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मुलजिमों की कोरोना जांच के फेर में फंसी पुलिस

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सीकर. कोरोना महामारी अब पुलिसकर्मियों के लिए आफत बनती जा रही है। पुलिसकर्मी एक तरफ तो कोरोना की डयूटी में है, वहीं दूसरी तरफ थाने-चौकियों में भी काम करने वाले पुलिसकर्मी भी कोरोना से परेशान होने लगे हैं। दरअसल, मुलजिमों को बिना कोरोना रिपोर्ट के जेल में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। इतना ही नहीं कोर्ट में पेश करने से पूर्व भी मुलजिमों की कोरोना रिपोर्ट आवश्यक है। इसके साथ ही कानून में प्रावधान है कि किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में 24 घंटे के अंतराल में पेश करना होता है। जबकि पुलिसकर्मियों के लिए परेशानी का सबब यह है कि कोरोना की जांच दो से तीन दिन में मिलती है। ऐसे पुलिसकर्मियों के सामने समस्या है कि वे क्या करें। गिरफ्तार मुलजिमों को पुलिस 24 घंटेे से अधिक समय तक अपने पास नहीं रख सकती है और नियमानुसार उनकी कोरोना जांच भी आवश्यक है। यदि वे पहले नियम का पालन करते है तो दूसरा नियम टूटता है। यदि दूसरे नियम का पालन करते है तो पहला बेअसर हो जाता है। उधर बिना जांच कराए जेल में भी मुलजिमों को प्रवेश नहीं दिया जाता है। सुरक्षा के लिहाज से थानों को भी बार-बार पुलिसकर्मी सैनेटाइज करवा रहे है।
अस्पताल में भी जाने से कतराते है पुलिसकर्मी
पुलिसकर्मी कोरोना जांच के लिए अस्पताल जाने से भी कतरने लगे है। जिन मुलजिमों का पुलिसकर्मी कोरोना जांच कराने के लिए जाते है। उनमें से यदि कोई भी संक्रमित पाया जाता है तो पुलिसकर्मियों के लिए भी परेशानी खड़ी हो जाती है। ऐसे में पुलिसकर्मी मुलजिमों से दूरी बना कर रख रहे है। बेशक पुलिसकर्मी अपनी डयूटी में लगे हुए हो, लेकिन मुलजिमों के मामले में पुलिसकर्मियों में दहशत बनी हुई है। डयूटी पर होने के कारण उन्हें करना पड़ रहा है।
मास्क व सैनेटाइजर का सहारा
अपराध में शामिल किसी भी मुलजिम को पुलिसकर्मी पहले सैनेटाइजर करने के बाद ही थाने में प्रवेश देते है। उसे मास्क लगवा कर लॉकअप में बंद करते है। वहीं कहीं बाहर आने-जाने के बाद भी सैनेटाइज करवाया जाता है। जिन अपराधों में थाने में जमानत दिए जाने का प्रावधान है उनमें लोगों को जमानत पर रिहा कर दिया जाता है। इससे उन्हें कोरोना जांच नहीं करवानी पड़ती है।
 
बाद में पेश करते है रिपोर्ट
कोर्ट के आदेश हो जाने के बाद मुलजिम को जेल में भेज दिया जाता है। ऐसे में मुलजिम की रिपोर्ट आने के बाद जेल में बाद में पेश की जा रही है। रिमांड मिलने पर पुलिसकर्मी उसे थाने पर ही लॉकअप में रखते है। और बाद में रिपोर्ट मिलने के बाद लेकर जाते है। जेल में अलग से क्वारेंटाइन वार्ड बनाया गया है। पूरी तरह सैनेटाइज करने के बाद मुलजिमों को 14 दिन तक वहीं पर ही रखा जाता है। कई मामलों में पुलिस मुलजिम को अपने पास ही रखती है और बाद में गिरफ्तारी रिकॉर्ड में डालती है ताकि उसकी रिपोर्ट जल्दी मिल सके, हालांकि कानून यह काफी गलत है। कोरोना जांच कराना पुलिसकर्मियों के लिए परेशानी बन गई है।
इनका कहना है
गिरफ्तारी आरोपी को 24 घंटे में न्यायालय में पेश करना होता है। इसके बाद कोरोना जांच करवा करवाई जाती है। जांच रिपोर्ट नेगेटिव आने पर आरोपी को जेल भेजा जाता है।डॉ.देवेन्द्र शर्माअपर पुलिस अधीक्षक, सीकर

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