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बिग इश्यू: जाम में फंस रही सीकर की इकोनॉमी, एजुकेशन हब को चाहिए फोर लेन पुलिया

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संकरी पुलिया, चौड़े अरमान: नवलगढ़ पुलिया हो फोर लेन तो शिक्षानगरी की अर्थव्यवस्था को लगे पंख
पत्रिका मुहिम: सीकर की सबसे बड़ी डिमांड पूरी होने तक जारी रहेगा संघर्ष
सीकर. प्रदेशभर में शिक्षा के क्षेत्र में हमारे सीकर की लगातार धाक मजबूत हो रही है। यहां सबसे ज्यादा आबादी विस्तार नवलगढ़ रोड व पिपराली रोड इलाके में हुआ है। वजह है, इन दोनों रोड पर लगातार कोचिंग, स्कूल व हॉस्टल की संख्या बढऩा। यहां के लोगों के भविष्य के सपनों को विस्तार देने में संकरा पड़ता नवलगढ़ पुलिया बड़ी चुनौती बना हुआ है। यातायात के बढ़ते लोड की वजह से इस पुलिया पर दिनभर जाम लगा रहता है। रोजाना 40 हजार से अधिक परिवारों को इस समस्या का खामियाजा जाम के रूप में भुगतना पड़ता है। इस जाम का असर शहर के परकोटे इलाके में भी देखने को मिलता है। नवलगढ़ पुलिया के फोरलेन होने पर शहरवासियों को इस समस्या से राहत मिल सकती है।——————इसलिए महत्वपूर्ण है पुलिया का फोर लेना होना, क्योंकि…40 हजार परिवारों की आर्थिक धुरी है यह पुलिया60 से अधिक हैं यहां छोटी-बड़ी कोचिंग70 से ज्यादा स्कूलें हैं इस इलाके में80 हजार विद्यार्थी यहीं से आते-जाते हैं190 पीजी हैं इन दोनों रोड पर250 हॉस्टल बने हैं इलाके में10 साल से उठ रही है मांग——————–रिकॉल : हर बार सिर्फ चुनावी मुद्दापिछली भाजपा सरकार के समय तत्कालीन विधायक रतन जलधारी ने विधानसभा में आठ बार इस मुद्दे को उठाया था। चुनावी साल में सरकार ने इस प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाकर सार्वजनिक निर्माण विभाग के जरिए काम शुरू करने की घोषणा की थी। फिर आचार संहिता में यह प्रोजेक्ट अटक गया। दरअसल, विधानसभा में 21 फरवरी 2018 को सार्वजनिक निर्माण विभाग की मांगों में चर्चा के दौरान लक्ष्मणगढ़ विधायक गोविंद सिंह डोटासरा ने नवलगढ़ पुलिया को फोरलेन करने की मांग की तो सार्वजनिक निर्माण मंत्री युनुस खान ने इसके लिए एस्टीमेट मंगवा कर काम जल्द शुरू करने की घोषणा की थी। कांग्रेस के वर्तमान विधायक राजेन्द्र पारीक ने इसे चुनाव में मुद्दा बनाते हुए पुलिया को फोरलेन करने का वादा किया था। नगर परिषद के चुनाव में भी सभापति जीवण खां ने यह वादा दोहराया था।——————–जरूरत : चाहिए 400 करोड़ का बजटनवलगढ़ पुलिया के चौड़ाईकरण की राह में सबसे बड़ी दिक्कत बजट की है। पुलिया को फोरलेन करने के लिए लगभग 350 से 400 करोड़ का बजट चाहिए। कोरोना की वजह से सरकार इस प्रोजेक्ट से हाथ खींच रही है। दूसरी बड़ी अड़चन रेलवे की एनओसी की है। हालांकि रेलवे प्रबंधन कई बार प्रोजेक्ट की राह में रोडा नहीं अटकाने की बात कह चुका है।———————-महत्वपूर्ण : इसी पुलिया पर दौड़ती है सीकर की अर्थव्यवस्थानवलगढ़ रोड व पिपराली रोड पूरी तरह एजुकेशन हब का रूप ले चुकी है। यहां दिनभर जाम की वजह से विद्यार्थियों के साथ आमजन को काफी परेशानी होती है। यदि लगातार यही स्थिति रही तो कोचिंग व स्कूलों की ओर से नई ब्रांच बाईपास इलाके में खोली जा सकती है। इसका खामियाजा इलाके के 40 हजार लोगों को भुगतना पड़ेगा। क्योंकि इनमें से ज्यादातर परिवारों की आमदनी का जरिया पीजी, हॉस्टल, दुकान व मकान किराया है। पुलिया के पास ही कलक्ट्रेट परिसर है। यदि नवलगढ़ पुलिया फोरलेन होती है तो कलक्ट्रेट को भी शिफ्ट करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।———————लाइफलाइन : लम्बे संघर्ष से मिला था शहर का एकमात्र ओवरब्रिजनवलगढ़ पुलिया शहरवासियों के लम्बे संघर्ष की देन है। उस वक्त तत्कालीन विधायक ने करीब एक महीने के लिए अन्न त्याग किया था। तब जाकर सीकर को इस एकमात्र पुलिया की सौगात मिली। फिर राहत मिली, लेकिन अब शहर में वाहन बढऩे के साथ जाम में फंसना आम हो गया है। अब क्षेत्रवासियों को रोजमर्रा के कामकाज से इधर से उधर जाने के लिए पूरी पुलिया पर जाम को पार करना पड़ता है। ऐसे में पैदल यात्रियों के लिए यहां फुटओवरब्रिज बनाने की मांग भी उठी।

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