसका प्रवेश राजस्थान विश्वविद्यालय में करवाया। जहां बीवीए के बाद अब वह फाइन आर्ट से एमवीए कर रही है।
मॉर्डन आर्ट से दिखाया अपने जीवन का संघर्षमंजू मूर्ति बनाने के साथ पेंटिंग व मॉर्डन आर्ट का भी जबरदस्त हुनर रखती है। उसने मॉर्डन आर्ट के जरिए अपने जीवन के संघर्ष का चित्रण भी किया है। जिसमें गांव से लेकर शहर तक के सफर व अपनी उपलब्धियों का विहंगम रेखांकन किया गया है।
67 बार मिला सम्मानअपनी कला के बूते मंजू 67 बार सम्मानित हो चुकी है। इनमें 2015 में उत्तराखंड मुख्यमंत्री से वुमन अवार्ड के अलावा 2000 में अजमेर में मूर्तिकला की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल, 2019 में पुष्कर में आयोजित तीन दिवसीय महोत्सव में कला कुटुम्ब संस्था कार्यक्रम में प्रथम पुरस्कार सहित विभिन्न संगठनों के सम्मान शामिल हैं।
महापुरुषों, राजनेताओं व देवी देवताओं की मूर्तिमंजू अब तक 2000 से ज्यादा मूर्तियां बना चुकी है। जिनमें महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों से लेकर भगवान गणेश व दुर्गा माता सरीखे देवी- देवताओं तथा जल संसाधन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत जैसे राजनेताओं तक की मूर्ति शामिल है। हवामहल जैसे हैरिटेज, किसान, नारी चेतना व ग्रामीण परिवेश भी उसकी कला के विषय रहे हैं। शादी समारोह में भी मंजू अपने रिश्तेदारों को मूर्तियां बनाकर उपहार देती है। गणेश महोत्सव के लिए मंजू भगवान गणेश की साढ़े नौ फीट ऊंची मूर्ति तक भी बना चुकी है।
संडे वुमन गेस्ट एडिटर: मंजू ने मेहनत से पाया मूर्तिकला में मुकाम, अब तक मिले 67 सम्मान
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