आशीष जोशीसीकर. बजाज, बिड़ला, गोयनका, पीरामल, डालमिया, मित्तल, खेतान, वेदांता, पोद्दार, मोरारका, रूंगटा, सिंघानिया, मित्तल, भरतिया…। देश की जीडीपी ग्रोथ में बड़ा योगदान देने वाले ये सब औद्योगिक घराने शेखावाटी ने दिए हैं। देश का औद्योगिक विकास करने वालों की ये जन्म स्थली है, लेकिन एक बड़े उद्योग के लिए भी तरस रही है। सरकार की ओर से इन उद्योगपतियों को न तो यहां उद्योग लगाने के लिए कभी आमंत्रित किया गया और ना ही क्षेत्र के औद्योगिक विकास की दिशा में कोई अन्य मजबूत प्रयास हुए। कांग्रेस की पिछली सरकार के समय कई कंपनियों ने यहां सीमेंट फैक्ट्री के लिए एमओयू किए, लेकिन विभिन्न विवादों और लालफीताशाही की वजह से बात आगे नहीं बढ़ी। जमीन आवंटनए बिजली कनेक्शन सहित अन्य संसाधनों के लिए सरकारी प्रक्रिया की कछुआ चाल के साथ उद्योगपति कदमताल नहीं कर सके। झुंझुनूं में रेलवे की ब्रॉडगेज लाइन बिछ गई तो ट्रांसपोर्टेशन सेवा शुरू नहीं हुई। झुंझुनूं में औद्योगिक इकाइयों के लिए डंपिंग यार्ड तक नहीं है। इस कारण कई ग्रेनाइट फैक्ट्रियां बंद हो गई।——————–सीकर: बन सकता है टाइल्स इंडस्ट्री हबनीमकाथाना इलाके में उच्च क्वालिटी का क्वार्टज तथा फेल्सपार प्रचुर मात्रा में है। यहां से इनका पाउडर तैयार होकर गुजरात जाता है। जहां इससे टाइल्स बनाई जाती हैं। यहां उद्योग के लिए प्राकृतिक गैस की आवश्यकता है। गैस पाइप लाइन नहीं होने से अब तक कोई फैक्ट्री नहीं लगी। गुजरात से पंजाब जाने वाली पाइप लाइन से नीमकाथाना को गैस लाइन दिलाने की आवश्यकता है। रामगढ़ शेखावाटी में बहुतायत में हैंडीक्राफ्ट आइटम बन रहे हैं। इसे बड़े उद्योग का रूप दिया जा सकता है।——————-झुंझुनूं : सीमेंट उद्योग से खुल सकते हैं रोजगार के नए द्वारनवलगढ़ में सीमेंट उद्योग के लिए सबसे जरूरी कच्चा माल लाइम स्टोन उपलब्ध है। यहां कई कम्पनियां सीमेंट प्लांट लगाना चाहती है, लेकिन जमीन अधिग्रहण की धीमी गति के कारण प्लांट लगाने में देरी हो रही है। वहीं सीकर के नीमकाथाना तहसील के मांवडा, रामपुरा, बल्लुपुरा के आसपास भी सीमेंट ग्रेड लाइम स्टोन भंडार है।चूरू: हैंडीक्राफ्ट व तिरपाल को चाहिए औद्योगिक जमीनयहां पर हैण्डीक्राफ्ट उद्योग की बहुत संभावनाएं हैं। सुजानगढ़ की तिरपाल मंडी विख्यात है। इसे औद्योगिक जमीन मिले तो यह उद्योग पंख फैला सकता है।——————–उद्योग विभाग: पद ही रिक्त, कहां जाए उद्यमीझुंझुनूं: जिला उद्योग केंद्र में महाप्रबंधक समेत 20 के स्टाफ में से नौ पद खाली। रीको में क्षेत्रीय प्रबंधक समेत महज पांच का स्टाफ । —————–चूरू: जिला उद्योग केन्द्र सहित अन्य उपखंडों में कुल 22 पद। उपनिदेशक सहित दो जिला उद्योग अधिकारीए दो उद्योग प्रसार अधिकारीए एक सूचना सहायक व तीन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद रिक्त।—————-सीकर: रीको में क्षेत्रीय प्रबंधक समेत दस का स्टाफ । जिला उद्योग केंद्र में महाप्रबंधक समेत 21 का स्टाफ। जिसमें 2 पद खाली।—————–मास्टर प्लान में भी दिखाए सिर्फ सपन, नहीं मिली उद्योगों को जमीनदावा: मास्टर प्लान 2011 में सीकर में 168 हेक्टेयर भूमि औद्योगिक उपयोग के लिए प्रस्तावित की गई।