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खास खबर: नकली दवाओं का असली खेल, हर साल 6 हजार नमूनों की जांच ही नहीं हो पा रही

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आशीष जोशी
सीकर. राज्य में नकली और मिलावटी दवाओं पर लगाम नहीं लग पा रही है। संदिग्ध दवाओं के नमूने लेने के बाद जांच रिपोर्ट आने में ही महीनों-सालों लग रहे हैं। स्थिति यह है कि हर साल पांच से सात हजार नमूनों की जांच पेंडिंग ही रहती है। वजह, वर्तमान में प्रदेश में केवल एक ही औषधि परीक्षण प्रयोगशाला संचालित है। पूरे प्रदेश से लिए जाने वाले दवाओं के सैम्पल की जांच का भार फिलहाल इसी एक लैब पर है। जोधपुर, बीकानेर व उदयपुर की प्रयोगशालाओं के संचालन के लिए सरकार मैन पावर उपलब्ध नहीं करवा पा रही। जबकि अधिकतर जांच उपकरणों की भी व्यवस्था हो चुकी है। ढाई साल में 64 दवाओं के नमूने नकली व मिलावटी और 255 नमूने अवमानक पाए गए हैं। अधिकांश नकली और संदिग्ध दवाओं की रिपोर्ट आने से पहले उनके विक्रय पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाता। जानलेवा बेपरवाही के हालात ऐसे हैं कि अधिकतर मामलों में मरीज उनका सेवन कर चुके होते हैं। घोषणा के 10 साल बाद भी शुरू नहीं हुई तीन नई लैब जोधपुर, उदयपुर और बीकानेर में औषधि परीक्षण प्रयोगशाला के लिए करीब तीन साल से इमारत तैयार है। सरकार अब तक एनालिस्ट और अन्य कार्मिकों की भर्ती नहीं निकाल पाई है। विभागीय स्तर पर ड्रग एनालिस्ट के वैकल्पिक इंतजाम भी नहीं हो सके हैं। राज्य सरकार ने 2012 के बजट में इसकी घोषणा की थी।जयपुर, जोधपुर में मिली सबसे ज्यादा नकली दवाएंपिछले ढाई साल में राजधानी में सर्वाधिक 54 नमूने अवमानक पाए गए। जबकि जोधपुर में 29 और अलवर में 20 नमूने अवमानक मिले। जालोर, सिरोही, धौलपुर व प्रतापगढ़ में एक भी नकली दवा नहीं मिली।हर साल पांच-सात हजार की पेंडेंसीवर्ष — पेंडिंग नमूने
2017-18 — 58882018-19 — 5625
2019-20 — 74832020-21 — 6345
2021-22 (जून 2021 तक) — 5725यों समझें दवाओं का गणित2019 से जून 2021 तक कुल नमूने लिए : 12253
अवमानक मिले : 255 नमूनेनकली व मिलावटी मिले : 64
सीधी बात : राजाराम शर्मा, औषधि नियंत्रक, राजस्थान
सवाल : तीनों लैब कब तक शुरू होंगी?जवाब : तीनों लैब जल्द ही शुरू करने के प्रयास कर रहे हैं।
सवाल : नकली या अवमानक दवाओं की बिक्री पर रोक की क्या व्यवस्था है?जवाब : जांच रिपोर्ट में औषधि के अवमानक घोषित होने पर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संबंधित औषधि के बैच की बिक्री पर तत्काल रोक लगाई जाती है।
सवाल : नमूनों की रिपोर्ट आने तक तो हजारों लोग उसका सेवन कर चुके होते हैं। क्या यह व्यवस्था जानलेवा नहीं है?जवाब : बाजार में रिलीज करने से पूर्व औषधि निर्माता की स्वयं की प्रयोगशाला या औषधि नियंत्रक की अनुमोदित बाहर की प्रयोगशालाओं से दवाओं के गुणवत्ता की जांच होती है। इसमें मानक कोटि की होने पर ही इन औषधियों का विक्रय बाजार में किया जाता है।

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