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पायलट व नर्सिंगकर्मी का शव लेने से इन्कार, सुबह से एंबुलेंस सेवा बंद

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सीकर. राजस्थान के सीकर शहर के नानी बाईपास पर बीती रात टैंकर से टक्कर के बाद हुई 108 पायलट व नर्सिंगकर्मी की मौत के बाद परिजनों ने शव लेने से इन्कार कर दिया। मुआवजे व सरकारी नौकरी की मांग को लेकर परिजन एंबुलेंसकर्मियों के साथ एसके अस्पताल की मोर्चरी के सामने धरने पर बैठ गए। ऐसे में दोनों मृतकों के शव का पोस्टमार्टम नहीं होने के साथ जिले की एंबुलेंस सेवाएं भी सुबह से बंद पड़ी है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक मांग नहीं मानी जाएगी तब तक मृतकों के शव नहीं लिए जाएंगे। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की समझाइश पर भी परिजन व एंबुलेंसकर्मी टस से मस नहीं हो रहे। गौरतलब है कि जिले के सदर थाना इलाके में नानी बाइपास चौराहे पर सोमवार रात को सिहोट में हादसे के शिकार शख्स को सीकर ला रही 108 एंबुलेंस की ट्रक से भिड़ंत हो गई थी। हादसे में हादसे में एम्बुलेंस के चालक नागौर जिले के टोडास गांव निवासी अर्जुन व झुंझुनूं जिले के निवाई गांव के निवासी नर्सिंगकर्मी सुभाष की मौके पर ही मौत हो गई थी। जिनके शव रात को ही एसके अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिए गए। मंगलवार को सुबह दोनों मृतकों का पोस्टमार्टम होना था। लेकिन, मुआवजे व मृतकों के परिजनों का सरकारी नौकरी देने की मांग को लेकर हड़तालकर एंबुलेंसकर्मी व मृतकों के परिजन मोर्चरी के बाहर ही धरने पर बैठ गए। जिसके बाद करीब सात घंटे से उनका प्रदर्शन जारी है।
अस्पताल में खड़ी है 108 व निजी एंबुलेंस, मरीज परेशानमृतकों के परिजनों के साथ 108 एंबुलेंसकर्मियों के साथ निजी एंबुलेंसकर्मी भी धरने पर बैठे हैं। ऐसे में उनकी एंबुलेंस भी सुबह से अस्पताल में ही खड़ी है। एंबुलेंस की हड़ताल से मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदेशभर के एंबुलेंसकर्मी जुटे, 50 लाख का मांगा मुआवजाएंबुलेंसकर्मियों के धरने में प्रदेशभर से एंबुलेंसकर्मी पहुंच रहे हैं। सीकर के अलावा झुंझुनूं, चूरू, बीकानेर व जयपुर के एंबुलेंस यूनियन के पदाधिकारी एसके अस्पताल पहुंच चुके हैं। जो मृतकों के परिजनों के लिए 50 लाख रुपए व सरकारी अनुकंपा नियुक्ति की मांग कर रहे हैं। एंबुलेंस यूनियन अध्यक्ष महिपाल नेहरा व मृतक परिजन बलराम धायल का कहना है कि राज्य सरकार ने कोविड काल में चिकित्साकर्मियों की मौत पर 50 लाख के मुआवजे की घोषणा की थी। मृतक भी कोरोना योद्धा ही थे। जिन्होंने कोरोना काल में कोरोना मरीजों को लाने- ले जाने व उपचार का कार्य किया। ऐसे में दोनों के परिजनों को सरकारी योजना के 50 लाख के साथ विभाग की अन्य योजनाओं व सरकारी नौकरी का लाभ दिया जाना चाहिए।

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