पीजी कॉलेज का मैदान बना पशुओं का अड्डाव्याख्याताओं की कमी बनी पढ़ाई में बाधापरिसर में गायों के साथ अन्य जानवर करते हैं विचरण धौलपुर. उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जिले में सबसे पुराना राजकीय स्नातकोत्तर कॉलेज का नाम आता है। इस कॉलेज की स्थापना वर्ष 1961 में हुई थी। लेकिन 58 साल बाद भी कॉलेज में ज्यादा खास बदलाव नहीं आया है। पहले स्नातक था अब स्नातकोत्तर हो गया और साथ में एक राजकीय विधि कॉलेज भी है। कॉलेज में शिक्षा के माहौल और सुविधाओं के नजरिए से देखा जाए तो स्थिति में खास सुधार नहीं हुआ है। महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय से जुडऩे के बाद तो हालात और भी बदतर हो गए हैं। समय पर परिणाम नहीं आने और व्याख्याताओं (असिस्टेंट प्रोफेसर) की कमी के चलते विद्यार्थी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। हाल ये है कि एमएससी मैथ पढ़ाने के लिए अलग से कोई व्याख्याता नहीं है, खुद प्रिंसीपल क्लास ले रहे हैं लेकिन वह व्यस्तता के चलते समय नहीं दे पा रहे हैं। समस्या एक नहीं और भी हैं। अब जब छात्रसंघ चुनाव नजदीक है तो छात्र संगठन और दावेदार प्रत्याशी इन समस्याओं को लेकर छात्र-छात्राओं के बीच जा रहे हैं। हालांकि, चुनावी वादे कितने पूर्ण होंगे, यह समय आने पर ही मालूम हो सकेगा।कॉलेज में सुविधाओं की बात करें तो चारों तरफ अव्यवस्था ही फैली हुई है। कॉलेज परिसर की मुख्य सड़क खुदी पड़ी है, बरसात का पानी जमा है, जिससे छात्र-छात्रा समेत स्टाफ को निकलने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मुख्य भवन के सामने जिस खेल मैदान पर खिलाड़ी और विद्यार्थियों का जमघट लगा रहता है, वह अब किसी आवारा पशुओं के अड्डे से कम नजर नहीं आ रहा है। मैदान में हर वक्त आवारा जानवर घूमते मिल जाएंगे। ग्राउण्ड पर हरियाली नाम की कोई चीज नहीं, केवल बरसाती घास व झाड़ी खड़ी है।जिनका ध्येय सेवा, वे भी नहीं दे रहे ध्यानखेल मैदान के पास ही एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना) का भवन है। पहली नजर में देखने से यह जंगल से कम नहीं दिखता। यहां चारों तरफ झाड़-झंकार खड़े हैं और आवारा पशु इधर-उधर मुंह मारते फिरते दिखे। जबकि एनएसएस खुद सेवा भाव में विश्वास करती है लेकिन यहां का नजारा अलग दिखा।नियमित नहीं लगती कक्षाएं, सड़क खुदने से परेशानीकॉलेज में शिक्षा व्यवस्था को लेकर एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष पंकज तिवारी ने बताया कि कक्षाएं नियमित नहीं लगने से पढ़ाई नहीं हो पा रही है। फिजिक्स की कक्षा नहीं लग रहीं। एमएससी मैथ में व्याख्याता नहीं है, प्रिंसीपल व्यवस्था के चलते कम कक्षा ले पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कॉलेज में पानी की समस्या है, वाटर कूलर ज्यादातर समय खराब पड़े रहते हैं। जिससे छात्र पानी के लिए भटकते रहते हैं। इसी तरह एबीवीपी से जुड़े कुलदीप हरसाना ने बताया कि पूरे कॉलेज में झाड़-झंकार खड़े हैं, सफाई व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं है। उन्होंने बताया कि कॉलेज की सड़क खुदी पड़ी है, कॉलेज प्रशासन ठेकेदार की कमी बता रहे हैं तो ठेकेदार कॉलेज प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहा है। बीए प्रथम वर्ष के छात्र अमित शर्मा ने बताया कि कॉलेज में अव्यवस्थाए हैं लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
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