सीकर/पलसाना. पलसाना की पूजा बिजारणियां की दास्तां ‘बेटी बाप पर बोझ’ की सोच को ‘अगले जन्म मोहे बिटिया ही ‘दीज्यो’ में बदलने वाली है। जिसने पिता की जान को जोखिम में देखा तो 23 साल की उम्र में अपनी जिंदगी को दाव पर लगा दिया। जिस पिता को कन्या दान करना था, उसे पहले अपने लीवर का दान देकर महादान की नई मिसाल गढ़ दी। दरअसल चार साल पहले पूजा के पिता श्रीराम बिजारणियां का 95 फीसदी लीवर खराब हो गया था। जिनके प्राण बचाने का चिकित्सकों ने प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प बताया। समय कम बचा तो पूजा ने अपना ही लीवर देने की पेशकश कर दी। जो मेल खाने पर पूजा ने जान का जोखिम होने पर भी पिता के नाम कर दिया। वो भी तब जब समाज के विरोध के साथ परिवार आर्थिक संकट से भी जूझ रहा था। पर बहन के साथ नौकरी करते हुए व विभिन्न संस्थानों के सहयोग से पूजा ने करीब 80 लाख रुपए का भारी भरकम खर्च भी संकट की इस घड़ी में वहन किया।
परिवार सहित की देह दानपिता को अंगदान कर चुकी पूजा अपनी देह भी दुनिया के नाम कर चुकी है। पूरे परिवार सहित पूजा देहदान का पंजीकरण करवा चुकी है। बकौल पूजा जब मरने के बाद शरीर को जलना ही है तो क्यों ना उसे किसी के काम आने दिया जाए।
मां के सामने था संकट, रिश्तेदारों ने भी बनाया दबावपरिवार सहित मुंबई रह रही पूजा बताती है कि पिता का पीलिया बिगडऩे पर लीवर खराब हो गया था। तीन साल से अस्पतालों के चक्कर लग रहे थे। आर्थिक संकट भी गहराने लगा था। इसी बीच जब उन्होंने अपना लीवर पिता को देना तय किया तो कई रिश्तेदारों ने भी इस फैसले का विरोध किया। रिश्तेदारों का कहना था कि ऑपरेशन के बाद उनकी शादी व गर्भधारण में परेशानी आ सकती है। इससे उनकी मां के सामने भी पति व बेटी की जान के जोखिम के साथ समाज का दबाव भी बड़ी परेशानी बन गया। पर सभी दबावों व हालातों का सामना करता हुआ उनका परिवार मजबूत बना रहा। जिससे ही उस बड़ी मुसीबत को टाला जा सका।
बढ़ गया तालमेललीवर ट्रांसप्लांट के बाद पिता व बेटी दोनों पूरी तरह स्वस्थ है। पिता श्रीराम बिजारणियां बीमारी की वजह से लंबे समय तक बंद रही अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी संभाल रहे हैं। जबकि पूजा मुंबई में रिलायंस जिओ कंपनी के सीईओ की एसिस्टेंट मैनेजर पद पर नियुक्त है। बकौल पूजा पिता से उनका हमेशा से लगाव रहा। पर ऑपरेशन के बाद अब दोनों की आपसी समझ व तालमेल ज्यादा बढ़ गया है।
महिलाओं को सशक्तीकरण की जरुरत नहींमहिला सशक्तिकरण की मिसाल पूजा महिला सशक्तिकरण अभियान को ही बेबुनियाद मानती है। वह कहती है कि महिलाओं को सशक्तिकरण की जरुरत ही नहीं है। वह तो पहले से ही सशक्त है। जो जन्म दे सकती है उसे समाज में जंग लडऩे की जरुरत नहीं है। वह अपने बूते आराम से जीवन यापन कर सकती है।
चिकित्सक ने पोस्ट में लिखा बहादुर बेटीपूजा की ये दिलेरी रांची के चिकित्सक डा. रचित भूषण की फेसबुक पोस्ट के बाद काफी वायरल हुई। जिसमें उन्होंने पूजा का बहादुर बेटी बताते हुए लिखा था कि ‘असल जिंदगी में भी सच्चे हीरो होते हैं जो किस्मत, डर और नामुमकिन जैसे शब्दों पर भरोसा नहीं करते। जो लोग लड़कियों को बेकार समझते हैं। उन्हें इस लड़की ने जवाब दिया है। एक ऐसी लड़की जिसे मैं निजी तौर पर नहीं जानता, लेकिन वह मेरे लिए हीरो है। उसने लीवर ट्रांसप्लांट कर अपने पिता की जान बचा ली। मुझे तुम पर गर्व है। ऐसे लोगों से बहुत कुछ सीखना चाहिए। गॉड ब्लेस यू पूजा बिजारनिया।’
पूजा ने 23 साल की उम्र में लीवर देकर बचाई पिता की जान, परिवार सहित देह भी की दान
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