सीकर.कोरोना ने बाजार के साथ धर्म-कर्म भी राहें भी पूरी तरह बदल दी है। दशहरा महोत्सव में इस बार कोरोना का पूरा इफेक्ट नजर आएगा। कोरोना से पहले शहर में सार्वजनिक कार्यक्रम में 44 फीट के रावण के पुतले का दहन हुआ था। लेकिन इस बार रावण छह फीट का ही रह गया है। 69 साल के इतिहास में यह पहला मौका जब छह फीट का रावण तैयार कराया जाएगा। सोमवार से रावण के पुतले की तैयारी शुरू होगी। इधर, नवरात्र महोत्सव में पहले जहां जिलेभर में 750 से अधिक दुर्गा पूजा महोत्सव के साथ रामलीला का मंचन होता था। लेकिन अब कोरोना की वजह से जारी गाइडलाइन से रामलीलाओं पर पूरी तरह ब्रेक लगा हुआ है। लेकिन भक्तों में अभी भी उत्साह अपार है। रामलीला का मंचन नहीं होने पर भक्तों ने नइ राहें भी निकाल ली। अब इन स्थानों पर अखंड रामायण और दुर्गा सप्तशती के पाठ हो रहे हैं।
रामलीला में रिटेक नहीं, इसलिए ब्रेकरंगमंच ऐसा मंच है जहां रिटेक का कलाकारों को मौका नहीं मिलता। जिलेभर की रामलीलाओं में मंचन करने वाले लगभग 90 से अधिक ऐसे कलाकार है जो उम्र और कोरोना की वजह से आए गैप की वजह से अभ्यास से दूर हो गए है। ऐसे में अब जब भी मंचन शुरू होगा तो इनके कॅरियर पर ब्रेक लगना तय है। रामलीला के आयोजन से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना के बाद जब भी रामलीला शुरू होगी काफी नवाचार देखने को मिलेगा।
अब भी एकत्रित होते है कलाकारसीकर रामलीला मण्डल से जुड़े ज्यादातर कलाकार इन दिनों रामायण पाठ में पहुंच रहे हैं। मंडल के जानकीप्रसाद इंदोरिया ने बताया कि वर्षो से नवरात्र महोत्सव में रामलीला में मंचन करने वाले कलाकारों का यहां पहुंचना आदत में आ गया है। इसलिए ज्यादातर कलाकार नियमित रुप से रामलीला मैदान पहुंचकर रामायण पाठ में सहभागिता निभा रहे हैं।
दशहरा महोत्सव: गाइडलाइन की वजह से नहीं होगी आतिशबाजी, रावण का कद घटात्योहारी सीजन में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों को लेकर गृह विभाग की ओर से पिछले महीने ही गाइडलाइन जारी की जा चुकी है। ऐसे में इस बार सार्वजनिक स्तर पर दशहरा महोत्सव के कार्यक्रम नहीं होंगे। ऐसे में सांस्कृतिक मंडल ने व्यवस्थाओं में बदलाव किया है। मंडल के संयुक्त मंत्री जानकीप्रसाद इंदोरिया ने बताया कि इस बार रामलीला मैदान के पास स्थित लक्ष्मी गार्डन में शहर के प्रमुख लोग व संतों की मौजूदगी में दशहरा महोत्सव होगा। कोरोना से पहले शहर में 44 फीट के रावण का दहन किया जाता था। लेकिन इस बार छह फीट का रावण तैयार कराया जा रहा है। आतिशबाजी पर रोक होने की वजह से इसका प्रयोग नहीं किया जाएगा।
शहर में पहला रावण कपड़े से हुआ था तैयार, फिर से कागज से होने लगा तैयाररामलीला के मंचन के साथ ही शहर में सार्वजनिक दशहरा महोत्सव के आयोजन की परम्परा शुरू हुई। सांस्कृतिक मंडल से जुड़े कलाकारों ने बताया कि शहर में सबसे पहले कपड़े का रावण तैयार कराया था। इस समय रावण के पुतले की लंबाई 12 फीट थी। इसके बाद कागज का रावण बनने लगा। वर्ष 2018 की बात करें तो जिले में सार्वजनिक स्तर रावण दहन के 64 स्थानों पर बड़े कार्यक्रम हुए।
कोरोना नहीं आता तो 48 फीट का हो जाता रावणसांस्कृतिक मंडल की ओर से हर साल एक से दो फीट तक रावण के पुतले की लंबाई बढ़ाती है। यदि कोरोना नहीं होता तो वर्ष 2021 तक रावण के पुतले की लंबाई 48 फीट तक पहुंच जाती।
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