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खेल विभाग का दावा खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने का, चिकित्सा विभाग का भर्ती पर ‘लॉकडाउन’

सीकर. प्रदेश में खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए खेल विभाग की ओर से खिलाडिय़ों को सीधी नौकरी के साथ सभी भर्तियों में आरक्षण का दावा किया जा रहा है, लेकिन सरकार के ही अन्य विभाग इस दावे की हवा निकाल रहे है। चिकित्सा विभाग की ओर से हुई सीएचओ (कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर) भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों को कोरोना की दूसरी लहर के बीच पिछले महीने नियुक्ति दे दी गई। लेकिन खिलाड़ी व दिव्यांग अपने हक के लिए अभी सिस्टम से जंग लडऩे पर मजबूर है। दरअसल, विभाग ने खेल कोटे में 160 से अधिक विभिन्न खेलों के खिलाडिय़ों का चयन कर लिया, लेकिन अभी तक सूची अनलॉक नहीं हो सकी है। इसका खामियाजा बेरोजगार खिलाडिय़ों को भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश में ऐसे भी खिलाड़ी है जो प्रदेश में सीएचओ नौकरी की आस में दूसरे राज्यों की नौकरी भी छोड़कर आ गए, लेकिन यहां विभाग की लापरवाही के भंवर में उनकी नौकरी फंस गई है। इधर, चिकित्सा विभाग का दावा है कि सत्यापन का काम पूरा होते ही खेल कोटे के चयनितों को भी नौकरी मिलेगी।ऐसे समझें जिम्मेदारों की लापरवाही और सिस्टम में खामी को
1. आरक्षण का नियम, लेकिन सत्यापन की एजेंसी तय नहींप्रदेश में खेल विभाग ने सभी भर्तियों में आरक्षण देने का नियम तो लागू कर दिया लेकिन सत्यापन की व्यवस्था धरातल पर बेहद कमजोर है। प्रदेश में अब तक जिस विभाग की भर्ती होती है उसमें सत्यापन का काम उस विभाग की ओर से किया जाता है। एक्सपर्ट का कहना है कि यदि खेल कोटे में आने वाले आवेदनों का काम सीधे राजस्थान राज्य राज्य क्रीड़ा परिषद के जिम्मे कर दिया जाए तो समय पर सत्यापन हो सकता है।
2. आवेदन के साथ ही शुरू हो सत्यापन
प्रदेश में अन्य राज्यों की तरह सत्यापन को लेकर भी कायदे अलग है। कई राज्यों में विभिन्न कोटे के तहत होने वाली भर्तियों में आवेदन के समय ही सत्यापन शुरू हो जाता है। खेल विभाग से जुड़े जानकारों का कहना है कि सभी फैडरेशनों के जरिए सरकारी एजेंसी तत्काल सत्यापन करवा सकती है। इसके लिए विभागों को भर्ती के समय खेल के जानकारों की एक कमेटी भी बनानी चाहिए जिससे सत्यापन का काम जल्द पूरा हो सके।
वादा 25 हजार का, मिल रहे महज 7900सीएचओ भर्ती को लेकर किए दावे भी सरकार के झूठे नजर आ रहे हैं। फिलहाल सीएचओ में चयनित अभ्यर्थियों को सरकार की ओर से महज 7900 रुपए का मानदेय दिया जा रहा है। जबकि सरकार ने विज्ञप्ति के समय 25 हजार रुपए मानदेय व 15 हजार रुपए कार्य प्रोत्साहन राशि देने का वादा किया था। देश के अन्य राज्यों में निर्धारित मानदेय ही दिया जा रहा है। इनके वेतन में 60 फीसदी हिस्सा केन्द्र व 40 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार का है।
सरकार नहीं शुरू कर सकी ब्रिज कोर्स, खामियाजा भुगत रहे बेरोजगार
भर्तियों में चल रही लेट-लतीफी का खामियाजा बेरोजगारों को भुगतना पड़ रहा है। दरअसल, सीएचओ की भर्ती प्रदेश में वर्ष 2019 में होनी थी। लेकिन उस दौरान स्वास्थ्य मंत्री व एक वरिष्ठ आइएएस अधिकारी के बीच हुई तकरार की वजह से भर्ती अटक गई। जबकि देश के कई राज्यों में सीएचओ की भर्ती दो बार हो चुकी है। इसके बाद भी सरकार की ओर से ब्रिज कोर्स शुरू नहीं किया जा सका है। दरअसल, चयनित अभ्यर्थियों को ब्रिज कोर्स पूरा करने के बाद ही सरकार ने पूरा वेतन देने का वादा किया है।
सरकार बेरोजगारों की परीक्षा नहीं लें
सरकार मेडिकल क्षेत्र में कार्यरत युवाओं के धैर्य की परीक्षा लेने पर तुली है। खेल कोटे के जरिए चयनित लगभग 160 अभ्यर्थियों की नियुक्ति को जान बूझकर अटका रखा है। यदि सरकार ने समय रहते हुए इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं दी तो सरकार के सभी मंत्रियों का घेराव किया जाएगा। सरकार को ब्रिज कोर्स भी समय पर शुरू करना होगा जिससे, चयनित अभ्यर्थियों को पूरा वेतन मिल सके।भरत बेनीवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आइएमएसयू
दिव्यांग व खिलाडिय़ों को जल्द मिलेगी राहत
सत्यापन की वजह से दिव्यांग व खेल कोटे के चयनित अभ्यर्थियों की सूची अनलॉक नहीं हो सकी थी। अब सत्यापन का काम तेजी से चल रहा है। आधे से ज्यादा खिलाडिय़ों व दिव्यांगों का सत्यापन भी हो चुका है। जून के आखिर तक परिणाम जारी करने की तैयारी है। जुलाई से ब्रिज कोर्स भी शुरू करने की योजना है।लक्ष्मण सिंह ओला, निदेशक, आरसीएच, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग
 
एक्सपर्ट व्यू: 40 हजार वालों को न्यूनतम मजदूरी भी नहीें
चिकित्सा विभाग ने सीएचओ को जिम्मेदारी तो दे दी, लेकिन मानदेय के मामले में सभी कायदे टूट गए। कई अभ्यर्थी तो ऐसे हैं जो दूसरे राज्यों में 40 हजार रुपए के वेतन पर काम कर रहे थे, लेकिन वह राज्य में नौकरी मिलने पर आ गए। अब यहां न्यनूतम मजदूरी भी नसीब नहीं हो रही है। ऐसे में होनहार अभ्यर्थियों का मोहभंग होता है।शशिकांत शर्मा, प्रदेश संयोजक, नर्सेज एसोसिएशन

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