महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई पुलिस कार्रवाई की तुलना जलियांवाला बाग से की है.
उद्धव ने कहा, जामिया में जो हुआ, वह जलियांवाला बाग जैसा है. छात्र एक ‘युवा बम’ की तरह हैं. इसलिए हम केंद्र सरकार से अनुरोध करते हैं कि वो छात्रों के साथ ऐसा न करें. केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए ठाकरे ने कहा,देश में अराजकता पैदा करने की कोशिश की जा रही है. मुझे समझ नहीं आ रहा कि वो दिल्ली में क्या करना चाहते हैं. देश के लोगों को तनाव और भय में डाला जा रहा है.
Maharashtra CM Uddhav Thackeray: What happened at Jamia Millia Islamia, is like Jallianwala Bagh. Students are like a ‘Yuva bomb’. So we request the central government to not do, what they are doing, with students. pic.twitter.com/lNGrgCPrIU— ANI (@ANI) December 17, 2019आपका निर्वाचन क्षेत्र आपकी जिम्मेदारी है. हमें ये सुनिश्चित करने की जरूरत है कि किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में चीजें गलत न हों. शीतकालीन सत्र खत्म होने के बाद जब आप निर्वाचन क्षेत्रों में लौटते हैं तो आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके क्षेत्र में कुछ भी गलत न हो.
आपको बताते चले कि नागरिकता कानून (CAA) को लेकर जामिया में हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद अब देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं. 15 दिसंबर को जामिया में हुए बवाल के बाद राजधानी दिल्ली के कई हिस्सों में जोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं. कई मेट्रो बंद होने की भी खबर है. पूर्वोत्तर दिल्ली के सीलमपुर इलाके में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया जब स्थानीय लोगों ने पुलिस पर पथराव किया और कई बसों को नुकसान पहुंचाया.
भीड़ को तितर बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े तथा लाठीचार्ज किया. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि सीलमपुर टी प्वाइंट पर लोग एकत्र हुए और दोपहर करीब बारह बजे विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ. प्रदर्शनकारी सीलमपुर से जाफराबाद की ओर बढ़े और वहां से भी प्रदर्शन की खबरें हैं. पुलिस अब ड्रोन के जरिए निगरानी रख रही है. प्रदर्शनकारियों ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और सरकार के विरोध में नारे लगाए.
इस बीच दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल मेरी सभी दिल्लीवासियो से अपील है कि शांति बनाए रखें, एक सभ्य समाज में किसी भी तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जा सकती. हिंसा से कुछ हासिल नहीं होगा. अपनी बात शांति से कहनी है, जामिया के छात्रों ने बताया कि उनके कई सहपाठी अपने-अपने घर जा चुके हैं लेकिन उन्होंने यहीं रहने का और तब तक लड़ाई जारी रखने का फैसला किया जब तक कि नागरिकता कानून में किए गए संशोधन वापस नहीं लिए जाते.
कुछ स्थानीय लोग मीडिया से नाराज नजर आए. उनका दावा था कि उनका पक्ष नहीं दिखाया गया. रविवार को प्रदर्शन के हिंसक हो जाने के बाद यह लगातार दूसरा दिन है जब शांतिपूर्ण प्रदर्शन हो रहा है. सोमवार को हजारों की संख्या में छात्रों ने सड़कों पर उतरकर रविवार को पुलिस के विश्वविद्यालय प्रशासन की इजाजत बिना जामिया परिसर में दाखिल होने और विवि के पुस्तकालय में आंसू गैस के गोले छोड़ने की घटना की जांच की मांग की.
रविवार की घटना में जामिया के छात्र और स्थानीय लोगों समेत बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी घायल हुए. डीटीसी की चार बसों को आग लगाई गई और 100 से अधिक निजी वाहन और पुलिस की दस बाइक को भी नुकसान पहुंचा.
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