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राजस्थान: दिवाली के बाद ‘जहरीली’ हुई सीकर की हवा, इस स्तर तक पहुंचा प्रदूषण

रविन्द्र सिंह राठौड़, सीकर.
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( Pollution Control Board Sikar ) सीकर चार साल से शोपीस बना हुआ है। विभाग के पास सभी यंत्र होने के बावजूद दीपावली के समय भी वायु प्रदूषण ( Air Pollution ) की जांच नहीं हो पा रही है। हाल यह है कि विभाग ध्वनि प्रदूषण ( Sound Pollution ) की जांच भी केवल कार्यालय के पास नवलगढ़ रोड स्थित आवासीय कॉलोनी हाउसिंग बोर्ड शिवसिंहपुरा में करवा रहा है। जबकि शहर के प्रदूषण की जांच विभाग ने आज तक नहीं की है। दीपावली के सात दिन पहले की तुलना और सात दिन बाद शहर प्रदूषण की चपेट में आ गया है। शहर की इस आवासीय कॉलोनी में भी ध्वनि प्रदूषण के तय मानक से दिन में 17.7 और रात में 21.5 डेसिबल प्रदूषण बढ़ा है। जबकि यह कॉलोनी शहर से तीन किलोमीटर दूर है, इसके चलते शहर की वास्तविक ध्वनि प्रदूषण की जांच भी समय पर नहीं हो पा रही हैं। दो साल पहले विभाग को हर सेंपल के नमूने जयपुर लेकर जाने पड़ते थे। इन सेंपलों की जांच में चार से पांच दिन का समय लग जाता था। लेकिन पिछले साल से विभाग स्तर पर ही सभी संसाधन उपलब्ध है।
पटाखों के प्रदूषण से बढ़े अस्थमा मरीज ( Air Pollution Increase After Diwali )पटाखों के प्रदूषण के बाद अस्थमा के मरीज बढ़ गए है। सर्दी बढऩे के साथ ही यह परेशानी और अधिक होने की आशंका है। इस बार पटाखों का धूआं सर्दी होने और हवा नहीं चलने से जमीन के नजदीक ही रहा। ऐसे में बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग फेफड़ों में संक्रमण और खांसी, जुकाम से ग्रसित हो गए। अस्थमा के मरीजों को हाई डोज देनी पड़ रही है।
जयपुर के आम दिनों से ज्यादा सीकर में ध्वनि प्रदूषण शहर की आवासीय कॉलोनी हाउसिंग बोर्ड शिवसिंहपुरा में भी हर साल ध्वनि प्रदूषण तय मानक से ज्यादा आ रहा है। ध्वनि प्रदूषण का मानक दिन में 55 व रात में 45 डेसीबल है। जबकि दीपावली से सात दिन पहले यह मानक दिन में रात 10 बजे तक 60.2 व रात में दस बजे बाद 56.6 डेसीबल रहा। दीपावली के दिन रात दस बजे तक 72.7 और रात दस बजे बाद 66.5 डेसिबल रहा हैं। जयपुर में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड व सल्फर की मात्रा जितनी आम दिनों में होती है, उससे अधिक मात्रा दिवाली के दिन शिवसिंहपुरा जैसी आवासीय कॉलोनी में थी।[MORE_ADVERTISE1][MORE_ADVERTISE2]प्रदूषण पर प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान पॉल्यूशन फैलाने वाले वाहनों को हटाने की जरुरत है। शहर में सबसे ज्यादा ऑटो रिक्शा प्रदूषण फैला रहे हैं। इन पर आज दिन तक कभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन ने शहर के मुख्य मार्गों पर ई-रिक्शा चलाने की योजना पर कोई ध्यान नहीं दिया। शहर के प्रमुख इलाकों में ट्रैफिक लाइट की जरुरत है। शहर में घुसने वाले ओवरलोड वाहनों को रोकना होगा। जगह-जगह पर टायर, प्लास्टिक की थैलियां जैसी वस्तुओं को जलाने से बचना होगा।
हवा में लगातार बढ़ रहे धूल के कण एक्सपट्र्स कहते है कि अगर एक किमी में फैली 250 घरों की आबादी वाली शिवसिंहपुरा कॉलोनी में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा है, तो कल्याण सर्किल, जाट बाजार, स्टेशन रोड व पिपराली रोड इलाके में जांच करने पर यह आंकड़ा और भी ज्यादा होगा। नमूने लिए जाए तो प्रदूषण का स्तर और भी ज्यादा मिलेगा। हालांकि इस बार भी वायु प्रदूषण की जांच नहीं हुई है। लेकिन एक्सपट्र्स के अनुसार वायु प्रदूषण के मानक भी 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (पीपीएम) से कही अधिक थे। सीकर की हवा में लगातार धूल के कण बढ़ते जा रहे है।
वर्ष 2016 से 2019 तक की ध्वनि प्रदूषण रिपोर्ट डेसीबल में वर्ष दीपावली के पहले दीपावली के दिन2016 दिन- 59.8 रात- 54.0 दिन- 69.7 रात- 61.52017 दिन- 62.6 रात- 50.9 दिन- 68.6 रात- 61.52018 दिन- 58.9 रात- 47.3 दिन- 72.3 रात- 66.02019 दिन- 60.2 रात- 56.6 दिन- 72.7 रात- 66.5
बोर्ड के निर्देश से होती है जांच सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से इस बार हमें केवल ध्वनि प्रदूषण की जांच के आदेश मिले। इस बार केवल अलवर, भरतपुर, भिवाड़ी, चितौडगढ़़, जोधपुर, कोटा, उदयपुर लैब से ही ध्वनि के साथ वायु प्रदूषण की जांच हुई है। शेष अन्य लैब सेंट्ररों में केवल ध्वनि प्रदूषण की जांच के निर्देश मिले थे। शहर के तीन स्थानों पर यंत्र स्थापित करने की अनुमति जयपुर भेजी हुई है। संभवतया अगली बार आवासीय कॉलोनी के साथ उद्योगिक एवं व्यवसायिक इलाकों में भी जांच संभव हो पाएगी। -नीरज शर्मा, क्षेत्रिय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीकर[MORE_ADVERTISE3]

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