आशीष जोशीसीकर. सेना में लैंगिक समानता का मुद्दा उठता रहा है, लेकिन पुलिस बलों में ही अभी जेंडर सुधार नहीं हुआ है। राजस्थान पुलिस में महिलाओं का प्रतिनिधित्व महिला सशक्तिकरण के दावों को झुठला रहा है। राज्य में 33 फीसदी के मुकाबले अब तक महिला पुलिस का आंकड़ा9.80 प्रतिशत तक ही पहुंचा है। महिला पुलिस के प्रतिनिधित्व को बढ़ाकर कुल नफरी का 33 फीसदी करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 9 साल में 5 बार एडवाइजरी जारी करने के बावजूद राज्य सरकार इस ओर गंभीर नहीं है। पुलिस थानों को जेंडर-सेंसेटिव बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने 2009 में पुलिस में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को 33 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया था।—————जून 2021 में भी राज्य सरकार को लिखा पत्रकेंद्रीय गृह मंत्रालय ने 22 जून 2021 को भी राज्य सरकार को एडवाइजरी जारी करते हुए लिखा कि वह पुरुष पुलिसकर्मियों के रिक्त पदों को परिवर्तित करके महिला कांस्टेबलों और उप निरीक्षकों के अतिरिक्त पद सृजित करें। मंत्रालय ने इससे पूर्व 22 अप्रेल 2013, 21 मई 2014, 12 मई 2015 व 21 जून 2019 को भी महिला पुलिस के प्रतिनिधित्व को बढ़ाकर कुल नफरी का 33 प्रतिशत करने के लिए पत्र लिखा था।———————-24 घंटे काम नहीं कर पा रही महिला हेल्प डेस्कमहिला पुलिस की कम नफरी की वजह से थानों में महिला हेल्प डेस्क 24 घंटे काम नहीं कर पा रही। मंत्रालय के अनुसार इसके लिए प्रत्येक पुलिस थाने में कम से कम 3 महिला उप निरीक्षक व 10 महिला कांस्टेबल होनी चाहिए।———————-बिहार की तुलना में महिला पुलिसकर्मी आधी भी नहींबिहार में महिला पुलिसकर्मी कुल नफरी का 25.3 प्रतिशत हो गई है। यह राजस्थान (9.80) समेत अन्य बड़े राज्यों की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है। महिला पुलिसकर्मियों के मामले में बिहार के बाद दूसरे पायदान पर हिमाचल प्रदेश है। जहां 19.15 फीसदी महिला पुलिसकर्मी है। इसी साल अगस्त में बिहार की बेटी नीना सिंह राजस्थान में पुलिस महानिदेशक की रैंक पर पहुंचने वाली पहली महिला पुलिस अधिकारी बनी थी।————————-9339 महिला पुलिसकर्मियों में से 8394 कांस्टेबल2020 तक के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में कुल 9339 महिला पुलिसकर्मी हैं। जो कुल नफरी का महज 9.80 प्रतिशत है। इसमें भी 8394 कांस्टेबल व 439 हैड कांस्टेबल हैं। महिला अधिकारियों की संख्या कम है।———————–इसलिए जरूरी है महिला पुलिसकर्मी, क्योंकि…- महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध बढ़ रहे हैं।- थानों में महिला पुलिसकर्मी की मौजूदगी महिलाओं का मनोबल बढ़ाता है।- सार्वजनिक स्थानों पर भी महिला पुलिस की तैनाती आम स्त्रियों में सुरक्षा और संबल का भाव जगाती है।- छेड़छाड़ या बलात्कार की शिकार पीडि़ताएं महिला अधिकारी के समक्ष अपनी बात बेहतर ढंग से रख सकती हैं।- पुलिस थानों का परिवेश बदलेगा और महिलाएं आगे आकर शिकायतें दर्ज करवाएंगी।————————-फील्ड में कम, डेस्क पर ज्यादाकरीब दो साल पहले देश में पुलिस व्यवस्था पर कराए सर्वे में 20 फीसदी महिलाकर्मियों से हुई बातचीत में पता चला कि उन्हें इनहाउस कामों जैसे रजिस्टर संधारण, फाइल संभालने और डेटा खोजने में लगाया जाता है। करीब 50 प्रतिशत महिला पुलिसकर्मियों का मानना था कि उनके साथ बराबरी का सलूक नहीं होता। हर चार में से एक महिला पुलिसकर्मी ने कहा कि उनके थाने में यौन प्रताडऩा के मामलों की जांच करने वाली समिति नहीं है। पांच में से एक महिलाकर्मी का मानना था कि थाने में महिलाओं के लिए अलग टॉयलेट नहीं है।——————–देश में 10 फीसदी से ज्यादा महिला पुलिसकर्मी वाले क्षेत्र
क्षेत्र — कुल महिला पुलिस — महिला पुलिस का प्रतिशतबिहार — 23245 — 25.30हिमाचल प्रदेश — 3375 — 19.15चंडीगढ़ — 1448 — 18.78तमिलनाडु — 20861 — 18.50लद्दाख — 309 — 18.47अंडमान निकोबार — 553 — 12.58महाराष्ट्र — 26890 — 12.52दिल्ली — 10110 — 12.30उत्तराखंड — 2578 — 12.21गुजरात — 9847 — 11.71गोवा — 836 — 10.57लक्षद्वीप — 28 — 10.49ओडिशा — 5854 — 10.01(वर्ष 2020 तक के आंकड़े)—————————–पुलिस की हर भर्ती में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। इसी से धीरे-धीरे पुलिस महकमे में महिलाओं की भागीदारी लक्ष्य तक पहुंचेगी। पहले तो महिलाएं पुलिस में आती नहीं थी, फिर आने लगी तो अब आंकड़ा 10 फीसदी के करीब पहुंचा है। महिला पुलिसकर्मियों के मामले में हम कई राज्यों से बेहतर स्थिति में है।एमएल लाठर, पुलिस महानिदेशक, राजस्थान
खास खबर: हमसे तो बिहार बेहतर…वहां 25 फीसदी महिला पुलिस, हमारे यहां 10 प्रतिशत भी नहीं
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