हकीकत : केवल 35 हेक्टेयर भूमि ही उद्योगों के लिए उपयोग में ली।——————–दावा: जयपुर रोड पर रीको औद्योगिक क्षेत्र के लिए 22 हेक्टेयर भूमि के अतिरिक्त 57 हेक्टेयर भूमि प्रस्तावित की गई।हकीकत: इसमें से कुछ क्षेत्र में आवासीय मकान बन गए। कुछ भूमि पर आवासीय भूखंड काट दिए गए।——————दावा: बीकानेर रोड पर 78 हेक्टेयर भूमि औद्योगिक प्रयोजनार्थ प्रस्तावित।हकीकत: अधिकांश भाग में आवासीय निर्माण हो गए व कुछ भाग में भूखंड कट गए। ——————–दावा: जयपुर और बीकानेर रोड पर करीब 20 हेक्टेयर भूमि पर दो ट्रक टर्मिनस प्रस्तावित थे।हकीकत: बीकानेर रोड पर प्रस्तावित स्थल पर आवासीय निर्माण हो गए और जयपुर रोड पर भी विकसित नहीं हो सका।…अब मास्टर प्लान 2031 में दावा: 149 हेक्टेयर में औद्योगिक भू उपयोग प्रस्तावित। राधाकिशनपुरा योजना क्षेत्र में जयपुर.झुंझुनूं बाइपास पर 109 हेक्टेयर भूमि औद्योगिक उपयोग के अन्तर्गत प्रस्तावित की गई है।——————नाम का सिंगल विंडो सिस्टमउद्यमियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित करने को सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया गया थाए लेकिन जमीनी हकीकत उलट है। महीनों तक भूमि रूपान्तरण व बिजली कनेक्शन तक नहीं हो पाता है।—————–इस एक उदाहरण से समझें लालफीताशाही में कैसे अटका निवेशकांग्रेस के पिछले कार्यकाल में नीमकाथाना व अजीतगढ़ इलाके में गुजरात की दो नामी टाइल्स कंपनियों ने निवेश के लिए सरकार को प्रस्ताव दिया था। दो महीने तक दोनों कंपनियों को जमीन तक उपलब्ध नहीं हो सकी। बादमें स्थानीय उद्यमियों ने भी सरकार से दोनों को जमीन आवंटन की मांग रखी तो काफ ी महंगी दर तय की गई। गैस पाइन लाइन के अस्थाई विकल्प व पेयजल क्षमता बढ़ाने पर भी सरकार ने सहमति नहीं जताई। फि र कंपनी ने सीकर जिले में निवेश नहीं किया। दोनों कंपनी सीकर में निवेश करती तो शेखावाटी के 20 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलता।——————-इसलिए शेखावाटी में नहीं लग रहे उद्योग-औद्योगिक क्षेत्रों में ई.ऑक्शन के जरिए हो रही भूखण्डों की नीलामी में रियल एस्टेट सहित अन्य लोग गु्रप बनाकर महंगी बोली से भूखण्ड आवंटित करा लेते हैं। फिर यहां उद्योग नहीं लगाते।-राजस्थान में दूसरे राज्यों के मुकाबले बिजली महंगी होने से बड़े उद्योगपतियों का दूसरे राज्यों में निवेश का ज्यादा रुझान।-सोलर प्लांट लगाने के लिए भी रियायतों की सीमा तय। -औद्योगिक क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाओं का अभाव।-इंडस्ट्री फ्रेंडली उद्योग नीति का अभाव।——————-ऐसा हो तो बने निवेश का माहौल-जिस कंपनी के पास औद्योगिक विकास का प्लान तैयार होए उसी को भूमि आवंटित की जाए।-सरकार यहां सर्वे कराकर जहां जिस क्षेत्र में संभावना हो उनसे जुड़े उद्यमियों को आमंत्रित कर जमीन आवंटन सहित अन्य सुविधाओं पर छूट दे। -शेखावाटी के तीनों जिलों में रेल कनेक्टिविटी बढ़़ानी होगी।-भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है। नहर योजना से पूरे क्षेत्र को तत्काल जोड़ा जाए। —————-पत्रिका एक्सपर्ट पैनलश्रवण कालेर, सीकर, अनिल गुप्ता, झुंझुनूं, प्रदीप तोदी, चूरू।
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