सीकर. फर्जीवाड़े के लिए लोग कुछ भी कर सकते हैं। सहयोग के नाम पर कर्ज से परेशान परिवार के प्लोट का पट्टा ले लिया गया। बाद में बैंक मैनेजर से मिलीभगत कर पट्टे के आधार पर 40 लाख रुपए का लोन उठा लिया गया। इस मामले में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीलम करवा ने बैंक के चीफ मैनेजर सहित दोनों आरोपियों को पांच-पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। आरोपी चंडीगढ़ के मनीमाजरा के हाउसिंग कॉम्पलेक्स का निवासी रमेश सी कोंडल उर्फ रमेश चंद कौंडल है। रमेश सी कोंडल इंडियन बैंक के अहमदाबाद स्थित जोनल ऑफिस में बतौर चीफ मैनेजर तैनात है। वहीं दूसरा आरोपी ओमप्रकाश उर्फ ओपी उर्फ ओम उर्फ राजन फतेहपुर रोड पर जे.एम. प्लाजा में रहता था। इसका बजाज रोड पर गोकुलधाम रेजीडेंसी में कार्यालय था। ओमप्रकाश मूलत: सोनीपत हरियाणा का निवासी बताया जा रहा है।
पीडि़ता दो बार हुई धोखाधड़ी की शिकारइस मामले में पीडि़ता किरणदेवी दो बार धोखाधड़ी की शिकार हुई है। किरणदेवी के पति गिरधारीलाल ने दादिया गांव में चिलिंग प्लांट लगाने के लिए पीएनबी बैंक से ऋण स्वीकृत करवाया था। लेकिन चिलिंग प्लांट निर्माता ने रुपए लेने के बावजूद प्लांट स्थापित नहीं किया। ऐसे में किरणदेवी पर कर्जा हो गया। ऐसे में बैंक की ओर से उनकी संपति को नीलाम करने की धमकी दी जाने लगी। इस पर पीएनबी के तत्कालीन शाखा प्रबंधक इलमचंद वर्मा ने किरण के पति का परिचय ओमप्रकाश से करवाया। साथ ही कहा कि इनका सीकर में क्लासिक फूड के नाम पर कारोबार है। इस पर ओमप्रकाश ने उनकी मदद की बात कही।
जमीन खरीदने का एग्रिमेंट बनाकर ले लिया पट्टा
ओमप्रकाश ने किरणदेवी के पति को उसका दादिया में स्थित प्लाट खरीदने की बात कही। इस पर उन्होंने ओमप्रकाश को अपने प्लाट का पट्टा व अन्य दस्तावेज सौंप दिए। इस पर ओमप्रकाश ने प्लाट खरीदने का एग्रीमेंट कर लिया और बिना पैसा दिए ही चार लाख रुपए अग्रिम देने की बात लिख दी। इसके बाद किरणदेवी के परिवार ने ओमप्रकाश से कई बार मिलकर अपने दस्तावेज लेने का प्रयास किया, लेकिन वह उनको मुगालते में रखता गया। इसके बाद ओमप्रकाश ने सीकर छोड़ दिया। इस बीच पता चला कि ओमप्रकाश इंडियन बैंक के अधिकारी रमेश कुंडल का निजी आदमी है। उसने बैंक की गांधी नगर, जयपुर शाखा से इस पट्टे पर 40 लाख का लोन उठा लिया है।
दूसरी महिला को पेश कर करवा दिए हस्ताक्षरओमप्रकाश ने पट्टे पर लोन लेने के लिए दूसरी महिला को बैंक में पेश कर हस्ताक्षर करवा दिए। बैंक कर्मचारी ने पूछताछ में बताया कि बैंक के चीफ मैनेजर के कहने पर यह ऋण स्वीकृत किया गया था। इस पर किरणदेवी ने इस्तगासे के आधार पर कोतवाली थाने में मामला दर्ज करवाया। पुलिस ने जांच के बाद न्यायालय में चालान पेश कर दिया। न्यायालय ने दोनों आरोपियों को पांच-पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है।
बैंक में दूसरे का पट्टा रखकर उठाया 40 लाख का लोन, चीफ मैनेजर सहित दो को पांच वर्ष की सजा
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