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खास खबर: तीन साल बाद भी डिजिटल नहीं हुए प्रदेश के 33 गांव

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आशीष जोशीसीकर. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी व सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय की डिजिटल ग्राम पायलट परियोजना प्रदेश में पूरी तरह साकार नहीं हो पाई है। परियोजना को 31 अक्टूबर 2018 को 3 साल की अवधि के लिए डिजिटल इंडिया योजना के तहत सीएससी ई गवर्नेंस सर्विस इंडिया लिमिटेड के जरिए पूरे देश में लागू किया गया था। केंद्र के इस महत्वकांक्षी पायलट प्रोजेक्ट को तीन साल पूरे होने पर पत्रिका ने प्रदेश के चिह्नित 33 गांवों की पड़ताल की तो उजली तस्वीर सामने नहीं आई। हालात यह है कि अस्पतालों में टैली मेडिसिन व टैली पशु चिकित्सा परामर्श से लेकर टैली कोशल प्रमाण पत्रों के मामले में तो लक्ष्य का 25 फीसदी काम भी नहीं हुआ। योजना के तहत प्रदेश के प्रत्येक जिले से एक गांव का चयन किया गया था। शिक्षाए स्वास्थ्यए वित्तीय समावेशनए सौर स्ट्रीट लाइट व कौशल विकास समेत कुल पांच क्षेत्र निर्धारित किए गए थे। इनमें शिक्षा के क्षेत्र में बेसिक कम्प्यूटर कोर्सए कम्प्यूटर कॉन्सेप्ट पर पाठ्यक्रम और टैली कौशल प्रमाण पत्र की सेवाएं दी जानी थी।…अब देश के एक लाख गांवों पर नजरपायलट प्रोजेक्ट में देश के 700 गांव शामिल किए थे। केंद्र सरकार अब देश के एक लाख से अधिक गांवों को डिजिटल ग्राम में परिवर्तित करने के लिए भारत नेट समर्थित कनेक्टिविटी का विस्तार करने और उसका प्रभावी ढंग से उपयोग करने की योजना बना रही है। इसमें गांवों की कृषि और वाणिज्य को भी जोड़ा जाना प्रस्तावित है।कोटा: रजोपा में बंद हो गया केंद्ररजोपा में 8 सोलर लाइटें लगी हैं। प्रोजेक्ट के बारे में सरपंचए ग्राम विकास अधिकारी और खंड विकास अधिकारी को कोई जानकारी नहीं है। यह योजना सीएससी के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही थी। योजना के जिला प्रबंधक लोकेश भट्ट ने कहाए ऑनलाइन एजुकेशन के जो टारगेट आए थे वे पूरे कर लिए हैं। फिर कोई बजट नहीं आयाए इसलिए अभी रजोपा में केंद्र बंद है।जैसलमेर: 8 सोलर लाइट से डिजिटल हो गया अजासरअजासर गांव के अधिकतर ग्रामीणों को तो डिजिटल ग्राम की जानकारी तक नहीं है। सरपंच सागर कंवर और गांव के अन्य लोगों के अनुसार इस योजना में 6 घंटा फ्र्री इंटरनेट सुविधा आज तक नहीं मिल पाई है। टेली परामर्श नहीं मिल रहा। कॉमन सर्विस सेंटर के इंचार्ज मूल सिंह ने बतायाए कुछ बच्चों को ऑनलाइन परीक्षा दिलवाई गई व 8 सोलर लाइट लगाई गई है। चूरू: नाम का डिजिटल विलेज मेघसरतारानगर पंचायत समिति क्षेत्र का गांव मेघसर केवल नाम का डिजिटल ग्राम है। यहां केवल एक प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित कर कम्प्यूटर कोर्स के तहत अब तक 156 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। 82 युवाओं को बीसीसीए 58 को सीसीसीए 6 को टेली कोर्स एवं 10 को सहयोगी उपकरण मरम्मत व निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया है।सीकर: हर्ष के ग्रामीण बोले यहां तो कॉलिंग में ही दिक्कत, काहे का डिजिटलसीकर जिले का हर्ष गांव कागजों में डिजिटल ग्राम है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां तो कॉलिंग में ही काफ ी दिक्कत आती हैए डिजिटल गांव तो अभी सपना है। विभाग का दावा है कि गांव में सभी घरों का सर्वे कर ऑनलाइन फ ीडिंग, स्ट्रीट लाइट व वाईफ ाई की सुविधाए युवाओं व पशुपालकों के प्रशिक्षण के लिए अलग-अलग शिविर लगाए जा चुके है।पाली: कागजों में डिजिटल हुआ घेनड़ीतीन साल पहले रानी तहसील के पिलोवनी ग्राम पंचायत के घेनडी गांव का चयन किया गया थाएलेकिन इस गांव का डिजिटल होना महज कागजों मेे खानापूर्ति बनकर रह गया है। गांव के अस्पताल और पशु चिकित्सालय में टेली मेडिसिन लागू ही नहीं हो पाई। कुछ बच्चों और युवाओं को कम्प्यूटर कोर्स जरूर करवाए गए।

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