महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग चुका है. आपको बताते चलें कि महाराष्ट्र में बीजेपी शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला था, लेकिन शिवसेना की सीएम कुर्सी की जिद के चलते स्थिति राष्ट्रपति शासन तक पहुंच गई. शिवसेना ने इसके लिए बीजेपी को जिम्मेदार बताया है.
महाराष्ट्र में जनादेश का अपमान करते हुए राष्ट्रपति शासन की स्थिति पैदा करने के लिए शिवसेना ने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराते हुए उस पर बड़ा हमला बोला है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा है कि बीजेपी को सरकार बनाने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया गया राज्यपाल की तरफ से, लेकिन हमें सिर्फ 24 घंटे मिले, इसे ही व्यवस्था का दुरुपयोग और मनमानी कहते हैं.
शिवसेना ने सामना के संपादकीय में लिखा है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का मतलब हम नहीं तो कोई नहीं.
शिवसेना ने आगे सामना के संपादकीय में लिखा है कि, चुनावी नतीजों के बाद जो यह अहंकार चढ़ा है, यह राज्य के हित में नहीं है. बीजेपी तत्ववादी नैतिकता और संस्कारों से युक्त पार्टी है तो महाराष्ट्र के संदर्भ में भी उन्हें तत्व और संस्कार का पालन करना चाहिए था. बीजेपी विरोधी पक्ष में बैठने को तैयार है इसका मतलब कांग्रेस और राष्ट्रवादी का साथ देने को तैयार है, ऐसा कहा जाए तो उन्हें मिर्ची नहीं लगनी चाहिए.
शिवसेना ने आगे कहा है कि दिए गए वचन पर बीजेपी कायम रहती तो परिस्थिति इतनी विकट न होती. शिवसेना से जो भी तय हुआ है, वह नहीं देंगे, विरोधी पक्ष में बैठना पड़े. यह दांवपेच नहीं बल्कि शिवसेना को नीचे दिखाने का षड्यंत्र है. किसी भी परिस्थिति में महाराष्ट्र में सत्ता स्थापना नहीं होने देना और राजभवन के पेड़ के नीचे बैठकर पत्ते पीसते बैठने के खेल को महाराष्ट्र की जनता देख रही है.
इसके साथ ही शिवसेना ने अपनी आगे की योजना के भी संकेत दे दिए हैं. शिवसेना कहा है कि कांग्रेसी या राष्ट्रवादी के साथ हमें क्या करना है यह हम देख लेंगे. शिवसेना ने आगे लिखा है कि महाराष्ट्र में 24 तारीख से ही सत्ता स्थापना का मौका होने के बावजूद 15 दिनों में बीजेपी ने कोई प्रयास नहीं किया. मतलब बीजेपी ने सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद कोई हलचल नहीं की और शिवसेना को 24 घंटे भी नहीं मिले यह कैसा कानून ?
विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्र में थे और कई राज्य से बाहर थे, कहा गया कि उनके हस्ताक्षर लेकर आओ और वह भी सिर्फ 24 घंटे में. व्यवस्था का दुरुपयोग और मनमानी इसे ही कहते हैं.
आपको बताते चलें कि दिए गए समय अवधि में किसी भी पार्टी द्वारा सरकार बनाने की स्थिति में ना होने के कारण, दिए गए समय अवधि से पहले ही राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की थी, जिस पर राष्ट्रपति ने मुहर लगा दी है. उसके बाद महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है.
इसके साथ ही खबरें आ रही हैं कि होटल ट्राइडेंट में उद्धव ठाकरे और अहमद पटेल की गुपचुप बैठक भी हुई है, सरकार बनाने पर चर्चा भी हुई है.
कल रात उद्धव ठाकरे मातोश्री के पीछे के रास्ते से अहमद पटेल को होटल मिलने पहुंचे थे. दोनों नेताओं ने माना है कि बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए सभी को एक साथ आना होगा. करीब आधे घंटे तक दोनों के बीच बातचीत हुई है. अहमद पटेल इस मीटिंग की पूरी जानकारी सोनिया गांधी को देंगे.
जो खबरें आ रही है उसके मुताबिक रोटेशनल CM, डिप्टी CM और 14-14 मंत्रालय कांग्रेस एनसीपी की डिमांड लिस्ट में है और इसी पर शिवसेना से बातचीत चल रही है.
सूत्रों के मुताबिक एनसीपी और कांग्रेस की जो बैठक हुई है उस पर कुछ बिंदुओं पर चर्चा हुई है. एनसीपी ने इस बात पर जोर दिया है कि स्थाई सरकार के लिए कांग्रेस को सरकार का हिस्सा बनना चाहिए, जबकि कांग्रेस का जोर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर है. वहीं सरकार में हिस्सेदारी पर भी एनसीपी ने अपना फार्मूला सामने रखा है.
आपको बताते चलें कि राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, ऐसे में जहां सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सबकी नजर है, तो अब यह देखना भी दिलचस्प होगा कि तीनों दल कब तक एक मंच पर आ पाते हैं और अगर सरकार बनती है तो किस फार्मूले पर बात फाइनल होती है.
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Thought of Nation राष्ट्र के विचार
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