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सरिस्का sariska tiger news के राजा को रक्षा बन्धन की दरकार, शिकारियों से बचाव ही इनकी आजादी

अलवर. जिले भर में रक्षाबंधन व आजादी के पर्व का उल्लास छाया है, ऐसे में sariska tiger news सरिस्का के राजा (बाघ) को भी शिकारियों से रक्षा और उनके बंधन से आजादी का इंतजार है। सरिस्का के राजा का शिकारियों से बचाव ही बाघों की असल आजादी है।
सरिस्का बाघ परियोजना में अभी 11 बाघ एवं 5 शावक को सुरक्षा की दरकार है। करीब 1213 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले सरिस्का की सुरक्षा के लिए पर्याप्त वनकर्मी नहीं है। सरिस्का प्रशासन लंबे समय से वनकर्मियों की संख्या बढ़ाने की मांग करता रहा है, लेकिन वनकर्मियों का टोटा पूरा नहीं हो पाया। वर्तमान में वनरक्षकों की संख्या 100 से कम है, यह स्थिति तो तब है जबकि सरिस्का की 6 रेंज में 102 बीट है। यानि वर्तमान नफरी के आधार पर सरिस्का में एक बीट पर एक वनरक्षक भी तैनात करना संभव नहीं है। इनमें 40 से ज्यादा वनरक्षक महिला हैं।
बाघों की मॉनिटरिंग को नहीं पूरे वनकर्मी
बाघों की मॉनिटरिंग के लिए sariska tiger news सरिस्का में हर दिन 40 से ज्यादा वनकर्मियों की जरूरत है। कारण है कि 11 बाघ-बाघिन एवं 5 शावकों की तीन पारियों में मॉनिटरिंग में एक-एक वनरक्षक को लगाया जाए तो भी उनकी संख्या 40 के पार जाती है। वहीं सरिस्का में बड़ी संख्या में नाके हैं, जहां से शिकारियों के प्रवेश करने की आशंका रहती है। इन पर भी वनरक्षकों की तीन पारियों में तैनाती जरूरी है। वहीं जंगल में दिन-रात पेट्रोलिंग में भी वनरक्षकों की जरूरत होती है। ऐसे में बाघों की सुरक्षा के लिए वनकर्मी पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हो पाते।
होमगार्ड व वर्कचार्ज कर्मियों पर निर्भर
सरिस्का में वनकर्मियों की कमी चलते बाघ व जंगल की सुरक्षा होमगार्ड व वर्कचार्ज कर्मियों पर निर्भर है। वर्तमान में सरिस्का में करीब 100 होमगार्ड कार्यरत हैं। वहीं वर्कचार्ज कर्मी भी तैनात है। हालत यह है कि वनकर्मियों की कमी के चलते बाघों की सुरक्षा में होमगार्ड व वर्कचार्ज कर्मी तैनात करने पड़ रहे हैं।
वीपी सिंह कमेटी ने भी वनकर्मी बढ़ाने की सिफारिश की थी
वर्ष 2005 में सरिस्का के बाघ विहिन होने पर राज्य सरकार की ओर से गठित वीपी सिंह कमेटी ने बाघों की सुरक्षा के लिए 400 से अधिक वनकर्मियों व अन्य अधिकारियों की तैनाती की जरूरत बताई थी। वीपी सिंह कमेटी ने सरकार को कई साल पहले ही रिपोर्ट सौंप दी, लेकिन उस पर अमल अब तक नहीं हो पाया है।
हर समय रहता है शिकारियों का खतरा
सरिस्का में वनकर्मियों की कमी का नतीजा रहा कि हर समय शिकारियों के प्रवेश व बाघों के शिकार की आशंका रहती है। वर्ष 2005 से पूर्व शिकारियों की सहज पहुंच ने सरिस्का को बाघ विहिन कर दिया, वहीं वर्ष 2008 के बाद भी कई बाघ-बाघिन शिकारियों व ग्रामीणों की भेंट चढ़ गए। पिछले दिनों ही दो शिकारी बंदूक लेकर सरिस्का में घूमते पकड़े गए हैं। वहीं पूर्व में भी कई शिकारियों को मृत वन्यजीवों के साथ पकड़ा जा चुका है। ऐसे में सरिस्का में बाघों पर खतरा हर समय मंडराता रहता है।

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